मेरा नाम शिरीष शर्मा है! मैं २० साल का गोरा-चिट्टा नौजवान हूँ और इंदौर में रहता हूँ! आज मैं आप सबको मेरी पहली कहानी बताता हूँ....
मई का महीना था ! घर पर मैं अपने मोम डैड के सांथ रहता हूँ लेकिन उस दिन वो भोपाल गए हुए थे और हमारी काम वाली आ गई! वो बहुत ही सुन्दर है और उसका फिगर ३४ २८ ३४ का है..... !
मैंने दरवाजा खोला और वापस जाकर अपने बेड पर लेट गया ! इतनी देर में मैंने देखा कि वो अपना ब्लाउज़ खोल के हवा खा रही थी! मुझे देख के वो एकदम सहम गई और मैं वहां से उठ के चला गया और न्यूज़ पेपर पढ़ने लगा !
तभी वो मेरे पास आई और बोली," आपने कुछ देखा तो नहीं...............?"
मैंने उसे कहा," कुछ तो शर्म किया करो, ऐसे कहीं भी कपड़े खोल के खड़ी हो जाती हो.....?"
तो वो बोली- बहुत गर्मी हो रही है, भैय्या !! क्या करूँ ?
मैंने कहा,"अब कभी ऐसा मत करना.........!"
तो वो- ठीक है, बोल के चली गई !
लेकिन मेरे दिमाग में तो वही मोटे मोटे गोल गोल बोबे दिख रहे थे ....................
मुझसे रहा नहीं गया और मैंने उसे जाकर पूछा,"तुम अपने घर पर क्या बिना कपड़ों के घूमती हो इतनी गर्मी में ........?"
तो वो शरमाई और बोली,"हाँ ! मेरा मरद तो मुझे मना नहीं करता नंगा घूमने के लिए...!"
तो मैंने कहा,"जब इतने मस्त बोबे देखने को मिलेंगे तो कौन मना करेगा ..............?"
तो वो शरमा के वहां से चली गई ..........................
फिर मैं नहाने चला गया ! लेकिन मैंने दरवाजा खुला छोड़ दिया ! थोड़ी देर में कमला मेरे कमरे में आई तो उसने मुझे नहाते हुए देखा और मेरी चाल काम कर गई………..!
वो मेरा ९ इंच लम्बा लंड देख कर खुद को रोक नहीं पाई और बोली," इतना लम्बाऽऽऽ!!!???"
तो मैंने पूछा," तुझे चाहिए ये....?"
वो मेरे पास आई और मैंने उसके सारे कपड़े निकाल दिए ! अब हम दोनों नंगे थे...............!
हम दोनों सांथ में नहाये ! फिर मैं उसे अपने बेडरूम में ले गया ! उसे बेड पर पटका कर अपना लंड उसके मुँह में डाल दिया, वो भी मजे से चूसने लगी ! १५ मिनट तक चुसवाने के बाद मैंने सारा माल उसके मुँह में ही डाल दिया और वो भी चाट चाट के पी गई............ !
५ मिनट तक और चुसवाने के बाद मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया ! फिर मैंने उसे घुटनों पर बिठा के पीछे से अपना लंड उसकी चूत पे रखा और ३ धक्कों में पूरा का पूरा लंड अन्दर डाल दिया और वो जोर से चिल्लाई, ऊऊऊऊऊईईईईईई,,,, आह आह आह आह आह मर गई.................. !
उसके बाद मैंने धक्का मारना शुरू किया ! पहले धीरे धीरे धक्के मारे और फिर जोर जोर से !! पूरा कमरा पचक-पचक की आवाज़ से भर गया !
कमला भी लगातार चिल्ला रही थी ऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊउईईईईईईए ऊऊऊउईई उए उए आह आह आह आह अहह ह्ह्ह ............. !
२० मिनट तक वो ३ बार झड़ चुकी थी! लेकिन मेरे लौड़े में बहुत जान बाकी थी और वो अन्दर बाहर लगा हुआ था !
फिर मैंने अपने लौड़ा निकाल के उसकी गांड पे रख दिया और वो बोलने लगी,"साहब, गांड मत मारो !! मैंने कभी नहीं मरवाई ...........!"
