मेरा नाम राज है।तब मेरी उम्र १९ वर्ष थी मेरे अन्दर सेक्स का कीडा
भडक रहा था। मेरी छुटि्टयॉ चल रही थी। हमारे घर के सामने वाले घर मे एक लड़की
रहती है।उसका नाम पूजा है। हम दोनो बचपन से ही बहुत अच्छे दोस्त हैं। इस बार
मैं द्यर दो सालों के बाद आया था। मतलब की हम दोनो पूरे दो सालों के बाद मिले
थे। और अब वह पहले वाली पूजा नहीं थी अब वह बला की खूबसूरत हो गयी थी।
उसका भरपूर १७ वर्ष के जिस्म ने मेरे अन्दर की आग को और भडका दिया था। उसके
बूब्स काफी बडे थे वो उसकी टाईट टीशर्ट में बिल्कुल गोल दिखते थे जिन्हे
देखकर उन्हे हाथ में पकडने को जी चाहता था। वह अकसर शार्ट डे्रस पहना करती
थी।बचपन में मैने बहुत बार खेलते हुए पूजा के बूब्स को देखा था जो कि शुरू से
ही आम लड़कियों के बूब्स से बड़े थे और कभी कभी छू भी लेता था लेकिन मेरा मन
हमेशा उनको अच्छी तरह दबाने को करता रहता था लेकिन मुझे डर लगता था कि कहीं
वो अपने द्यर वालों न बता दे क्योंकि मेरी उसके बड़े भाई के साथ बिलकुल भी
नहीं बनती थी। वो पूजा को भी मेरे साथ न बोलने के लिये कहता रहता था लेकिन
पूजा हमेशा मेरी तरफ ही होती थी। लकिन अब पूजा बड़ी हो चुकी थी और जवानी उसके
शरीर से भरपूर दिखने लगी थी।मैं उस को चोदने के लिये और भी बेकरार हो रहा था।
लेकिन अब वह पहले की तरह मेरे साथ पेश नहीं आती थी।एसा मुझे इस लिये लगा
क्योंकि वो मेरे ज्यादा पास नहीं आती थी।दूर से ही मुस्करा देती थी।
लेकिन एक दिन मेरी किस्मत का सितारा चमका और मैने पहली बार एसा द्रिष देखा
था।उस दिन मैं तकरिबन ११ बजे सुबह अपनी छत पर धूप में बैठने के लिये गया
क्योंकि उन दिनों सर्दियां थी। मैं अपनी सब से ऊपर वाली छत पर जा कर कुरसी पर
बैठ गया।वहां से सामने पूजा के द्यर की छत बिलकुल साफ दिख रही थी।मैं सोच रहा
था कि पूजा तो स्कूल गयी होगी लेकिन तभी मैने नीचे पूजा की आवाज सुनी मैने
नीचे देखा पूजा के मम्मी पापा कहीं बाहर जा रहे थे। थोड़ देर बाद पूजा अन्दर
चली गयी।मैं सोच रहा था कि आज अच्छा मौका है और मैं नीचे जाकर पूजा को फोन
करने के बारे मे सोच ही रहा था कि मैने देखा पूजा अपनी छत पर आ गयी थी।मैं उस
को छुप कर देखने लगा क्योंकि मै पूजा को नही दिख रहा था।उस दिन पूजा ने शर्ट
और प्जामा पहन रखे थे और ऊपर से जैकिट पहन रखी थी।वह अभी नहाई नही थी।तभी उस
ने धूप तेज होने के बजह से जैकिट उतार दी और कुरसी पर बैठ गयी। उस ने अपनी
टांगे सामने पड़े बैड पर रख ली और पीछे को हो कर आराम से बैठ गयी जिस की बजह
से उस के बड़े बड़े बूब्स बाहर को आ गये थे।
मेरा दिल उनको चूसने को कर रहा था और मैं बड़े गौर से उस के शरीर को देख रहा
था।तभी अचानक पूजा अपने बूब्स की तरफ देखने लगी और उसने अपने हाथ से ठीक करने
लगी।उसके चारों तरफ ऊंची दीवार थी इसलिये उसने सोचा भी नही होगा कि उस को कोई
देख रहा है।उसी व्कत उस ने अपनी शर्ट के ऊपर वाले दो बटन खोल दिये।मेरे को
अपनी आंखो पर विशवास नहीं हो रहा था कि मै यह सब देख रहा हूं। मैने अपने आप
को थोड़ा संभाला। लेकिन तब मैं अपने लण्ड को खड़ा होने से नही रोक पाया जब
मैने देखा कि उस ने नीचे ब्रा नहीं डाला हुआ था और आधे से ज्यादा बूब्स शर्ट
के बाहर थे।मैने अपने लण्ड को बाहर निकाला और मुठ मारने लगा।
जब मैने फिर देखा तो पूजा का एक हाथ शर्ट के अन्दर था और अपने एक मुम्मे को
दबा रही थी और आंखे बन्द कर के मझे ले रही थी ।तभी उस ने एक मुम्मे को बिलकुल
शर्ट के बाहर निकाल लिया जो कि बिलकुल गोल और बहुत ही गोरे रंग का था।उसका
निप्पल बहुत ही बड़ा था जो कि उस समय इरैकट था और हलके भूरे रंग का था। मैं
यह सब देख कर बहुत ही उतेजित हो रहा था और अपनी मुठ मार रहा था। तभी उसने
अपनी शर्ट का एक बटन और खोल दिया और अपने दोनो बूब्स बाहर निकाल लिए। फिर
उसने अपने दोनो हाथों की उगलिुयों से निप्पलस को पकड़ कर अच्छी तरह मसलने
लगी। काफी देर तक वो अपने बूब्स को अच्छी तरह दबाती रही। थोड़ी देर बाद वह
