नमस्कार मित्रो, आप सभी ने
मेरी पहली कहानी पढ़ी होगी 'पहला आनन्दमयी एहसास'
इसलिए अपना परिचय मुझे नहीं देना पड़ेगा..
आप सभी के लिए आज मैं कुछ रोचक जानकारी लेकर
आया हूँ, पढ़ें और जानें कि सुहागरात में क्या और कैसे
करना चाहिए..
जब सुहागरात को दुल्हन कमरे में बैठी होती है उस
समय जब दूल्हे को कमरे में भेजकर भाभियाँ बाहर से
कुंडी लगा देती हैं तो दूल्हे को चाहिए
कि कुंडी खुलवाने के लिए थोड़ा सा निवेदन करने के
बाद स्वयं अंदर से दरवाजे का कुंडी अंदर से लगा दे।
अब दूल्हे को चाहिए कि वह अपने सुहागसेज
की तरफ आगे बढ़े। इसके बाद दुल्हन का कर्तव्य
बनता है कि वह अपने पति का अभिवादन करने के
लिए सेज से उतरने की कोशिश करे। इसके बाद दूल्हे
को चाहिए कि वह अपनी पत्नी को बैठे रहने के
लिए सहमति दे तथा इसके साथ ही थोड़े से फासले
पर बैठ जाए।
इस समय में दुल्हन को चाहिए कि वह अपने मुखड़े
को छिपाये लज्जा की प्रतिमूर्ति के सामान
बैठी रहे क्योंकि लज्जा ही तो स्त्री की मान
मर्यादा होती है। इस समय में दुल्हन के अंदर यह
गुण होने आवश्यक है, जैसे- अदा, नखरे, भाव
खाना तथा शर्मो-हया आदि।
हम आपको यह भी बताना चाहते हैं कि स्त्री के
नाज तथा नखरे पर पुरुष दीवाना हो जाता है।
लेकिन स्त्रियों को इस समय यह ध्यान
रखना चाहिए कि पुरुष नखरों से निराश होकर
उदास हो, उससे पूर्व ही समर्थन और
सहमति स्वीकार कर लेना चाहिए अन्यथा नाज
नखरों का आनन्द दुःख में बदल जाएगा।
जब कोई स्त्री स्थायी रूप से नाज तथा नखरे
करती है तो उसका पति उससे सेक्स करने के लिए कुछ
हद तक तैयार हो जाता है।
अब दूल्हे को चाहिए कि वह दुल्हन का घूंघट धीरे-
धीरे उठाए तथा मुँह दिखाई की रस्म
को पूरा करते हुए कोई उपहार जैसे अंगूठी, चेन,
हार आदि दुल्हन को देना चाहिए। इसके बाद
पति को चाहिए कि वह पत्नी के साथ कुछ मीठी-
मीठी बातें करते हुए परिचय बढ़ाए।
इसके बाद पति को चाहिए कि वह मेज पर रखी हुई
जलपान सामग्री पलंग के पास ले आये। वैसे देखा जाए
दाम्पत्य जीवन में खाना बनाना,
खिलाना या परोसने का कर्तव्य
पत्नी का बनता है लेकिन पहली रात के समय में
पति को ही यह कर्तव्य करना चाहिए क्योंकि उस
समय पत्नी बिल्कुल अंजान रहती है।
इसलिए पति ही मिष्ठान आदि परोसता है।
पति को एक बात का ध्यान रखना चहिए
कि पत्नी को मिष्ठान आदि का भोग कराते समय
पत्नी को अपना परिचय दें तथा बढ़ाने
की चेष्ठा बराबर करते रहनी चाहिए।
पति को अपने परिवार के सदस्यों,
रस्मों तथा रिवाजों को बताना चाहिए। इसके
बाद पति को चाहिए कि यदि अपना परिचय
दुल्हन देने लगे तो उसकी बात को ध्यान से सुने
या वह ऐसा न करे तो खुद ही उसे पूछना शुरू
करना चाहिए और यह भी ध्यान रखना चाहिए
कि यदि वह अपने बारे में कुछ न बताना चाहे
तो उसे मजबूर न करें और प्यार से बाते करें।
इस समय में पत्नी का कर्तव्य यह बनता है कि वह
लज्जा अनुभव न करके बराबर हिस्सा ले।
इस समय में पति को चाहिए कि पहली रात में
अपनी पत्नी के हाथों को स्पर्श करे, इसके बाद
उसके रूप की प्रशंसा करे, उसे अपने हंसमुख चेहरे