लेकिन मैंने उसकी एक न सुनी और पूरा लंड उसकी गांड में पेल दिया !
वो अब बहुत जोर से चिल्लाई, “आहआह आह आआअह्ह्ह्ह्ह आआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह..............! “
फिर मैंने झटके देना शुरू किया और वो दर्द से चिल्लाई," आआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ऊऊईईईए........ और १० मिनट तक चोदने के बाद मैंने सारा माल उसके अन्दर डाल दिया !”
उसे चोद के मैं जैसे ही पीछे मुड़ा तो मैंने देखा कि हमारे घर के सामने रहने वाली शीतल भाभी वहां खड़ी थी ! कमला ने बाहर का दरवाजा खुला छोड़ दिया था............. !
भाभी को देख कर कमला ने जल्दी से कपड़े पहने और चली गई और मैंने भी जल्दी से तौलिया उठा के लपेट लिया !
तभी भाभी बाहर गई और दरवाजा लगा दिया !
मैंने सोचा," आज तो मैं गया............................!"
तभी भाभी आई और बोली," तुम तो बहुत अच्छी चुदाई करते हो ........मुझे चोदोगे ?????"
यह सुन कर मैं तो हैरान ही रह गया .....................!
वो बहुत ही सुंदर है! ३४ २८ ३४ की कमसिन कली ! मैंने भी बिना देर किये भाभी को पूरा नंगा कर दिया और भाभी ने भी मेरा तौलिया हटा दिया और मेरा लंड चूसने लगी !
५ मिनट में मेरा लंड पूरा कड़क हो गया तो वो बोली,"जल्दी चोद दो मुझे ! मेरे पास ज्यादा टाइम नहीं है, तुम्हारे भईया आने वाले हैं ! "
तभी मैंने भाभी को बेड पे लिटाया और पूरा लंड चूत में पेल दिया ! वो चिल्लाई," आह आह ऊऊऊऊउईईईईए............. और फिर खुद भी गांड हिला-हिला कर मेरा साथ देने लगी !
" पचक -पचक .................और मैंने धक्के तेज़ कर दिए ! ३० मिनट तक चोदने के बाद मैंने सारा माल अंदर डाल दिया तभी वो मुझसे यह वादा करके चली गई कि मैं मौका देख के फिर चुदाई करवाउंगी........................ !
उस दिन मैंने दो औरतों को चोदा...................
कुछ दिन बाद पता चला कि भाभी माँ बनने वाली हैं ! उसके अगले दिन वो हमारे घर पर आई और मुझे बताया कि यह उस दिन की चुदाई का ही नतीजा है और वो बहुत खुश थी क्योंकि उनकी शादी के ५ साल बाद भी भैय्या उन्हें बच्चा नहीं दे पाए थे !
दो औरतों को चोदा..
Saturday, March 11, 2017
Didi ki chudai - Hindi chudai story
Sunday, July 12, 2015
बारिश का मौसम था। एक दिन मैं घर पर अकेला था परिवार के सारे लोग तीन दिनों के लिए बाहर गए थे। मैं टी वी देख रहा था कि अचानक दरवाज़े की घण्टी बजी। मैंने दरवाजा खोला तो पड़ोस की रेखा दी(दी) थी। वे मेरे पड़ोस में अपनी सासू माँ के साथ रहती थी। करीब पैंतीस साल की थी, फिगर सामान्य और रंग गेहुँआ था। हाँ, चूतड़ काफ़ी अच्छे थे। उनके पति ने उन्हें छोड़ कर दूसरी शादी कर ली थी। कारण नहीं पता। उसने अपनी माँ को भी छोड़ दिया था। वे ही अपनी सास का ध्यान रखती थी।
उन्होंने पूछा- कोई है नहीं क्या?
मैंने कहा- नहीं सभी लोग तीन दिनों के लिए बाहर गए हैं।
फिर तो मेरा आना बेकार गया !
मैंने कहा- क्यों? कोई खास काम है क्या ?
उन्होंने कहा- हाँ ! काम तो खास ही है।
मैं आपकी कोई मदद कर सकता हूँ? मैंने पूछा।
कोई बात नहीं फिर आ जाऊँगी !