कुर्सी से उठी और बैड पर लेट गयी। एक हाथ से उसने अपने बूब्स दबाने शुरू कर
दिए और दूसरा हाथ उसने अपने पजामे मे डाल लिया और अपनी चूत को रगड़ने लगी।
अब उस को और भी मस्ती चड़ने लगी थी और वह अपनी गांड को भी उपर नीचे करने लगी
थी।मैं अभी सोच ही रहा था कि खड़ा हो कर उस को दिखा दूं कि मैं उस को देख रहा
हूं तभी मेरा हाथ मे ही छुट गया और मैं अपने लण्ड को कपड़े से साफ करने लगा।
जब मैने फिर देखा तब तक पूजा खड़ी हो गयी थी लेकिन उसके बूब्स अभी भी बाहर ही
थे और वो वैसे ही नीचे चली गयी। लेकिन फिर भी मै बहुत खुश था लेकिन फिर मेरे
को लगा कि मैने पूजा को चोदने का मौका गवा दिया। मुझे खड़ा हो जाना चाहिए था।
एसा करना था वैसा करना था। तभी मेरे दिमाग मे एक आइडिया आया। और मैं जलदी से
नीचे गया और पूजा के द्यर फोन कर दिया। पहले तो वह मेरी आवाज सुन कर थोड़ी
हैरान हुई क्योंकि फोन पर हमारी ऐसे कभी बात नही हुई थी लकिन वह बहुत खुश थी।
लेकिन मैं उस से सेक्स के बारे में कोई भी बात नही कर सका। इधर उधर की बातें
करता रहे। उस दिन हम ने २ द्यटें बातें की और फिर उसका भाई विशाल आ गया था।
शाम को उसने मुझे फिर फोन किया और हमने १ द्यटां बति की और फिर रोजाना हमारी
फोन पर बातें होने लगी और द्यर पर भी अकसर आमने सामने हमारी बातें हो जाती
थी। छत पर भी हम एक दूसरे को काफी काफी देर देखते रहते थे। लेकिन मेरे को
उसके भाई से बहुत डर लगता था इस लिए जब वह द्यर पर होता था मै पूजा से दूर ही
रहता था।
एक बार विशाल की बजह से हमारी पूरे २ दिन बात नही हुई और हम दोनो बहुत परेशान
थे और हम छत पर भी नही मिल पाए और विशाल ने उस को हमारे द्यर भी नहीं आने
दिया था। उस दिन मैं पूरा दिन बहुत परेशान रहा क्योंकि पूजा मुझे सिर्फ एक
बार दिखी थी और हमारी बात भी नही हुई थी।रात के ९ बज चुके थे। मै बैठा पूजा
के बारे मे सोच रहा था।तभी बाहर की द्यटीं बजी। जब मैने गेट खोला तो देखा
बाहर पूजा खड़ी थी।
उसने मुझसे सिर्फ यह कहा "आज रात साढ़े बारह मै फोन करूंगी रजत मेरा मन नहीं
लग रहा है " और वापस चली गयी।
मैं एक दम से हैरान रह गया। मुझे विशवास नही हो रहा था। लेकिन मै बहुत खुश
था। पहली बार किसी से रात को बात करनी थी। गेट बन्द करके अन्दर गया और मम्मा
से कहा पता नही कौन था द्यटीं बजा कर भाग गया। ११ बजे सभी सो गए लेकिन मुझे
नींद कैसे आ सकती थी।मैने दूसरे फोन की तार निकाल दी थी और अपने कमरे वाले
फोन की रिंग बिलकुल धीमी कर दी थी और कमरे का दरवाजा भी बन्द कर लिया था।
तकरीबन १२:३५ पर फोन आया और पूजा बहुत ही धीमे स्वर मे बोल रही थी और उसने
बताय्या कि "विशाल ने हम दोनो को बात करते हुए देख लिया था।इसलिए उसने मुझे
तुमसे मिलने और फोन पर बात करने से मना किया है वह कहता है कि तुम अच्छे
लड़के नहीं हो। लेकिन मुझे तुम बहुत अच्छे लगते हो। तुमसे बात करके बहुत
अच्छा लगता है। मै तुम से बात किए बगैर नही रह सकती। इसलिए रजत हम रात को बात
किया करेंगे और इस समय हमें कोई डिसटर्ब भी नही करेगा खास कर विशाल"
ऐसे ही हमारी बहुत देर बातें होती रहीं और अब पूजा पूरी तरह मेरे जाल मे फस
चुकी थी। तब मैने पूछा कि तुम कमरे मे अकेली ही हो न इतनी धीमे क्यों बोल रही
हो। उस ने कहा कि मेरे कमरे का दरवाजा खुला है और मम्मी पापा साथ वाले कमरे
मे हैं। तो मैने उसको दरवाजा बन्द करने को कहा। उसने पूछा क्यों तो मैने कहा
कि उसके बाद मैं तुम्हारे पास आजाऊंगा बैड के उपर बिलकुल तुम्हारे साथ। तो वह
कहने लगी नहीं मुझे तुमसे डर लगता है। तुम मेरे साथ कुछ कर दोगे। तब मैने
उससे कहा कि मै कभी तुम्हारे साथ जबरदसती नही करूंगा। जो तुम्हे अच्छा लगेगा
हम वह ही करेंगे। मैने पूजा को अपना हाथ पकड़ाने के लिए कहा।
उसने कहा "पकड़ लो लेकिन आराम से पकड़ना" थोड़ी देर चुप रहने के बाद उसने कहा
"तुम्हारे हाथ पकड़ने से रजत मेरे को कुछ हो रहा है प्लीज अभी मेरा हाथ छोड़
दो"
मैने कहा ठीक है छोड़ देता हूं। लेकिन पूजा मैं तुम से लड़कियों के बारे मे