तथा बातों से हंसाने की कोशिश करे। इसके बाद
धीरे-धीरे जब पत्नी की शर्म कम होती जाये
तो उसे आलिंगन तथा चुम्बन करे।
यदि स्त्री प्रकाश के कारण संकोच कर रही है
तो प्रकाश बंद कर दे या बहुत हल्का प्रकाश कर
दे।
वैसे देखा जाए तो विवाह के बाद पुरुष
की लालसा रहती है कि जल्दी ही अपने जीवन
साथी से मिलने का अवसर मिल जाए तो सेक्स
क्रिया का आनन्द उठाये। यह उतावलापन
तथा कल्पना हर पुरुष के मन में होता है।
सभी पुरुष को ध्यान रखना चाहिए कि सुहागरात
के दौरान जब तक स्त्री सेक्स क्रिया के लिए
तैयार और सहमत न हो तो संभोग क्रिया सम्पन्न
नहीं होती और यदि होती भी हो तो सेक्स
क्रिया का आनन्द एक तरफा होता है।
इसलिए पुरुष पहले स्त्री के साथ फॉर-प्ले (पूर्व-
क्रीड़ा) करें ताकि वह सेक्स के लिए तैयार
हो जाए, तभी आपका मिलन ठीक प्रकार से
हो सकता है।
यदि पत्नी आपके साथ आलिंगन-चुम्बन में सहयोग देने
लगे तो पुरुष को चाहिए कि वह उसके शरीर के कई
उत्तेजक अंगों को छूने का प्रयास करें जैसे-
स्तनों का स्पर्श करें, धीरे-धीरे उनको सहलाएं
तथा बाद में धीरे-धीरे दबाए।
इसके बाद पुरुष को चाहिए कि उसकी कमर, जांघ
तथा नितंब आदि की तारीफ करे और धीरे-धीरे
अपने हाथों से उसके कपड़े को उठाकर,
हाथों को अंदर डालकर जंघाओं को सहलाए।
इसके बाद धीरे-धीरे अपने हाथों से
उसकी योनि को स्पर्श करें तथा छेड़खानी करें।
भगोष्ठों पर भी धीरे-धीरे हाथ फेरे और स्पर्श
को भंगाकुर तक पहुंचाये, साथ ही साथ उससे
कामोत्तेजित बाते भी करता रहे ताकि उसके अंदर
सेक्स की आग भड़कने लगे।
इस प्रकार से फॉर प्ले का उपयोग करके
पत्नी को कामोत्तेजना के मार्ग पर ले जाए
ताकि उसके मन से किसी भी प्रकार का संकोच
खत्म हो जाए। ऐसा करने से पत्नी का संकोच खत्म
हो जाता है जिसके कारण से वह खुद
ही पति को आलिंगन तथा स्तनों को दबवाने
लगती है, अपनी योनि का स्पर्श पति से करवाने
लगती है। इस क्रिया के समय में उसकी सांसें भी तेज
चलने लगेंगी और कांपने लगेगी।
जब इस प्रकार की क्रिया पत्नी करने लगे
तो पुरुष को समझ लेना चाहिए कि वह अब सेक्स के
लिए पूरी तरह से तैयार हो चुकी है।
अब पुरुष को चाहिए कि अपने पत्नी के माथे
को होठों से चूमे, इसके बाद उसके
होठों को भी अपने होठों से चूमे तथा इसके साथ
ही साथ उसके चेहरे के इधर-उधर तथा स्तन के पास
के भागों को भी चूमते रहे। ऐसा करने से उसके अंदर
की सेक्स उत्तेजना और भी बढ़ने लगेगी।
अब पति को चाहिए कि वह पत्नी को धीरे फॉर
प्ले करने के साथ-साथ पलंग की तरफ ले जाकर
लिटाने की कोशिश करे और उसके स्तनों पर के सारे
कपड़े को उतार दें। फिर इसके बाद अपने हाथों से
स्तनों को सहलाते हुए दबाएं। इस प्रकार से
क्रिया करते समय पत्नी के मुंह से कई प्रकार
की आवाजें निकलती हैं।
इसके बाद पत्नी के शरीर के नीचे के कपड़े
भी पूरी तरह से उतार देना चाहिए।
उसके कपड़े को उतारने के लिए सबसे पहले उसके नाड़े
को ढीला करें। इसके बाद जब वह केवल पेंटी पर रह
जाये तो कुछ देर तक उसे इसी अवस्था में रहने दे
