अंदर जा कर पुछू उसे? क्या इस तरह बहु के कमरे में जाना ठीक होगा?
मेरा नाम हरिराम है. उम्र 52 साल. गाँव में स्कुल टीचर था. मेरा बेटा राहुल मुंबई में बड़ी कम्पनी में मेनेजर था. मेरी पत्नी का अभी दो महीने पहले ही देहांत हुआ था. बेटे के आग्रह करने पर स्कुल की नौकरी से इस्तीफा दे कर हंमेशा के लिए शहर में आया था.
मेरे बेटे के परिवार में उस की बीवी मोहिनी और पांच साल की एक बेटी पिंकी थी.
मोहिनी अच्छे घर से आई है. पढ़ी-लिखी, सुन्दर, सुशील और संस्कारी लड़की है. मेरा बड़ा ही आदर करती है. रोज सुबह मेरे पांव छूती है. जब वह झुकती है तब उस की धोती का पल्लू गिर जाता है. में इतना कमीना हु कि उस की नंगी छाती देखते रहता हु. वह सब समझती है पर मुस्कुराती रहती है. सपने में हमेशा ही उसे अपनी बाहों में भर कर सोता हूँ. उसे ढेर सारा प्यार करता हूँ.
हाय रे नसीब! सपने भी कभी सच होते है क्या?
फिर एक बार झांक कर देखा. बहु का जवान बदन और ऊपर उठे हुए बड़े बड़े गोल कुल्हे देख कर रहा नहीं गया. सीधा अंदर चला गया. मन किया कि उसके कुल्हे थपथपा कर पुछू कि क्या हुआ मेरी जानेमन? किसी तरह अपने आप को संभाला और पूछा, ‘क्या हुआ बहु, क्यूं रो रही हो?’
मुझे देख कर वह और जोर से रोने लगी.
‘अरे बहु, हुआ क्या है? क्या आसमान गिर गया है या धरती फट गयी है? बताती क्यूं नहीं?’ मैंने कहा.
वह उठ कर ठीक से बैठी. धोती के पल्लू से आंसूओ से भीगा चेहरा साफ करने लगी. जैसे पल्लू हटा उस की छाती खुली हो गयी. उसके बड़े बड़े स्तन छोटी सी चोली में समां नहीं रहे थे. मेरी नजरे कहा टीकी हैं यह देख कर वह शरमा गई. अपनी छाती ढंक कर बोली, 'बाबूजी, आपका बेटा राहुल मुझसे प्यार नहीं करता!’
में चौंक गया. 'बहु, यह तुमने बहुत बड़ी बात कह दी. मुझे बताओ, बात क्या है?' वह कुछ सोच में पड़ी. मैंने फिर कहा, 'बहु, शरमाओ मत, जो भी है कहो, में तुम्हारे पिता समान हूँ.'
कुछ पल सोचने के बाद वह बोली, 'बाबूजी, कुछ दिनों से मेरे बदन में बहुत दर्द रहता है. दवाई भी खा रही हूँ. फिर भी ठीक नहीं हो रहा. डोक्टर से पूछा तो उन्हों ने कहा, दवा के साथ साथ मालिश भी जरुरी है. मैंने राहुल से कहा कि मेरी थोड़ी मालिश कर दो तो वह गुस्सा हो गया. कहने लगा, में मर्द हूँ! में क्यूं बीवी की मालिश करूं? बाबूजी, आप बताइए, क्या अपनी बीवी की मदद करने से वह मर्द नहीं रहेगा?’ वह फिर रोने लगी.
में सोच में पड़ा.
वह कहने लगी, 'छोडिये बाबूजी, आपको खामखा तकलीफ दी.'
मैंने सोचा, यही मौका है! मैंने कहा, 'बहु, में तुम्हारी मदद कर सकता हूं. अगर तुम्हे एतराज़ न हो तो में तुम्हारे बदन क़ी मालिश करने को तैयार हूं!
'सच?' वह खुश हो गयी. जैसे उसे ईसी बात का इन्तेजार था! लेकिन दुसरे ही पल वह मुरजा गई. बोलने लगी, 'बाबूजी, किसी को पता चल गया तो?'