एक बात पूछना चाहता हूं। बताओगी।
उसने कहा "पूछो क्या पूछना चाहते हो।"
मैने हिचकचाते हुए कहा मैं पिरीअडज के बारे मे सब कुछ जानना चाहता हूं। पहले
पूजा चुप कर गई लेकिन थोड़ी देर बाद उसने मुझे सब कुछ बतायया और उसके बाद
हमारी सेक्स के बारे मे बातें शुरू हो गई। मैने उसको कहा कि मैने उसके बूब्स
देखे हैं। तो उसने कहा आप झूठ बोल रहे हो। तब मैने छत वाली बात बता दी कि मै
सब कुछ देख रहा था। वह थोड़ा शरमा गई और कहने लगी कि आप बहुत खराब हो। उसने
कहा कि ऐसा करने से उसको मजा आता है। थोड़ी देर बाद उसने कहा कि जब मैने पहले
उसका हाथ पकड़ा था तब उसकी टांगो के बीच में कुछ हो रहा था उसको बहुत मजा आ
रहा था और उसकी चूत में से बहुत पानी निकल रहा था जिस की बजह से वह द्यबरा गई
थी और इसी लिए उसने मुझे हाथ छोड़ने को कहा था।
तब उसने फिर से हाथ पकड़ने को कहा। मैने कहा ठीक है पकड़ा दो। थोड़ी देर बाद
उसने कहा कि उसकी पैंटी चूत के पानी से बिलकुल गीली हो गई है और उसके निप्पलज
भी बिलकुल इरैकट हो गए हैं।तब मैने उसको अपने कपड़े उतारने को कहा।तब उसने उठ
कर दरवाजा बन्द कर लिया और सारे कपड़े उतार दिए।फिर उसने बूब्स दबाने शुरू कर
दिए और सेक्सी सेक्सी आवाजें निकालने लगी।मेरा लण्ड भी बिलकुल खड़ा हो चुका
था।तब पूजा अपनी उंगली से चूत के ऊपर क्िलटरीज को दबाने लगी और फिर उसने
उंगली चूत के अन्दर डाल ली।
उसके मुंह से आवाजें आ रही थी।आहहहहहहहहहहहहहहह आह आहहहह वह कह रही थी " रजत
प्लीज चोदो मेरे को।अपना लण्ड मेरी चूत मे डालो।मेरे मुम्मों को चूसो।जोर जोर
से चोदो मेरे को।"
उस रात हमने सुबह ५ बजे तक बात की।उसको बाद हम अकसर रात को बातें करते
थे।लेकिन मैं उस दिन के इंतजार मे था जिस दिन मै उसको असली मे चोदूं। आखिर वह
दिन आ ही गया जब मेरा सपना सच हो गया। पूजा के एक रिश्तेदार अचानक बीमार हो
गये उसके मम्मी और पापा को उन्हें देखने के लिये जाना पडा। और किसी भी हालत
में उनके तीन दिन तक लौटने कि कोई उम्मीद नही थी।विशाल दिन भर दुकान पर
था।पूजा द्यर मे अकेली थी। लेकिन मम्मा की बजह से मै उससे बात नहीं कर पा रहा
था। मैं अपने कमरे मे चला गया।
मैंने एक सेक्स मैगजीन निकाला और देखने लगा। उसमें कुछ आपत्तिजनक तस्वीरे थी।
मैं उन्हें देख रहा था तभी अचानक पीछे से पूजा आ गई उसने पूछा क्या देख रहे
हो और वह मेरे बेड पर बैठ गयी।मैने पूछा कि मम्मा से क्या कहा है तब उसने कहा
कि आन्टी ने उसको जहां आते हुए नही देखा।तभी मैं उठा और मम्मा से कहा कि मैं
सोने लगा हूं और मैने दरवाजा अन्दर से बन्द कर लिया।फिर मैने उसके सामने वह
किताब रख दी वह उसे देखने लगी। फिर हम दोनो सेक्स के बारे में बातें करने
लगे। मैं उठकर उसके पीछे खडा हो गया मैने उसके कन्धे पर अपना हाथ रखा और
झुककर उसके कन्धों को चूम लिया। उसने कुछ भी प्रतिरोध नहीं किया यह मेरे लिये
बहुत था।
मै उसके सामने बैठ गया और उसके होठो को चूम लिया। मेरा हाथ तेजी से उसकी कमर
में पहुॅच गया और कसकर पकडकर उसे अपनी ओर खींच लिया। मेरे हाथ उसके बूब्स पर
पहुॅच गया और ऊपर से ही दबाने लगा।
उसके मॅुह से प्रतिरोध के शब्द निकले उसके मुॅह से निकला ओहहहहहहहहहहह नहीं
बस करो रजत।
लेकिन उसके हाथो ने उतना एतराज नहीं जताया। उसने एक ढीली ढाली टीशर्ट और
साइकलिंग शार्ट पहन रखा था। मेरा हाथ उसकी टीशर्ट के अन्दर उसकी ब्रा के ऊपर
से ही उसके उभारों को दबाने लगा। मेरी जीभ उसके मुॅह में द्यूम रही थी। अब
उसके तरफ से भी सहयोग मिलने लगा था। मैंने उसकी टीशर्ट निकाल दी उसने पहले ना
नुकुर की लेकिन मेरे हाथ का जादू उसके दिलो दिमाग पर छा रहा था। उसका
प्रतिरोध नामात्र का था। मैं उसके बूब्स को उसकी ब्रा के ऊपर से ही मुॅह मे
लेने लगा। और मेरा दूसरा हाथ उसकी जांद्यो के बीच के भाग को उसके कपडो के ऊपर
से ही सहलाने लगा। मेंने उसकी ब्रा का हुक खोल दिया उसका भरपूर यौवन मेरे
सामने था। जिनको मैंने बिना एक पल की देरी किये अपने मुॅह में ले लिया। वह