ठीक है !
वे जाने लगी और मैंने दरवाजा बंद कर लिया। ज्यों ही मैं वापस टी वी वाले कमरे में पहुँचा कि फिर घण्टी बजी, मैंने फिर दरवाजा खोला तो सामने रेखा दी थी।
मैंने पूछा- क्या हुआ?
उन्होंने कहा- प्यास लगी है पानी पिला दोगे?
मैंने कहा- हाँ ! क्यों नहीं ! आइए, बैठिए !
फिर मैं पानी लेने अंदर आया। मैंने उन्हें पानी दिया। वे बैठ कर गप-शप करने लगी, उनका इरादा जाने का नहीं लग रहा था। हल्की हल्की बारिश भी होने लगी।
बातों-बातों में उन्होंने पूछ लिया- क्या तुम्हारी कोई गर्लफ़्रेन्ड है?
मैंने कहा- हाँ है !
उन्होंने कहा- अच्छा है ! आज के जमाने में गर्लफ़्रेन्ड न होना किसी शर्मिंदगी से कम नहीं होता।
फिर उन्होंने पूछा- घर पर सबको उसके बारे में पता है?
मैंने कहा- नहीं !
तो मुझे क्यों बताया ? उन्होंने फिर पूछा।
मैंने कहा- मुझे यकीन है आप किसी से नहीं कहेंगी।
इतना भरोसा है मुझपर ?
हाँ। क्यों? जब आप मुझसे यह पूछ सकती है तो जाहिर है किसी से कहेंगी नहीं।
फिर उन्होंने कुछ देर बातें की और कहा- तुम्हारा बाथरुम किधर है?
मैंने कहा- क्यों?
उन्होंने कहा- बाथरुम में लोग क्यों जाते हैं?
मैंने कहा- मेरे पीछे आइए।
मैंने उन्हें बाथरूम का रास्ता दिखाया। बारिश तेज होने लगी। वे बाथरुम से निकलकर आंगन में जोरों की बारिश देखने लगी।
मैंने कहा- अब आप घर कैसे जाएंगी।
उन्होंने कहा- कौन सा जंगल में हूँ ! जब बंद होगी तो चली जाउंगी।
अचानक वे बारिश में चली गई और भीगने लगी।
मैंने कहा- अरे यह क्या ? आप बीमार हो जाएँगी।
उन्होंने मुझसे भी पानी में आने को कहा पर मैंने मना कर दिया। फिर भी उन्होंने मेरा हाथ पकड़कर पानी में खींच लिया। वह पूरी तरह भीग चुकी थी, उनके कपड़े उनके बदन से चिपक गए थे। मैं उनकी सफेद ब्रा और काली पैंटी देख सकता था। मेरा भी खड़ा हो चुका था। मैं समझ रहा था कि उन्हें कुछ चाहिए इसलिए मैंने भी शर्म छोड़ दी। मैंने उन्हें पीछे से अपनी बाहों में भर लिया और उनको अपने लंड का अहसास कराया। उन्होंने हल्की सी आह भरी तो मैं समझ गया कि वे तैयार हैं। फिर क्या था मैं उनके साथ चुम्मा-चाटी करने लगा, उन्होंने भी मेरा पूरा साथ दिया। मैंने उनकी कमीज-सलवार उतार दी। वे अब सिर्फ 2 पीस में थी। मैं पैंटी पर से ही उनकी बुर रगड़ने लगा, वह पानी छोड़ रही थी। फिर वे मेरा लोअर और चढ्ढी सरका कर मेरा लंड अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। मैं मजे से चुसवा रहा था कि उन्होंने मुझसे कहा- अब तुम्हारी बारी।
मैं आंगन में बारिश में ही फर्श पर नंगा लेट गया और वे मेरे मुँह पर अपना बुर लेकर बैठ गई। फिर मैंने उनकी जाँघे फैलाई और बुर चाटने लगा। वह पागल सी हो गई और उनकी आँखें बंद हो गई। तभी दीदी ने जोर से मेरे बाल पकड़ लिए और मुँह पर दबाव बढ़ा दिया। मैं समझ गया कि वो झड़ने वाली हैं। मैंने अपनी एक उंगली उनकी गाँड में डाल दी जिससे उनकी उत्तेजना और बढ़ गई। फिर वह तेजी से झड़ी और मेरे बगल में निढाल हो गई।
मैंने कहा- रेखा दी, आपका तो हो गया और मेरा?