'अरे पगली!' मैंने उस का हाथ पकड़ लिया. ' कैसे किसी को पता चलेगा? क्या तुम लोगों को कहने जाओगी कि तुम्हारा ससुर तुम्हारे बदन क़ी मालिश करता है?'
'नहीं!'
'और में भी क्यूं किसी को बताने लगा!' मैंने कहा, 'चलो, कहो तो अभी शुरुआत करते है!'
'अभी?' वह डर गयी थी.
' क्यूं नहीं? अच्छे काम में देरी क्यूं?' कह कर मैं हाथ मलने लगा.
'अच्छी बात है.' कह कर वह उठी और तेल गरम कर के लायी. तेल क़ी डिबिया मुझे थमा कर वह बिस्तर में औंधी लेट गयी. उस के बड़े बड़े कुल्हे देख कर मेरे अंदर कुछ कुछ होने लगा. किसी तरह अपने आप को संभाल कर मैंने पूछा, ‘बहु, कहाँ से सुरु करू?'
'बाबूजी, जहाँ ठीक लगे सुरु करो, सारे बदन में दर्द है!' उसने अपने कुल्हे मटकाए.
मैंने धीरे धीरे से उसकी नंगी पीठ पर तेल मला और मालिश क़ी.
बहु ने धोती घुटनों तक उपर खिंची. मैंने उस की नंगी टांगे पर तेल मला और मालिश क़ी. धोती के अंदर हाथ डाल कर मैंने उस की रेशम सी मुलायम जांघे सहलाई. वह सिहर उठी. बोली, 'बाबूजी, ऐसा मत करो!' वह कुछ ऐसे ढंग से बोली कि में उत्तेजित हो गया. तुरंत ही उस को उल्टा कर उस के बड़े कुल्हे पर भी हाथ घुमाया.
मैंने देखा वह मुस्कुरा रही थी. मैंने तेल क़ी डिबिया बाजु पर रखी और उस की कमर अच्छी तरह सहलाई.
'उह्ह्ह!' उस के गले से हलकी सी आवाज नीकली.
'क्या हुआ बहु?' मैंने सहम कर पूछा.
वह बोली, 'बाबूजी, थोडा अच्छा दबाइए ना?’
वह मुझे खुल्ला आमंत्रण दे रह थी! मेरे बदन में खून गरम हो गया. वह औंधी लेटी थी. में उस के बदन से पूरा सट गया. मैंने हलके से उस की दोनों छाती को पकड़ा.
वह थर्रा उठी. बोली, 'बाबूजी, क्या कर रहे हो?'
मैंने कहा, 'जो मुझे करना चाहिए!' ईतना कह कर में उस की छाती दबाने लगा.
उसने मेरे हाथ पकड़ लिए. बोलने लगी, 'बाबूजी, यह आप ठीक नहीं कर रहे है!’
मैंने कहा, 'बहु, यह तुम्हारी चोली बीच में आ रही है! ईसे निकाल दो तो ठीक से कर पाउँगा!’ ईतना कह कर मैंने उसे अपनी गोद में खींच लिया और उस की चोली के हुक खोलने लगा. वह 'नहीं! नहीं!' करती रही और कुछ ही देर में मैंने उस की चोली निकाल कर फेंक दी! उसे अपने बदन से लगा लिया और उसकी oछाती को अच्छी तरह मसलने लगा. उस की नंगी पीठ और गर्दन को मैंने बार बार चूमा.
उसने पलट कर मेरे होठो से होठ लगा लिए. वह बोली, 'बाबूजी, आप तो बड़े ही शैतान निकले!’
मैं उस के बदन को रगड़ने लगा. कुछ ही देर में मैंने उस की धोती, पेटीकोट और पेंटी निकाल कर फेंक दी और उसे संपूर्ण नग्न कर दिया. वह हाथो में मुह छीपा कर शरमाने का नाटक करने लगी. मैंने उस के बड़े गोल कुल्हे प्यार से थपथपाए. उसने मेरा हाथ अपनी योनी पर रखवाया और बोली, 'बाबूजी, ईसे भी थोडा प्यार करो!’