अपने वश में नहीं थी उसने मुझे कसकर पकड लिया।
मैने उसके बाकी बचे कपडो को उतार फेंका और उसे बेड पर लिटाया। मैंने अभी तक
अपने कपडे नहीं उतारे थे मैने अपने कपडे उतार दिये । मैं अब सिर्फ अन्डरवियर
में था।और उसके ऊपर वापस झुक गया। और उसके निप्पल को मुॅह में ले कर चूसने
लगा। मेरे हाथ उसकी जांद्यो के बीच की गहराइयों तक पहुॅच गये और उसके जननांग
को सहलाने लगे। उसने अपना हाथ मेरी अन्डरवियर में डालकर मेरे हथियार को बाहर
निकाल लिया। मैं नीचे गया और अपने होठ उसके जननांगों पर रख दिये उसके मुॅह से
एक सीत्कार निकल पडी। उसने मुझे अपने पैरो में फॅसा लिया। मेरी जीभ उसकी चूत
के अन्दर बाहर हो रही थी। उसने पानी छोड दिया मेरी जीभ को नमकीन स्वाद आने
लगा। उसने मेरे लण्ड को अपनी चूत में डालने के लिये मुझे ऊपर की ओर खींच
लिया। और बोलने लगी प्लीज इसे अन्दर डालो अब बरदाश्त नहीं होता।
मैंने एक पल की भी देरी नहीं की उसके टांगो को फैलाया और अपने लण्ड को उसके
चूत के ऊपर रखा । एक धीमा सा धक्का दिया वह पहले झटके को आसानी से सहन नहीं
कर पायी और दर्द से कराह उठी और चिल्लाने लगी ़़़़ ज़ल्दी निकालो मैं मर
जाऊॅगी। मैंने उसको कस कर पकडा और उसके निप्पल को मुॅह में लेकर अपनी जीभ से
चाटने और दांतों से काटने लगा। थोडी देर में ही वह अपनी कमर को आगे पीछे
हिलाने लगी। मेरा लण्ड जो कि अभी तक रमा की चूत के अन्दर ही था और बडा होने
लगा था। मेरे लिये अब यह पल बरदाश्त के बाहर था। मैंने भी आगे पीछे जोरो से
धक्के लगाने लगा। मेरी स्पीड लगातार बढ़ती रही उधर उसके मुॅह से उत्तेजित
स्वर और तेज होते रहे। और थोडी देर में हम दोनो अपनी चरम सीमा पर पहुॅच गये
फिर वासना का एक जबरदस्त ज्वार आया और हम दोनो एक साथ बह गये।
मैं उसके ऊपर ही लेटा रह गया। उसने मुझे कसकर पकड रखा था। थोडी देर में मैं
मुक्त था। पूजा छुप कर अपने द्यर चली गई।बाद दुपहर जब विशाल खाना खा कर वापस
दुकान पर चला गया मैं मम्मा से यह कह कर कि मै अपने दोसत के द्यर जा रहा हूं
पूजा के द्यर चला गया। फिर हमने शाम तक एक दूसरे के साथ सेक्स किया इक्कठे
नहाए और पूजा ने मेरे लण्ड को अपने मुंह मे डाल कर खूब चूसा और उसको लण्ड को
चूसने में ब्हुत ही मजा आ रहा था। शाम को जब मैं जाने लगा तो उसने कहा के आज
रात को वह मेरे साथ सोना चाहती है।मैने कहा यह कैसे हो सकता है। उसने कहा कि
आज रात को वह नीचे अकेली होगी और उसने कहा कि ११ बजे बाहर आ जाना वह गेट खोल
देगी। रात को मैं ११ बजे मैं छोटे गेट से उसको बाहर से ताला लगाकर पूजा के
द्यर के बाहर गया तब उसने गेट खोल दिया और मै अन्दर चला गया।पूजा गेट बन्द
करके अन्दर आ गई।
मैने पूछा विशाल सो गया क्या ।उसने कहा कि विशाल तो एक द्यंटे से सोया हुआ
है।तब मैने पूछा कि वह क्या कर रही थी। उसने कहा " आप से अच्छी तरह चुदने की
तैयारी कर रही थी।"
वह मेरे को अपने मम्मी पापा के बैडरूम मे ले गई और आप बाथरूम मे चली गई।
थोड़ी देर बाद जब वह बाहर आई उसने छोटी सी नाईटी जो कि बिलकुल पारदरशी थी
पहनी हुई थी। उसने नीचे कुछ भी नही पहना हुआ था। उसके मुम्मे और चूत दिख रहे
थे। उसने कहा के यह नाईटी मम्मा की है और आज वह मम्मा की तरह ही चुदना चाहती
है तब मैने पूछा कि मम्मा की तरह का क्या मतलब है। तो उसने कहा कि एक रात वह
बाथरूम जाने के लिए उठी तो उसने देखा कि मम्मी पापा के रूम की लाईट जल रही
थी। उसने खिड़की मे से देखा तो मम्मा ने यह ही पहनी हुई थी। उसके बाद उसने २
द्यंटे मम्मा को पापा से चुदते देखा।
थोड़ी देर बाद मैने देखा कि पूजा ने सारे बाल साफ कर हुए थे।उसके बाद हम फिर
से एक दूसरे के लिए बिलकुल तैयार थे।उस रात सुबह ५ बजे तक बिलकुल नन्गे एक
दूसरे की बाहों मे रहे और इस बीच मैने उसको तीन बार चोदा।उसने मेरे लण्ड को
बहुत चूसा। अगले दो दिन भी हम ऐसे ही एक दूसरे की बाहों मे मजे करते रहे। अब
हमें जब भी मौका मिलता है हम इसका आनन्द उठाते हैं।