तथा साथ ही साथ उसके पूरे शरीर
को दबाना तथा सहलाना चाहिए। इसके बाद अपने
लिंग को उसके तन से स्पर्श कराना चाहिए।
इस समय यदि पत्नी पति के इस प्रयास में साथ
देती रहे तो पति को चाहिए कि वह पत्नी के
स्तनों को और भी जोर से सहलाए। जब
पति पत्नी के स्तनों को इस तरह से सहलाता है
तो स्त्री को बहुत अधिक सुख तथा आनन्द मिलने
लगता है। इस समय पत्नी के मन में कई प्रकार के
विचार भी आते हैं जैसे- मेरा पति सबसे बलवान है,
मेरी किस्मत इतनी अच्छी है जो मुझे ये मिले,
मेरी आज रात सारी ख्वाहिशे पूरी हो जायेंगी और
यह भी सोचती है कि यह मेरे साथ क्या-क्या कर
रहे हैं।
इस अवस्था में कुछ स्त्रियाँ तो ऐसी भी होती हैं
जो पति द्वारा पेटी कोट खोलने के प्रयास
को रोकने का प्रयास करती हैं लेकिन धीरे-धीरे
वह अपने प्रयास को स्वयं ही खत्म कर देती हैं और
निर्वस्त्र हो जाती हैं।
फिर दोनों आपस में एक-दूसरे को बाहों में लेकर
आलिंगन करने लगते हैं। वे दोनों कुछ समय तक
इसी अवस्था में रहते हैं तथा इसके बाद
पति को चाहिए कि वह अपनी पत्नी के माथे,
स्तन, छाती तथा कानों के पास के भागों को चूमे।
इस अवस्था में ही उसके नितंबों को सहलाते रहे।
इसके बाद उसके स्तनों को दबाएं तथा सहलाएं और
उसकी जांघों के बीच में हाथों को फ़िराते रहे।
ऐसी स्त्रियाँ अपने पति से अधिक शर्माती हैं
क्योंकि यह पति-पत्नी दोनों के लिए पहली मिलन
की रात होती है।
वह अपने हाथों से स्तनों को छिपाने
तथा दोनों जांघों को सटाकर
अपनी योनि को छिपाने का प्रयास
करेंगी तथा अपनी आंखों को बंद कर लेंगी।
ऐसी स्थिति में पति को धैर्य से काम लेना चाहिए
और किसी भी प्रकार का उतावलापन
नहीं दिखाना चाहिए। उसे यह समझना चाहिए
कि वह यहां पर सभी से अंजान है और इसलिए
ऐसा कर रही है।
इसके बाद पति को चाहिए कि वह प्यार से
पत्नी की सभी चिंता तथा फिक्र को दूर करे, इसके
साथ ही साथ फोर प्ले करता रहे।
ऐसा करने से कुछ ही देर में
स्त्री की योनि गीली होने लगती है और उसमें
भी संभोग की कामना होने लगती है।
इस प्रकार से सेक्स क्रिया करने से
दोनों की कामवासना अधिक तेज होने लगती है
तथा कुछ देर में स्त्री भी अपनी जांघों को खोलने
लगती है।
यदि किसी कारण से पत्नी में कामवासना न जाग
रही हो तो पुरुष को चाहिए कि पत्नी के भंगाकुर
को अच्छी तरह से सहलाए। इसके बाद अपनी तीन-
चार उंगलियों को मिलाकर योनि में प्रवेश करके
अंदर-बाहर, ऊपर-नीचे करना चाहिए।
इस प्रकार क्रिया करने से ठंडी से
ठंडी स्त्री भी कामोत्तेजित होकर सेक्स
क्रिया करने के लिए उतावली हो जाती है।
यह जानना आवश्यक है कि स्त्री की योनिद्वार
अत्यधिक सिकुड़ी हुई होती है। इसमें पहली बार
लिंग का प्रवेश करना आसान नहीं होता,
बल्कि इसे आसान बनाना पड़ता है।
इस काम के लिए पुरुष को पहले से ही कहीं क्रीम,
वैसलीन या तेल जैसा कोई भी चिकना पदार्थ पहले
से रखना चाहिए ताकि लिंग को योनि में प्रवेश
कराने से पहले उस पर चिकना पदार्थ लगा ले।
वैसे तो इस समय में स्त्री की योनि और पुरुष
का लिंग अपने आप ही अन्तर्रस से भीग जाते हैं
