कामवाली का काम कर डाला

Saturday, April 27, 2013

दोस्तों और चाहने वालों को नमस्कार। यह मेरी पहली कहानी है। मैं जबलपुर, मध्यप्रदेश का रहने वाला हूँ। मेरी उम्र 26 साल है और मैं एक बड़े स्कूल में टीचर हूँ। यह कहानी आज से 6-7 महीने पहले की है जब मेरे मन में वासना के तूफ़ान उठने शुरू हुए। मैं एक सामान्य कद काठी वाला लड़का हूँ और मेरा कद 5'4" है। मेरा हथियार 5" लम्बा है और मोटाई 2 इंच है ।
हम लोग जिस दुकान से किराना लेते थे उस दुकान में गेंहू वगैरह बीनने के लिए एक औरत आती थी जिसकी उम्र लगभग 25 की रही होगी और वह शादीशुदा थी। कद तो थोड़ा छोटा था मगर चीज़ एकदम दमदार थी उसका बदन भरापूरा था।
मेरा हथियार मचल रहा था किसी छेद में जाने के लिए पर कोई मिल नहीं रहा था। मैंने भी सोच लिया था कि उसे ही पटाया जाए और खुजली शांत की जाए।
पर यह इतना आसन नहीं था क्योंकि पहले मुझे यह पता करना था कि वो तैयार होती है या नहीं।
मैं दुकान आते-जाते, जब भी वो वहाँ होती थी किसी न किसी बहाने उसके सामने खड़ा हो कर उससे गेंहू वगैरह की सफ़ाई के बारे में पूछता वो भी शायद इशारे समझने लगी थी।
एक दिन मैंने उससे पूछा- मेरे घर में यदि कुछ काम रहेगा क्या वो आ सकेगी?
उसने हंस कर कहा- हाँ मैं आ जाऊँगी।
पर मेरे घर में ये सब करना आसान नहीं था क्यूंकि मेरे माता-पिता और छोटा भाई हमेशा कोई न कोई रहते थे।
मैंने भी सोचा कि पहले उसको चुदने को तैयार करवाया जाए फिर जगह देखी जाए उसकी चूत और गांड मारने का।
उसको तैयार करने के लिए मैं उसे जब भी दुकान जाता तो 20-50 रूपए पकड़ा देता तो वो खुश हो जाती। इस तरह वो लगभग तैयार हो गई थी मेरे लण्ड की खुजली शान्त करने की।
मैंने एक दिन उससे कहा कि वो ही कोई जगह बताये जहाँ हमारा मिलन हो सके तो उसने कहा कि उसकी नज़र में तो कोई जगह नहीं है और दुकान के पास ही उसका पति एक फैक्ट्री में नौकरी करता है।
उसने हँसते हुए कहा- जहाँ तुम मुझे ले जाऊँगा मैं चल चलूँगी।
मैंने भी आँख मार कर कह दिया कि एक बार तो तुझे जम कर चोदने का बहुत मन है।
मैंने उसी दिन से जगह तलाश करनी शुरू कर दी क्योंकि मेरा हथियार अब उसकी चूत और गांड मारने को उतावला हो रहा था। जल्द ही मेरी तलाश पूरी हो गई, मैंने शहर में एक सस्ते होटल में जा कर खुल कर बात की तो वहाँ काउंटर पर बैठा लड़का बोला- ठीक है, आपको जब भी आना हो आ जाना, पर कमरे का किराया दोगुना लगेगा और 2 घंटे मिल जायेंगे।
मैंने अगले दिन ही उस कामवाली को बता दिया कि किस दिन चलना है होटल में।
वो बोली- ठीक है, मैं कल ही सुबह साढ़े नौ बजे वहाँ पहुँच जाऊँगी और आप वहां मिल जाना।
अगले दिन सुबह नौ बजे उसका कॉल आया मेरे मोबाइल पर- मैं यहाँ पहुँच चुकी हूँ और आप जल्दी आ जाओ।
मैं तुरंत घर से अपनी मोटरसाइकिल से भागा, भाग्य से उस दिन मेरे स्कूल की छुट्टी भी थी।
जैसे ही मैं वहाँ पहुंचा तो देखा कि वो चौराहे पर खड़ी थी, मैंने उसे वहीं खड़े रहने को कहा और पहले मैंने होटल में प्रवेश किया। होटल काउंटर पर वही लड़का था तो मैंने उससे रूम देने को कहा।
वो बोला- आपकी साथ वाली कहाँ है?
मैंने खिड़की से नीचे इशारा किया कि वो हरी साड़ी में नीचे है।
उसने अन्दर कमरा नम्बर 2 खोल कर मुझे अन्दर जाने को कहा और मैंने कहा- नीचे जाकर उस औरत को ऊपर रूम में भेज दे।
कुछ पल बाद वो उसे ऊपर ले आया और अपने रजिस्टर में एंट्री की, मैंने उसे 500 का नोट थमा दिया।
वो खुश हो कर बोला- अब आप अन्दर जाओ और मस्ती करो, आपके पास पूरे दो घंटे हैं।
मैं रूम में गया और दरवाजा अन्दर से बंद कर लिया। अब उसकी आँखें मुझे देख कर बंद हो गयी जैसे सुहागरात में नई नवेली दुल्हन शरमा जाती है।