भडक रहा था। मेरी छुटि्टयॉ चल रही थी। हमारे घर के सामने वाले घर मे एक लड़की
रहती है।उसका नाम पूजा है। हम दोनो बचपन से ही बहुत अच्छे दोस्त हैं। इस बार
मैं द्यर दो सालों के बाद आया था। मतलब की हम दोनो पूरे दो सालों के बाद मिले
थे। और अब वह पहले वाली पूजा नहीं थी अब वह बला की खूबसूरत हो गयी थी।
उसका भरपूर १७ वर्ष के जिस्म ने मेरे अन्दर की आग को और भडका दिया था। उसके
बूब्स काफी बडे थे वो उसकी टाईट टीशर्ट में बिल्कुल गोल दिखते थे जिन्हे
देखकर उन्हे हाथ में पकडने को जी चाहता था। वह अकसर शार्ट डे्रस पहना करती
थी।बचपन में मैने बहुत बार खेलते हुए पूजा के बूब्स को देखा था जो कि शुरू से
ही आम लड़कियों के बूब्स से बड़े थे और कभी कभी छू भी लेता था लेकिन मेरा मन
हमेशा उनको अच्छी तरह दबाने को करता रहता था लेकिन मुझे डर लगता था कि कहीं
वो अपने द्यर वालों न बता दे क्योंकि मेरी उसके बड़े भाई के साथ बिलकुल भी
नहीं बनती थी। वो पूजा को भी मेरे साथ न बोलने के लिये कहता रहता था लेकिन
पूजा हमेशा मेरी तरफ ही होती थी। लकिन अब पूजा बड़ी हो चुकी थी और जवानी उसके
शरीर से भरपूर दिखने लगी थी।मैं उस को चोदने के लिये और भी बेकरार हो रहा था।
लेकिन अब वह पहले की तरह मेरे साथ पेश नहीं आती थी।एसा मुझे इस लिये लगा
क्योंकि वो मेरे ज्यादा पास नहीं आती थी।दूर से ही मुस्करा देती थी।
लेकिन एक दिन मेरी किस्मत का सितारा चमका और मैने पहली बार एसा द्रिष देखा
था।उस दिन मैं तकरिबन ११ बजे सुबह अपनी छत पर धूप में बैठने के लिये गया
क्योंकि उन दिनों सर्दियां थी। मैं अपनी सब से ऊपर वाली छत पर जा कर कुरसी पर
बैठ गया।वहां से सामने पूजा के द्यर की छत बिलकुल साफ दिख रही थी।मैं सोच रहा
था कि पूजा तो स्कूल गयी होगी लेकिन तभी मैने नीचे पूजा की आवाज सुनी मैने
नीचे देखा पूजा के मम्मी पापा कहीं बाहर जा रहे थे। थोड़ देर बाद पूजा अन्दर
चली गयी।मैं सोच रहा था कि आज अच्छा मौका है और मैं नीचे जाकर पूजा को फोन
करने के बारे मे सोच ही रहा था कि मैने देखा पूजा अपनी छत पर आ गयी थी।मैं उस
को छुप कर देखने लगा क्योंकि मै पूजा को नही दिख रहा था।उस दिन पूजा ने शर्ट
और प्जामा पहन रखे थे और ऊपर से जैकिट पहन रखी थी।वह अभी नहाई नही थी।तभी उस
ने धूप तेज होने के बजह से जैकिट उतार दी और कुरसी पर बैठ गयी। उस ने अपनी
टांगे सामने पड़े बैड पर रख ली और पीछे को हो कर आराम से बैठ गयी जिस की बजह
से उस के बड़े बड़े बूब्स बाहर को आ गये थे।
मेरा दिल उनको चूसने को कर रहा था और मैं बड़े गौर से उस के शरीर को देख रहा
था।तभी अचानक पूजा अपने बूब्स की तरफ देखने लगी और उसने अपने हाथ से ठीक करने
लगी।उसके चारों तरफ ऊंची दीवार थी इसलिये उसने सोचा भी नही होगा कि उस को कोई
देख रहा है।उसी व्कत उस ने अपनी शर्ट के ऊपर वाले दो बटन खोल दिये।मेरे को
अपनी आंखो पर विशवास नहीं हो रहा था कि मै यह सब देख रहा हूं। मैने अपने आप
को थोड़ा संभाला। लेकिन तब मैं अपने लण्ड को खड़ा होने से नही रोक पाया जब
मैने देखा कि उस ने नीचे ब्रा नहीं डाला हुआ था और आधे से ज्यादा बूब्स शर्ट
के बाहर थे।मैने अपने लण्ड को बाहर निकाला और मुठ मारने लगा।
जब मैने फिर देखा तो पूजा का एक हाथ शर्ट के अन्दर था और अपने एक मुम्मे को
दबा रही थी और आंखे बन्द कर के मझे ले रही थी ।तभी उस ने एक मुम्मे को बिलकुल
शर्ट के बाहर निकाल लिया जो कि बिलकुल गोल और बहुत ही गोरे रंग का था।उसका
निप्पल बहुत ही बड़ा था जो कि उस समय इरैकट था और हलके भूरे रंग का था। मैं
यह सब देख कर बहुत ही उतेजित हो रहा था और अपनी मुठ मार रहा था। तभी उसने
अपनी शर्ट का एक बटन और खोल दिया और अपने दोनो बूब्स बाहर निकाल लिए। फिर
उसने अपने दोनो हाथों की उगलिुयों से निप्पलस को पकड़ कर अच्छी तरह मसलने
लगी। काफी देर तक वो अपने बूब्स को अच्छी तरह दबाती रही। थोड़ी देर बाद वह
कुर्सी से उठी और बैड पर लेट गयी। एक हाथ से उसने अपने बूब्स दबाने शुरू कर
