जब बच्चे यह भी नहीं जानते कि मुठ मारना क्या होता है,
मैं तब से और आज तक मुठ मारता आ रहा हूँ। जिससे मेरा लंड
भी टेढ़ा हो गया है, तो तुम अंदाजा लगा सकते हो कि मैं
कितना गुंडा हूँ ! बात उस समय की है जब मेरी जवानी पूरे
जोश पर थी मेरा वीर्य निकलना शुरू ही हुआ था और
कोमल-कोमल झांट आई थी और चूत मारने का इतंना मन
करता था कि बस चूत हो ! कैसे ही हो ! मेरे बड़े भाई
की शादी हुई, बड़ी सुंदर भाभी आई, नाम है मनोरमा,
जिसके गोल-गोल चूचे, उठी हुई गांड है ! शुरू से ही मैं
अपनी भाभी से एक हद तक मजाक करता था पर मैंने
कभी उसके बारे में गलत नहीं सोचा। पर किस्मत को कुछ
और ही मंजूर था ! भाई की रात की ड्यूटी लगी हुई थी,
मम्मी और पापा भैंसों के प्लाट में सोते थे। अब
मम्मी बोलने लगी- अनिल बेटा, तेरे भाई की रात
की ड्यूटी है, तू अपने कमरे में सोने की बजाय
अपनी भाभी के साथ सो जाना, कभी वो अकेली डर जाये!
एक बार तो मैंने मना किया पर मम्मी के कहने पर तैयार
हो गया। तब तक मेरा मन बिलकुल शुद्ध था और सोच
रहा था कि डबल बेड है, एक तरफ मैं सो जाऊंगा और एक
तरफ भाभी ! बस एक अजीब सी खुशी थी कि भाभी के बेड
पर सोऊंगा ! अब भाभी ने सारा घर का काम खत्म कर
लिया और आ गई सोने के लिए अपने बेड पर। मैं पहले से
ही बेड पर था, भाभी बोली- अनिल, सो जाओ ! हमने
लाइट बुझाई और सो गए, डबल बेड पर एक तरफ मैं और एक
तरफ भाभी थी। रात को लगभग बारह बजे मेरी आँख
खुली तो मैंने देखा कि मेरा एक हाथ भाभी के चूतड़ पर
था और मुँह भाभी के पैरों के तरफ था। बस वो पल मेरे लिए
तूफान बनकर आया जिसने मेरी माँ समान भाभी मुझसे
चुदवा दी। अब मेरी नींद उड़ गई और मुझे अपनी भाभी एक
लंड की प्यास बुझाने का जुगाड़ दिखने लगी। पर
मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी कि कहाँ से शुरुआत करूँ ! कम
से कम एक घंटा मैं एक अवस्था में ही लेटा रहा, जब तक
भाभी गहरी नींद में थी। अब मेरा सबर का बांध टूट गया,
मैंने भाभी की तरफ करवट ली और अपना ग्यारह इंच का लंड
भाभी की गांड क़ी दरार में धीरे से भिड़ा दिया। उस
समय मैं बहुत डरा हुआ था, फिर धीरे से पैरों पर एक चुम्बन
लिया ! उसके बाद मेरा कुछ होंसला बढ़ा कि भाभी कुछ
नहीं बोल रही ! मेरे हिसाब से भाभी जग गई थी और
आराम से मजा ले रही थी। फिर मैं भाभी क़ी गांड से हाथ
हटाकर पेट पर हाथ ले गया, पर मेरी गांड फट रही थी !
मैंने धीरे से कमीज़ ऊपर कर दिया और धीरे-धीरे सलवार के
अन्दर हाथ ले गया, फिर कच्छी क़ी इलास्टिक ऊपर
क़ी और भाभी क़ी चूत पर हाथ रख दिया।
लगता था कि भाभी ने सात-आठ दिन पहले ही झांट
काटी होंगी क्योंकि छोटे-छोटे बाल आ रहे थे जो मेरे हाथ
में चुभ रहे थे ! भाभी ने एक अंगड़ाई ली और सीधी हो गई।
मेरी गांड फट कर हंडिया हो गई, लेकिन वो कुछ
नहीं बोली और सोने का नाटक करने लगी। मेरा लंड तन
कर पूरा लक्कड़ हो रहा था। अब मेरा डर दूर था, मैंने
भाभी का नाड़ा खोलकर सलवार और कच्छी उतार दी।
भाभी जग गई और बोलने लगी- अनिल, यह
क्या बद्तमीजी है? मैं बोला- भाभी, एक बार मुझे
अपनी चूत में अपना लण्ड घुसाने दे ! यह बात
किसी को नहीं पता चलेगी। वो कहने लगी- अनिल, यह
गलत है ! मैं भाभी क़ी अनसुनी करते हुए भाभी के होंठ चूसने
लगा, अब भाभी भी गर्म हो गई थी और मेरा विरोध
नहीं किया, इसलिए मैंने देर नहीं क़ी और भाभी क़ी चूत में
उंगली डाल दी। चूत
कुंवारी जैसी थी क्योंकि अभी मेरी भाभी एक बार
भी गर्भवती नहीं हुई थी। अब भाभी तड़प गई और कहने
लगी- अनिल जल्दी कर ! मैंने अपना टेढ़ा लंड
भाभी क़ी कोमल चूत पर रख कर जोर से धक्का मारा, एक
ही धक्के में लंड तो अन्दर चला गया पर भाभी दर्द से तड़प
गई और बोली- अनिल, तेरे टेढ़े लंड ने तो मेरी जान ले ली !
मैंने भाभी को जोर-जोर से धक्के मारे,
भाभी तड़पती रही और अपनी गांड हिला कर मेरा साथ
देती रही। पंद्रह-बीस मिनट में पहले भाभी झड़ गई और
फिर मैं ! उस रात मैंने भाभी को तीन बार चोदा !
भाभी सुबह जल्दी उठ गई और बोली- अनिल, यह बात मेरे
और तुम्हारे बीच रहनी चाहिए ! मैंने कहा- ठीक है भाभी
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