मैंने झट से बिना कोई समय गंवाए उसके पास पहुँच कर उसे बाहों में लेकर गले लगा लिया। उसका पूरा बदन काँप रहा था जैसे पहली बार चुदाई करवाने जा रही थी। मैं आपको यह बताना भूल गया हूँ कि मैंने 3 कंडोम का एक पैकेट पहले से खरीद कर जेब में रखा हुआ था।
अब मैं भी पूरे हथियारों से लेस था और बस गोलियाँ सही निशानों पर मारने की कसर रह गई थी। मैंने उससे पूरे कपड़े उतार देने को कहा, वो भी धीरे-धीरे।
वो पहले तो शर्माते हुए बोली- क्या यह जरुरी है?
मैंने उसे होठों पर चूमते हुए कहा- हाँ मेरी जान।
उसने भी जवाब में मेरे होंठों को काटना शुरू कर दिया और हम दोनों चुम्बन के समुद्र में डूब गए और अब हमारी जीभें एक दूसरे से साँपों की तरह लिपटी हुई थी।
मैं पलंग पर बैठ गया और उसने धीरे-धीरे अपना ब्लाउज उतारना शुरू किया तो मेरे सामने भरे-पूरे बोबे थे और उसकी चूचियाँ छोटी थी। फिर उसने अपनी साड़ी उतार दी और बड़े ही नशीले अंदाज़ में अपना पेटीकोट उतार फेंका। उसने अब अपनी पेंटी भी उतार दी और मेरे सामने अब शेव करी हुई चूत थी।
वो सांवली थी पर उसका बदन बहुत ही खूबसूरत था और उसके चुंचे तो गोल-गोल थे।
मैंने झट से अपने कपड़े उतार फेंके और खड़े होकर उसके चुंचे चूसने लगा। उसके मुँह से अब आह-ऊह की आवाजें आने लगी थी, धीरे से मैंने अपना हाथ उसकी जांघों पर फिराते हुए नीचे ले जाकर चूत में घुसा दिया। वो मस्ती में आ गई और बोली- उंगली अन्दर-बाहर करो।
मैंने वैसा ही किया जैसा उसने कहा और अब एक ही झटके के साथ मैं उसे बिस्तर पर ले गया और उसके ऊपर सवार हो गया।हम दोनों पूरे नंगे थे और खिड़की से नीचे ट्रैफिक के शोर की आवाज़ आ रही थी। मैंने बिना समय खोये उसका पूरा बदन चूमना चालू कर दिया- उसके चुच्चे, उसका पेट, उसकी जांघें !
पर जैसे ही मैं उसकी चूत चाटने लगा उसने मना कर दिया, कहा- ये नहीं करो, मुझे अच्छा नहीं लगेगा।
मैंने कहा- ठीक है, तो मेरा लंड ले लो अपने मुँह में और मुझे जन्नत की सैर करा दो।
उसने मेरा खड़ा लंड लेकर चूसना चालू किया तो बड़े ही कुशल तरीके से चूसा और उत्साह के कारण मेरा पानी बाहर आ गया जो मैंने उसके चून्चों पर बहा दिया।
मैंने कम्बल से उसका पानी पोंछ दिया और कहा कि मेरा लंड हाथ में लेकर सहलाए। उसके सहलाने से मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया और एक घंटा भी निकल चुका था।
मैंने उससे कहा- अब अपनी टांगें फैला लो और मेरे लंड को अपनी चूत की सैर करा दो।
उसने अपनी टाँगें फैला ली और प्यार से मेरे लंड को हाथ में लेकर उस पर कंडोम चढ़ा कर अपनी चूत में उतार लिया।
मैं भी पूरे जोश में था और खूब जम कर उसकी चूत मारी पूरे 15 मिनट। इस दौरान वो दो बार झड़ी।
अब मैंने उससे कहा कि वो घोड़ी बन जाए और मैंने खूब जम कर गांड भी मारी और मैं कंडोम के अन्दर ही झड़ गया।
हम दोनों निढाल होकर बिस्तर पर पड़े रहे फिर उठ कर कपड़े पहन लिए।
मैंने उसे पैसा देना चाहा पर उसने मना कर दिया यह कहकर कि उसे पैसे से भी बढ़कर दौलत मिल गई है क्योंकि उसका पति किसी दूसरी लड़की के चक्कर में है और उसे कई कई महीने नहीं चोदता है।
मैं कमरे से बाहर निकला काउंटर पर लड़के ने कहा- आप पहले बाहर निकल जाओ, मैं उस औरत को फिर बाहर निकालता हूँ।
मैंने ऐसा ही किया और होटल से बाहर आ गया।
थोड़ी देर बाद वो भी होटल से बाहर आ गई और हम दोनों अपने-अपने रास्ते निकल पड़े।
आज भी हम लोग जब मन होता है तो वासना के इस खेल को जरूर खेलते है और मैं उसकी पैसे भी मदद करता रहता हूँ।

No comments:

Post a Comment

 

Popular Posts