दिए और दूसरा हाथ उसने अपने पजामे मे डाल लिया और अपनी चूत को रगड़ने लगी।
अब उस को और भी मस्ती चड़ने लगी थी और वह अपनी गांड को भी उपर नीचे करने लगी
थी।मैं अभी सोच ही रहा था कि खड़ा हो कर उस को दिखा दूं कि मैं उस को देख रहा
हूं तभी मेरा हाथ मे ही छुट गया और मैं अपने लण्ड को कपड़े से साफ करने लगा।
जब मैने फिर देखा तब तक पूजा खड़ी हो गयी थी लेकिन उसके बूब्स अभी भी बाहर ही
थे और वो वैसे ही नीचे चली गयी। लेकिन फिर भी मै बहुत खुश था लेकिन फिर मेरे
को लगा कि मैने पूजा को चोदने का मौका गवा दिया। मुझे खड़ा हो जाना चाहिए था।
एसा करना था वैसा करना था। तभी मेरे दिमाग मे एक आइडिया आया। और मैं जलदी से
नीचे गया और पूजा के द्यर फोन कर दिया। पहले तो वह मेरी आवाज सुन कर थोड़ी
हैरान हुई क्योंकि फोन पर हमारी ऐसे कभी बात नही हुई थी लकिन वह बहुत खुश थी।
लेकिन मैं उस से सेक्स के बारे में कोई भी बात नही कर सका। इधर उधर की बातें
करता रहे। उस दिन हम ने २ द्यटें बातें की और फिर उसका भाई विशाल आ गया था।
शाम को उसने मुझे फिर फोन किया और हमने १ द्यटां बति की और फिर रोजाना हमारी
फोन पर बातें होने लगी और द्यर पर भी अकसर आमने सामने हमारी बातें हो जाती
थी। छत पर भी हम एक दूसरे को काफी काफी देर देखते रहते थे। लेकिन मेरे को
उसके भाई से बहुत डर लगता था इस लिए जब वह द्यर पर होता था मै पूजा से दूर ही
रहता था।
एक बार विशाल की बजह से हमारी पूरे २ दिन बात नही हुई और हम दोनो बहुत परेशान
थे और हम छत पर भी नही मिल पाए और विशाल ने उस को हमारे द्यर भी नहीं आने
दिया था। उस दिन मैं पूरा दिन बहुत परेशान रहा क्योंकि पूजा मुझे सिर्फ एक
बार दिखी थी और हमारी बात भी नही हुई थी।रात के ९ बज चुके थे। मै बैठा पूजा
के बारे मे सोच रहा था।तभी बाहर की द्यटीं बजी। जब मैने गेट खोला तो देखा
बाहर पूजा खड़ी थी।
उसने मुझसे सिर्फ यह कहा "आज रात साढ़े बारह मै फोन करूंगी रजत मेरा मन नहीं
लग रहा है " और वापस चली गयी।
मैं एक दम से हैरान रह गया। मुझे विशवास नही हो रहा था। लेकिन मै बहुत खुश
था। पहली बार किसी से रात को बात करनी थी। गेट बन्द करके अन्दर गया और मम्मा
से कहा पता नही कौन था द्यटीं बजा कर भाग गया। ११ बजे सभी सो गए लेकिन मुझे
नींद कैसे आ सकती थी।मैने दूसरे फोन की तार निकाल दी थी और अपने कमरे वाले
फोन की रिंग बिलकुल धीमी कर दी थी और कमरे का दरवाजा भी बन्द कर लिया था।
तकरीबन १२:३५ पर फोन आया और पूजा बहुत ही धीमे स्वर मे बोल रही थी और उसने
बताय्या कि "विशाल ने हम दोनो को बात करते हुए देख लिया था।इसलिए उसने मुझे
तुमसे मिलने और फोन पर बात करने से मना किया है वह कहता है कि तुम अच्छे
लड़के नहीं हो। लेकिन मुझे तुम बहुत अच्छे लगते हो। तुमसे बात करके बहुत
अच्छा लगता है। मै तुम से बात किए बगैर नही रह सकती। इसलिए रजत हम रात को बात
किया करेंगे और इस समय हमें कोई डिसटर्ब भी नही करेगा खास कर विशाल"
ऐसे ही हमारी बहुत देर बातें होती रहीं और अब पूजा पूरी तरह मेरे जाल मे फस
चुकी थी। तब मैने पूछा कि तुम कमरे मे अकेली ही हो न इतनी धीमे क्यों बोल रही
हो। उस ने कहा कि मेरे कमरे का दरवाजा खुला है और मम्मी पापा साथ वाले कमरे
मे हैं। तो मैने उसको दरवाजा बन्द करने को कहा। उसने पूछा क्यों तो मैने कहा
कि उसके बाद मैं तुम्हारे पास आजाऊंगा बैड के उपर बिलकुल तुम्हारे साथ। तो वह
कहने लगी नहीं मुझे तुमसे डर लगता है। तुम मेरे साथ कुछ कर दोगे। तब मैने
उससे कहा कि मै कभी तुम्हारे साथ जबरदसती नही करूंगा। जो तुम्हे अच्छा लगेगा
हम वह ही करेंगे। मैने पूजा को अपना हाथ पकड़ाने के लिए कहा।
उसने कहा "पकड़ लो लेकिन आराम से पकड़ना" थोड़ी देर चुप रहने के बाद उसने कहा
"तुम्हारे हाथ पकड़ने से रजत मेरे को कुछ हो रहा है प्लीज अभी मेरा हाथ छोड़
दो"
मैने कहा ठीक है छोड़ देता हूं। लेकिन पूजा मैं तुम से लड़कियों के बारे मे
एक बात पूछना चाहता हूं। बताओगी।