उन्होंने कहा- अभी तो सिर्फ एक बार हुआ है ! अभी तो तीन साल की प्यास बुझानी है। थोड़ा समय दो, तब तक मेरी गाण्ड मार लो !
यह कह कर वह कुतिया बन गई। मैंने उनकी गाण्ड की दरार चौड़ी की, उसके छेद पर अपना लंड टिकाया और एक जोरदार धक्का दिया और पूरा का पूरा लंड एक बार में अंदर चला गया।
वे चिल्लाई- अरे हरामी आराम से !
फिर मैंने धीरे-धीरे चोदना शुरु किया। थोड़ी दिक्कत के बाद मैंने लम्बे लम्बे शॉट लगाने शुरु कर दिए। वे भी मजे से चुदाने लगी।
मैं चरम पर पहुँच गया तो अचानक उन्होंने मुझे रोक दिया और कहा- चलो अब चूत में !
मैंने कहा- मैं झड़ने वाला हूँ ! कुछ हो गया तो?
उन्होंने कहा- कुछ नहीं होगा ! मैं मां नहीं बन सकती और इसीलिए तेरे जीजा ने मुझे छोड़ दिया ! पर तुम टेंशन मत लो और चोदना चालू रखो।
मैंने अपना लंड उनकी गाण्ड से निकाला और उनकी जांघें फैलाकर पीछे से ही उनकी बुर में डाल दिया। फिर लम्बे-2 शॉट लगाने लगा। वे आराम से चुदा रही थी। मैं तेजी से उनकी बुर में झड़ा और उनके ऊपर ही लेट गया।
मैंने कहा- रेखा दी, एक बात पूछूँ?
उन्होंने कहा- पूछो !
आपको पहली बार किसने चोदा था?
भाई ने ! साला एक नंबर का पेलू था। हम दोनों उम्र में लगभग बराबर थे। वह मेरा चचेरा भाई था। हमारा संयुक्त परिवार था। हमारा कमरा एक था, केवल बिस्तर अलग-अलग थे। एक रात में वह मेरे बिस्तर में घुस आया और मेरी चड्डी सरकाकर मेरी गाण्ड में अपनी नुनी लगाकर पेलने लगा। मुझे अच्छा लग रहा था। उसका लंड मेरे दोनों चूतड़ की दरार के बीच में गति कर रहा था। उसने थोड़ा थूक लगाकर उसे और चिकना किया और तेजी से धक्के लगाने लगा। कुछ देर करने के बाद वह ढीला पड़ गया। अब हम अकसर करने लगे। उसे जब भी मौका मिलता, वह मेरी गाण्ड ऐसे ही ऊपर ऊपर से मारता। धीरे धीरे मेरी वासना बढ़ने लगी और अब मैं उसे अपनी बुर में धक्के लगाने को मजबूर करती।
एक दिन घर पर कोई नहीं था तो उसने तेल लगाकर मेरी गाण्ड में अपना लंड डालने की कोशिश की जिससे मुझे काफ़ी दर्द हुआ और मैंने कसम खाई की अब उसे कुछ नहीं करने दूँगी पर हफ़्ते भर में ही मेरी अकड़ टूट गई और एक दिन जब फिर घर पर कोई नहीं था तो मैंने उससे पेलने को कहा। इस बार उसने सावधानी से काम लिया और अपना मोटा लंड मेरी गाण्ड में पेलने की बजाय उंगली डाली। उसने उंगली डालकर और तेल लगाकर पहले मेरी गाण्ड को अपने लंड के हिसाब से चौड़ा किया फिर धीरे धीरे उसमें अपना लंड उतारा। इस बार मुझे काफ़ी मजा आया। वो मेरी गाण्ड में अपना लंड डालकर पेल रहा था।
एक बार हम स्कूल की तरफ से पिकनिक मनाने एक झरने पर गए थे, वहाँ मुझे शू-शू लगी थी, मैंने भाई से कहा।
उसने कहा- चल मेरे साथ !