मैंने उस की योनी को सहलाया. अच्छी तरह रगडा. उस की योनी में उंगली घुसेड कर अंदर-बाहर करने लगा. वह 'ऊह... आह...' करने लगी. कुछ ही देर में वह मेरे कपडे खींचने लगी. मैं अपने कपडे निकालने लगा. वह बेसब्री से ‘जल्दी करो, जल्दी करो’ चिल्लाने लगी.
मेरा हथियार देख कर वह बड़ी खुश हुई. छू कर बोली, 'कितना बड़ा और कड़क है! बाबूजी, जल्दी करो, में ईसे अपने अंदर लेने के लिए बड़ी बेताब हूँ!’
में बहु के ऊपर चढ़ गया. मेरा बड़ा और कड़क हथियार उसके छेद के अंदर डाल कर खूब अच्छी तरह रगडा. वह बहुत खुश हुई. बोली, 'आपका बेटा ईतना अच्छा नहीं रगड़ सकता!’
फिर हम दोनों बाथ-टब में साथ में नहाये. एकदूसरे के नंगे बदन को खूब टटोला और बहुत चूमा-चाटा. साथ में ही खाना खाया और मेरे कमरे में जा कर एकदूसरे को लिपट कर सो गए.
दोपहर में तीन बजे मेरी पोती स्कुल से वापस आई . उसे खाना खिलाकर, उसके कमरे में सुला कर बहु फिर मुझसे लिपट कर सो गयी.
मैंने कहा, 'मेरी प्यारी मोहिनी, आज मेरा एक सपना पूरा हो गया!'
मेरी निपल को अपने नाखुनो से खरोंचते हुए उसने पूछा, 'कैसा सपना मेरे प्यारे बाबूजी?'
मैंने कहा, 'यही, मेरी बहु को मेरी बाहों में लेकर सोना! गाँव से आया हू तब से यही एक सपना देख रहा था!’
'बहुत ही नीच और नालायक ससुर हो! अपनी बेटी समान बहु को ऐसी गन्दी नजर से देखते हो?' उसने मुझे बहुत सारे हलके हलके चांटे मारे. मैंने भी उस के कुल्हे पर कई सारे फटके दिए.
फिर उसने मुझे बहुत सारे चुम्मे किये. बोली, 'मेरी भी एक इच्छा आज पूरी हुई.'
'कौनसी इच्छा?' मैंने पूछा.
'आपको सुबह में वर्जिश करते देखती थी तब मन में विचार आता था, एक बार , एक बार अगर बाबूजी अपने कसरती बदन से मुझे कुचल दे!’
'एक बार नहीं, बहु, में तुम्हे बार बार कुचलूँगा!' कह कर मैंने उसे बहुत सारे चुम्मे किये.
मेरे बेटे राहुल के ऑफिस जाने के बाद और मेरी पोती के स्कुल से लौटने के पहले हमें ४-५ घंटे का एकांत मिलता था. उसी एकांत में हमारा प्यार पनपा. मेरी बहु के पेटमे मेरा बच्चा साँस लेने लगा. पूरे दिन पर उसने सुंदर और स्वस्थ बेटे को जन्म दिया. बहु ने हमारा प्यार अमर रखने के लिए उस का नाम हेरी रखा है. राहुल उसे अपना ही बेटा समजता है.
मोहिनी और और मेरे प्रेमसंबंध को आज पंद्रह वर्ष हो गए है. उम्र बढ़ने के साथ वह और ज्यादा हसीन हो गई है. चौदह वर्षीय हेरी, मोहिनी और मैं तीनो कई बार बाथटब में संपूर्ण नग्न हो कर साथ साथ नहाते है और खूब मस्ती करते हैं.
राहुल और मोहिनी की बेटी यानि कि मेरी पोती पिंकी अब बीस वर्ष की जवान हो गई है. उस का रूप मोहिनी जैसा ही लुभावना है. वह घर में बहुत छोटे कपड़े पहनती है. आज कल मैं उसे मेरे बिस्तर में लिटाने के चक्कर में हूँ.