उसने कहा "पूछो क्या पूछना चाहते हो।"
मैने हिचकचाते हुए कहा मैं पिरीअडज के बारे मे सब कुछ जानना चाहता हूं। पहले
पूजा चुप कर गई लेकिन थोड़ी देर बाद उसने मुझे सब कुछ बतायया और उसके बाद
हमारी सेक्स के बारे मे बातें शुरू हो गई। मैने उसको कहा कि मैने उसके बूब्स
देखे हैं। तो उसने कहा आप झूठ बोल रहे हो। तब मैने छत वाली बात बता दी कि मै
सब कुछ देख रहा था। वह थोड़ा शरमा गई और कहने लगी कि आप बहुत खराब हो। उसने
कहा कि ऐसा करने से उसको मजा आता है। थोड़ी देर बाद उसने कहा कि जब मैने पहले
उसका हाथ पकड़ा था तब उसकी टांगो के बीच में कुछ हो रहा था उसको बहुत मजा आ
रहा था और उसकी चूत में से बहुत पानी निकल रहा था जिस की बजह से वह द्यबरा गई
थी और इसी लिए उसने मुझे हाथ छोड़ने को कहा था।
तब उसने फिर से हाथ पकड़ने को कहा। मैने कहा ठीक है पकड़ा दो। थोड़ी देर बाद
उसने कहा कि उसकी पैंटी चूत के पानी से बिलकुल गीली हो गई है और उसके निप्पलज
भी बिलकुल इरैकट हो गए हैं।तब मैने उसको अपने कपड़े उतारने को कहा।तब उसने उठ
कर दरवाजा बन्द कर लिया और सारे कपड़े उतार दिए।फिर उसने बूब्स दबाने शुरू कर
दिए और सेक्सी सेक्सी आवाजें निकालने लगी।मेरा लण्ड भी बिलकुल खड़ा हो चुका
था।तब पूजा अपनी उंगली से चूत के ऊपर क्िलटरीज को दबाने लगी और फिर उसने
उंगली चूत के अन्दर डाल ली।
उसके मुंह से आवाजें आ रही थी।आहहहहहहहहहहहहहहह आह आहहहह वह कह रही थी " रजत
प्लीज चोदो मेरे को।अपना लण्ड मेरी चूत मे डालो।मेरे मुम्मों को चूसो।जोर जोर
से चोदो मेरे को।"
उस रात हमने सुबह ५ बजे तक बात की।उसको बाद हम अकसर रात को बातें करते
थे।लेकिन मैं उस दिन के इंतजार मे था जिस दिन मै उसको असली मे चोदूं। आखिर वह
दिन आ ही गया जब मेरा सपना सच हो गया। पूजा के एक रिश्तेदार अचानक बीमार हो
गये उसके मम्मी और पापा को उन्हें देखने के लिये जाना पडा। और किसी भी हालत
में उनके तीन दिन तक लौटने कि कोई उम्मीद नही थी।विशाल दिन भर दुकान पर
था।पूजा द्यर मे अकेली थी। लेकिन मम्मा की बजह से मै उससे बात नहीं कर पा रहा
था। मैं अपने कमरे मे चला गया।
मैंने एक सेक्स मैगजीन निकाला और देखने लगा। उसमें कुछ आपत्तिजनक तस्वीरे थी।
मैं उन्हें देख रहा था तभी अचानक पीछे से पूजा आ गई उसने पूछा क्या देख रहे
हो और वह मेरे बेड पर बैठ गयी।मैने पूछा कि मम्मा से क्या कहा है तब उसने कहा
कि आन्टी ने उसको जहां आते हुए नही देखा।तभी मैं उठा और मम्मा से कहा कि मैं
सोने लगा हूं और मैने दरवाजा अन्दर से बन्द कर लिया।फिर मैने उसके सामने वह
किताब रख दी वह उसे देखने लगी। फिर हम दोनो सेक्स के बारे में बातें करने
लगे। मैं उठकर उसके पीछे खडा हो गया मैने उसके कन्धे पर अपना हाथ रखा और
झुककर उसके कन्धों को चूम लिया। उसने कुछ भी प्रतिरोध नहीं किया यह मेरे लिये
बहुत था।
मै उसके सामने बैठ गया और उसके होठो को चूम लिया। मेरा हाथ तेजी से उसकी कमर
में पहुॅच गया और कसकर पकडकर उसे अपनी ओर खींच लिया। मेरे हाथ उसके बूब्स पर
पहुॅच गया और ऊपर से ही दबाने लगा।
उसके मॅुह से प्रतिरोध के शब्द निकले उसके मुॅह से निकला ओहहहहहहहहहहह नहीं
बस करो रजत।
लेकिन उसके हाथो ने उतना एतराज नहीं जताया। उसने एक ढीली ढाली टीशर्ट और
साइकलिंग शार्ट पहन रखा था। मेरा हाथ उसकी टीशर्ट के अन्दर उसकी ब्रा के ऊपर
से ही उसके उभारों को दबाने लगा। मेरी जीभ उसके मुॅह में द्यूम रही थी। अब
उसके तरफ से भी सहयोग मिलने लगा था। मैंने उसकी टीशर्ट निकाल दी उसने पहले ना
नुकुर की लेकिन मेरे हाथ का जादू उसके दिलो दिमाग पर छा रहा था। उसका
प्रतिरोध नामात्र का था। मैं उसके बूब्स को उसकी ब्रा के ऊपर से ही मुॅह मे
लेने लगा। और मेरा दूसरा हाथ उसकी जांद्यो के बीच के भाग को उसके कपडो के ऊपर
से ही सहलाने लगा। मेंने उसकी ब्रा का हुक खोल दिया उसका भरपूर यौवन मेरे
सामने था। जिनको मैंने बिना एक पल की देरी किये अपने मुॅह में ले लिया। वह
अपने वश में नहीं थी उसने मुझे कसकर पकड लिया।