और फिर वह मुझे झाड़ियों में ले गया, उसने वहाँ भी मेरी गाण्ड मारी। मैंने किसी को उसकी इस हरकत के बारे में नहीं बताया।
अब मैं अकसर कर उससे अपनी गाण्ड मरवाने लगी। यह सब दो सालों से चल रहा था। फ़िर हमारे कमरे अलग कर दिए गये। अब हम कभी कभी ही कर पाते। एक बार तो तीन महीने तक हमें मौका ही नहीं मिला।
एक दिन मौका पाकर सीढ़ियों पर उसने मुझे पकड़ लिया और अपना लंड चूसने को कहा। मैंने इंकार कर दिया। उसने जबरदस्ती करनी चाही तो मैंने कहा- पहले तुम मेरी बुर चाटो।
तो उसने कहा- ठीक है।
उसने मुझे चड्डी उतारने को कहा। मैंने अपनी चड्डी उतार दी, वह मेरे सामने बैठ गया और मेरी बुर के चारों ओर से चाटने लगा पर बुर पर जीभ नहीं फेरी। फिर उठा और कहा- हो गया ! अब तुम्हारी बारी।
मैंने कहा- पर तुमने तो मेरी बुर चाटी ही नहीं?
उसने कहा- चाटी तो !
मैंने कहा- इधर उधर नहीं बल्कि बुर चाटनी थी।
उसने कहा- अच्छा, चल तू भी क्या याद रखेगी !
यह कहकर उसने मेरी बुर फैला दी और फिर उस पर अपनी जीभ फेरने लगा। मुझे मजा आ रहा था। मेरी बुर गीली हो गई। काफ़ी रस निकल रहा था।
उसने कहा- रेखा, तू तो जवान हो रही है।
मैं सुनकर शरमा गई। मैं उसके सर को पकड़ कर जोर जोर से अपनी बुर में धकियाने लगी। उसने एक उंगली मेरी बुर में डाल दी और अंदर बाहर करने लगा।
कुछ ही देर में मैं तेजी से झड़ी। फिर उसने कहा- अब तेरी बारी !
मैंने उसका लंड अपने मुँह में लिया और चूसने लगी। शुरु में तो अजीब लगा पर जल्द ही मुझे आनंद आने लगा मैंने पूरा लुत्फ़ उठाया। एक बार कई दिनों बाद मुझे उसका लंड चूसने का मौका मिला और जब मैं चूस रही थी कि अचानक उसने ढेर सारा पानी छोड़ दिया। मैंने उसे जमीन पर उगल दिया तो देखा- सफेद सफेद सा रस था।
मैंने कहा- यह क्या है?
तो उसने कहा- इधर कुछ दिनों से ऐसा हो रहा है, रात में भी अकसर हो जाता है।
मैंने कहा- तू भी जवान हो रहा है।
फिर एक दिन मेरी एक सहेली ने मुझे बुर की चुदाई के आनंद के बारे में बताया तो मैंने यह बात अपने चचेरे भाई को बताई तो उसने कहा- मौका मिलने ! दो करुंगा।
एक दिन हमें मौका मिल ही गया। मैं नहा रही थी कि किसी ने बाथरुम का दरवाजा खटखटाया। मैंने पूछा- कौन?
उसने कहा- मैं हूँ ! दरवाजा खोलो !
मैंने कहा- नहा रही हूँ !
उसने कहा- जानता हूँ ! घर पर कोई नहीं है, अच्छा मौका है, खोलो !