लेकिन चिकनाहट के लिए कभी-कभी पर्याप्त
नहीं साबित हो पाता।
अब पुरुष को चाहिए कि स्त्री के
जांघों को फैलाकर दोनों पैरों को धीरे से उठाकर
लिंग को योनि के मुख पर रख धीरे-धीरे दबाव डाले
ताकि लिंग योनि के अंदर घुस जाए। इसके बाद
धीरे-धीरे घर्षण करें, जिससे योनि पूरी तरह तरल
पदार्थ से भीग जाएगी। अब पुरुष
को स्त्री की जंघाओं को थोड़ा और फैलाकर लिंग
को योनि में प्रवेश करवाएं तथा धीरे-धीरे
धक्का लगा-लगाकर घर्षण करे।
यदि स्त्री की योनि अक्षत हो तो भी लिंग
का दबाव पड़ने से योनि का आवरण फट
जाएगा तथा लिंग आराम से आगे की ओर अग्रसित
होगा।
कभी-कभी योनि आवरण पहले से भी फटा होता है,
इसका अर्थ यह बिल्कुल भी नहीं है
कि स्त्री का शादी से पहले ही किसी के साथ
संभोग हो चुका है। ऐसा संदेह पुरुष को बिल्कुल
भी नहीं करना चाहिए क्योंकि स्त्री का अक्षत
तो किसी भी कारण से फट सकता है जैसे- अधिक
मेहनत का कार्य करने, अधिक व्यायाम करने,
साईकिल चलाने, दौड़ने, खेल-कूद करने, सवारी करने
आदि से।
इस तरह से सेक्स क्रिया करने के दौरान थोड़ा-
सा आराम कर लेना चाहिए। इस बीच में स्त्री से
प्यार भरी बाते करे।
इसके बाद फिर से योनि में लिंग को प्रवेश कराके
धीरे-धीरे घर्षण चालू करते हुए ज्यों-ज्यों उद्वेग
बढ़ता जाए, घर्षण की गति को बढ़ाते
जाना चाहिए।
जब स्खलन होने लगे तो भी लिंग को योनि में रहने
दें क्योंकि स्खलन के बाद भी लिंग का योनि में
रखना स्त्री को सुखानुभूति प्रदान करता है।
अधिकतर सुहागरात के समय पुरुष
अपनी कामोत्तेजना को शांत करने के बाद यह
नहीं देखता है कि मेरी पत्नी भी संतुष्ट हुई है
या नहीं।
यदि स्त्री संतुष्ट हो जाती है तो उसका शरीर
ढीला पड़ जाता है, पसीना आने लगता है, आंखे बंद
हो जाती हैं और लज्जा उसके चेहरे पर दुबारा से
दिखाई देने लगती है।
जब इस प्रकार से संभोग क्रिया खत्म हो जाती है
तो स्त्री-पुरुष दोनों को अपने-अपने अंगों को साफ
करके दूध या शक्तिदायक और जल्दी से पचने वाले
पदार्थों का सेवन करना चाहिए।
इसके बाद प्रेमालाप करते हुए आलिंगबद्ध होकर
सो जाएँ। निश्चय ही यदि कोई
पति अपनी पत्नी का हृदय सेक्स क्रिया के समय
ही जीत लेता है और यह जीत जोर जबर्दस्ती से
नहीं बल्कि पत्नी का विश्वास अर्जित करने के
बाद करता है, तो दोनों के लिए मिलन की यह
रात यादगार हो जाती है।
संभोग वाली रात को यह क्रिया पत्नी के
सहमति से हो तो इसके बाद स्त्री अपने जीवन में
यह पहली संभोग हमेशा के लिए याद रखती है और
अपने पति पर जीवन भर विश्वास करती है।
इससे पति भी जीवनभर के लिए पत्नी का विश्वास
जीत ही लेता है, दम्पत्ति का पूरा जीवन
सरसता के सागर में क्राड़ा करते हुए
ही गुजरता है।
आज के समय में परिस्थितियां इतनी अधिक बदल
चुकी हैं कि पहले की तरह शादी के बाद दस
रात्रि तक बिना सेक्स क्रिया के रहना सहज
ही संभव नहीं रहा है।
फिर भी पहली मिलन की रात या सुहागरात
को पत्नी के सहयोग से ही यह क्रिया पूर्ण
कीजिए बलपूर्वक नहीं, क्योंकि इससे
आपका वैवाहिक जीवन तबाह हो सकता है।