मैने उसके बाकी बचे कपडो को उतार फेंका और उसे बेड पर लिटाया। मैंने अभी तक
अपने कपडे नहीं उतारे थे मैने अपने कपडे उतार दिये । मैं अब सिर्फ अन्डरवियर
में था।और उसके ऊपर वापस झुक गया। और उसके निप्पल को मुॅह में ले कर चूसने
लगा। मेरे हाथ उसकी जांद्यो के बीच की गहराइयों तक पहुॅच गये और उसके जननांग
को सहलाने लगे। उसने अपना हाथ मेरी अन्डरवियर में डालकर मेरे हथियार को बाहर
निकाल लिया। मैं नीचे गया और अपने होठ उसके जननांगों पर रख दिये उसके मुॅह से
एक सीत्कार निकल पडी। उसने मुझे अपने पैरो में फॅसा लिया। मेरी जीभ उसकी चूत
के अन्दर बाहर हो रही थी। उसने पानी छोड दिया मेरी जीभ को नमकीन स्वाद आने
लगा। उसने मेरे लण्ड को अपनी चूत में डालने के लिये मुझे ऊपर की ओर खींच
लिया। और बोलने लगी प्लीज इसे अन्दर डालो अब बरदाश्त नहीं होता।
मैंने एक पल की भी देरी नहीं की उसके टांगो को फैलाया और अपने लण्ड को उसके
चूत के ऊपर रखा । एक धीमा सा धक्का दिया वह पहले झटके को आसानी से सहन नहीं
कर पायी और दर्द से कराह उठी और चिल्लाने लगी ़़़़ ज़ल्दी निकालो मैं मर
जाऊॅगी। मैंने उसको कस कर पकडा और उसके निप्पल को मुॅह में लेकर अपनी जीभ से
चाटने और दांतों से काटने लगा। थोडी देर में ही वह अपनी कमर को आगे पीछे
हिलाने लगी। मेरा लण्ड जो कि अभी तक रमा की चूत के अन्दर ही था और बडा होने
लगा था। मेरे लिये अब यह पल बरदाश्त के बाहर था। मैंने भी आगे पीछे जोरो से
धक्के लगाने लगा। मेरी स्पीड लगातार बढ़ती रही उधर उसके मुॅह से उत्तेजित
स्वर और तेज होते रहे। और थोडी देर में हम दोनो अपनी चरम सीमा पर पहुॅच गये
फिर वासना का एक जबरदस्त ज्वार आया और हम दोनो एक साथ बह गये।
मैं उसके ऊपर ही लेटा रह गया। उसने मुझे कसकर पकड रखा था। थोडी देर में मैं
मुक्त था। पूजा छुप कर अपने द्यर चली गई।बाद दुपहर जब विशाल खाना खा कर वापस
दुकान पर चला गया मैं मम्मा से यह कह कर कि मै अपने दोसत के द्यर जा रहा हूं
पूजा के द्यर चला गया। फिर हमने शाम तक एक दूसरे के साथ सेक्स किया इक्कठे
नहाए और पूजा ने मेरे लण्ड को अपने मुंह मे डाल कर खूब चूसा और उसको लण्ड को
चूसने में ब्हुत ही मजा आ रहा था। शाम को जब मैं जाने लगा तो उसने कहा के आज
रात को वह मेरे साथ सोना चाहती है।मैने कहा यह कैसे हो सकता है। उसने कहा कि
आज रात को वह नीचे अकेली होगी और उसने कहा कि ११ बजे बाहर आ जाना वह गेट खोल
देगी। रात को मैं ११ बजे मैं छोटे गेट से उसको बाहर से ताला लगाकर पूजा के
द्यर के बाहर गया तब उसने गेट खोल दिया और मै अन्दर चला गया।पूजा गेट बन्द
करके अन्दर आ गई।
मैने पूछा विशाल सो गया क्या ।उसने कहा कि विशाल तो एक द्यंटे से सोया हुआ
है।तब मैने पूछा कि वह क्या कर रही थी। उसने कहा " आप से अच्छी तरह चुदने की
तैयारी कर रही थी।"
वह मेरे को अपने मम्मी पापा के बैडरूम मे ले गई और आप बाथरूम मे चली गई।
थोड़ी देर बाद जब वह बाहर आई उसने छोटी सी नाईटी जो कि बिलकुल पारदरशी थी
पहनी हुई थी। उसने नीचे कुछ भी नही पहना हुआ था। उसके मुम्मे और चूत दिख रहे
थे। उसने कहा के यह नाईटी मम्मा की है और आज वह मम्मा की तरह ही चुदना चाहती
है तब मैने पूछा कि मम्मा की तरह का क्या मतलब है। तो उसने कहा कि एक रात वह
बाथरूम जाने के लिए उठी तो उसने देखा कि मम्मी पापा के रूम की लाईट जल रही
थी। उसने खिड़की मे से देखा तो मम्मा ने यह ही पहनी हुई थी। उसके बाद उसने २
द्यंटे मम्मा को पापा से चुदते देखा।
थोड़ी देर बाद मैने देखा कि पूजा ने सारे बाल साफ कर हुए थे।उसके बाद हम फिर
से एक दूसरे के लिए बिलकुल तैयार थे।उस रात सुबह ५ बजे तक बिलकुल नन्गे एक
दूसरे की बाहों मे रहे और इस बीच मैने उसको तीन बार चोदा।उसने मेरे लण्ड को
बहुत चूसा। अगले दो दिन भी हम ऐसे ही एक दूसरे की बाहों मे मजे करते रहे। अब
हमें जब भी मौका मिलता है हम इसका आनन्द उठाते हैं।
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