मैंने खोल दिया और पूछा तो पता चला कि पड़ोस में कोई बीमार है सब वहीं गए हैं। मैं पूरी तरह नंगी थी। उसने मजाक में मेरी चूची पकड़ ली और दबा दिया। मुझे मजा आया तो मैंने फिर से करने के लिए कह दिया तो वह दबाने लगा।
फिर मैंने उसे चुसवाया भी। मेरी बुर गीली हो गई। उसका लंड खड़ा था। मैंने उसे चूसा। फिर उसने मुझे बाथरुम के फर्श पर ही लिटा दिया और मेरी बुर चाटने लगा। कुछ ही देर में मैं उसे चोदने के लिए कहने लगी।
फिर क्या था उसने अपने लंड का सुपाड़ा मेरी बुर के छेद पर टिकाया और अंदर डालने लगा। बुर कसी थी और मुझे दर्द भी हो रहा था। उसने निकालकर एक बार मुझसे अपना लंड चटवाया और फिर पोजिशन में आ गया। इस बार उसने जोर से धक्का दिया और मेरी झिल्ली फट गई और उसका लंड अंदर चला गया, मुझे तेज दर्द हुआ और मैं रो पड़ी।
मेरी बुर से खून आ रहा था, मैं गिड़ गिड़ाने लगी कि वह मुझे छोड़ दे।
उसने कहा- बस दो मिनट।
वह मेरे ऊपर चुपचाप लेटा था। उसका लंड मेरी बुर में था। दो तीन मिनट बाद मैं थोड़ा सामान्य हुई तो उसने अंदर-बाहर करना शुरु किया। कुछ ही देर में मैं दर्द भूल गई और गाण्ड उठा उठा कर उससे चुदवाने लगी। उसने मुझे जी भर के चोदा। इस दौरान मैं कई बार झड़ी। फिर आधे घंटे तक पेलने के बाद उसने मेरी बुर अपने गर्म वीर्य से भर दी।
अब वह मुझे मेरे तीनों छेदों में चोदता। उसने जमकर मेरी जवानी का मजा लिया। बाद में हमारे परिवार में झगड़ा हो गया और हम अलग हो गए। हमारा मिलना जुलना बंद हो गया। फिर वह बाहर पढ़ाई करने चला गया और वहीं शादी करके बस गया।
मेरा एक बार खड़ा हो चुका था। बारिश भी बंद हो चुकी थी। मैंने उन्हें घोड़ी बनने के लिए कहा, उनके ऊपर चढ गया। फिर क्या था उनकी बुर में पीछे से अपना लंड डालकर मैं चोदने लगा, उनकी कमर पकड़ कर लम्बे लम्बे शॉट लगाने लगा। वे दो बार झड़ी। पर मैं नहीं रुका, वे ठंडी हो रही थी तो मैंने अपना लंड बुर से निकालकर उनकी गाण्ड में डाल दिया और पेलने लगा। वे चुपचाप चुदवा रही थी। मैं चरम पर पहुँच गया और स्पीड बढ़ा दी।
मैंने कहा- मैं झड़ने वाला हूँ !
तो उन्होंने कहा- मैं तेरा वीर्य पीना चाहती हूँ।
मैंने कहा- ठीक है !
फिर मैंने अपना लंड निकाला और उसे साफ किया और उनके मुँह में डाल दिया। वे मजे चूसने लगी। फिर मैंने उनका सर पकड़ा और उनके मुँह में ही धक्के लगाने लगा। मेरे लण्ड के उनके गले में फ़ंसने से उनकी आँखों में आँसू आ गए पर उन्होंने मुझे रोका नहीं। मैं तेजी से झड़ा और उनका गला तर कर दिया। हम काफ़ी थक चुके थे। मैंने दोनों के कपड़े उठाए और वाशिंग मशीन में डाल दिए। फिर आकर बिस्तर पर नंगा ही लेट गया। वे भी आई और मेरे बगल में नंगी लेट गई।
कुछ देर उन्होंने एक बार और करने की इच्छा जाहिर की, पर मैंने कहा- आज नहीं ! फ़िर कभी !
सच में वे एक नंबर की चुदक्कड़ थी। जाते जाते उन्होंने मुझे बताया कि उन्हें किरण आंटी ने मेरे बारे में बताया था। और उन्हीं के कहने पर उन्होंने यह सब स्वांग रचा। वे तीन दिनों तक रोज आई और रोज दो बार चुदाई करवाई।
वे अकसर मुझे अपने यहाँ बुलाती भी हैं। उनकी सास को हमारे संबंधों के बारे में पता है पर वे कुछ नहीं बोलती। शायद यह उनकी लाचारी है या फिर बहू की सेवा।