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मेरी बहु के साथ सोया

Thursday, August 21, 2014

हॉल में जाने के लिए जब मै पैसेज से गुजरा तब मैंने किसीके सिसकने की आवाज सुनी. वहीँ रुक गया. बहु के कमरे से आवाज आ रही थी. दरवाजे से झांक कर देखा तो पता चला कि बिस्तर में औंधी पड़ी हुई बहु रो रही थी.
अंदर जा कर पुछू उसे? क्या इस तरह बहु के कमरे में जाना ठीक होगा?
मेरा नाम हरिराम है. उम्र 52 साल. गाँव में स्कुल टीचर था. मेरा बेटा राहुल मुंबई में बड़ी कम्पनी में मेनेजर था. मेरी पत्नी का अभी दो महीने पहले ही देहांत हुआ था. बेटे के आग्रह करने पर स्कुल की नौकरी से इस्तीफा दे कर हंमेशा के लिए शहर में आया था.
मेरे बेटे के परिवार में उस की बीवी मोहिनी और पांच साल की एक बेटी पिंकी थी. 
मोहिनी अच्छे घर से आई है. पढ़ी-लिखी, सुन्दर, सुशील और संस्कारी लड़की है. मेरा बड़ा ही आदर करती है. रोज सुबह मेरे पांव छूती है. जब वह झुकती है तब उस की धोती का पल्लू गिर जाता है. में इतना कमीना हु कि उस की नंगी छाती देखते रहता हु. वह सब समझती है पर मुस्कुराती रहती है. सपने में हमेशा ही उसे अपनी बाहों में भर कर सोता हूँ. उसे ढेर सारा प्यार करता हूँ.
हाय रे नसीब! सपने भी कभी सच होते है क्या? 
फिर एक बार झांक कर देखा. बहु का जवान बदन और ऊपर उठे हुए बड़े बड़े गोल कुल्हे देख कर रहा नहीं गया. सीधा अंदर चला गया. मन किया कि उसके कुल्हे थपथपा कर पुछू कि क्या हुआ मेरी जानेमन? किसी तरह अपने आप को संभाला और पूछा, ‘क्या हुआ बहु, क्यूं रो रही हो?’ 
मुझे देख कर वह और जोर से रोने लगी. 
‘अरे बहु, हुआ क्या है? क्या आसमान गिर गया है या धरती फट गयी है? बताती क्यूं नहीं?’ मैंने कहा.
वह उठ कर ठीक से बैठी. धोती के पल्लू से आंसूओ से भीगा चेहरा साफ करने लगी. जैसे पल्लू हटा उस की छाती खुली हो गयी. उसके बड़े बड़े स्तन छोटी सी चोली में समां नहीं रहे थे. मेरी नजरे कहा टीकी हैं यह देख कर वह शरमा गई. अपनी छाती ढंक कर बोली, 'बाबूजी, आपका बेटा राहुल मुझसे प्यार नहीं करता!’
में चौंक गया. 'बहु, यह तुमने बहुत बड़ी बात कह दी. मुझे बताओ, बात क्या है?' वह कुछ सोच में पड़ी. मैंने फिर कहा, 'बहु, शरमाओ मत, जो भी है कहो, में तुम्हारे पिता समान हूँ.'
कुछ पल सोचने के बाद वह बोली, 'बाबूजी, कुछ दिनों से मेरे बदन में बहुत दर्द रहता है. दवाई भी खा रही हूँ. फिर भी ठीक नहीं हो रहा. डोक्टर से पूछा तो उन्हों ने कहा, दवा के साथ साथ मालिश भी जरुरी है. मैंने राहुल से कहा कि मेरी थोड़ी मालिश कर दो तो वह गुस्सा हो गया. कहने लगा, में मर्द हूँ! में क्यूं बीवी की मालिश करूं? बाबूजी, आप बताइए, क्या अपनी बीवी की मदद करने से वह मर्द नहीं रहेगा?’ वह फिर रोने लगी.
में सोच में पड़ा. 
वह कहने लगी, 'छोडिये बाबूजी, आपको खामखा तकलीफ दी.'
मैंने सोचा, यही मौका है! मैंने कहा, 'बहु, में तुम्हारी मदद कर सकता हूं. अगर तुम्हे एतराज़ न हो तो में तुम्हारे बदन क़ी मालिश करने को तैयार हूं!
'सच?' वह खुश हो गयी. जैसे उसे ईसी बात का इन्तेजार था! लेकिन दुसरे ही पल वह मुरजा गई. बोलने लगी, 'बाबूजी, किसी को पता चल गया तो?' 
'अरे पगली!' मैंने उस का हाथ पकड़ लिया. ' कैसे किसी को पता चलेगा? क्या तुम लोगों को कहने जाओगी कि तुम्हारा ससुर तुम्हारे बदन क़ी मालिश करता है?'
'नहीं!' 
'और में भी क्यूं किसी को बताने लगा!' मैंने कहा, 'चलो, कहो तो अभी शुरुआत करते है!' 
'अभी?' वह डर गयी थी. 
' क्यूं नहीं? अच्छे काम में देरी क्यूं?' कह कर मैं हाथ मलने लगा.
'अच्छी बात है.' कह कर वह उठी और तेल गरम कर के लायी. तेल क़ी डिबिया मुझे थमा कर वह बिस्तर में औंधी लेट गयी. उस के बड़े बड़े कुल्हे देख कर मेरे अंदर कुछ कुछ होने लगा. किसी तरह अपने आप को संभाल कर मैंने पूछा, ‘बहु, कहाँ से सुरु करू?'
'बाबूजी, जहाँ ठीक लगे सुरु करो, सारे बदन में दर्द है!' उसने अपने कुल्हे मटकाए.
मैंने धीरे धीरे से उसकी नंगी पीठ पर तेल मला और मालिश क़ी. 
बहु ने धोती घुटनों तक उपर खिंची. मैंने उस की नंगी टांगे पर तेल मला और मालिश क़ी. धोती के अंदर हाथ डाल कर मैंने उस की रेशम सी मुलायम जांघे सहलाई. वह सिहर उठी. बोली, 'बाबूजी, ऐसा मत करो!' वह कुछ ऐसे ढंग से बोली कि में उत्तेजित हो गया. तुरंत ही उस को उल्टा कर उस के बड़े कुल्हे पर भी हाथ घुमाया.
मैंने देखा वह मुस्कुरा रही थी. मैंने तेल क़ी डिबिया बाजु पर रखी और उस की कमर अच्छी तरह सहलाई.
'उह्ह्ह!' उस के गले से हलकी सी आवाज नीकली. 
'क्या हुआ बहु?' मैंने सहम कर पूछा.
वह बोली, 'बाबूजी, थोडा अच्छा दबाइए ना?’ 
वह मुझे खुल्ला आमंत्रण दे रह थी! मेरे बदन में खून गरम हो गया. वह औंधी लेटी थी. में उस के बदन से पूरा सट गया. मैंने हलके से उस की दोनों छाती को पकड़ा.
वह थर्रा उठी. बोली, 'बाबूजी, क्या कर रहे हो?'
मैंने कहा, 'जो मुझे करना चाहिए!' ईतना कह कर में उस की छाती दबाने लगा.
उसने मेरे हाथ पकड़ लिए. बोलने लगी, 'बाबूजी, यह आप ठीक नहीं कर रहे है!’
मैंने कहा, 'बहु, यह तुम्हारी चोली बीच में आ रही है! ईसे निकाल दो तो ठीक से कर पाउँगा!’ ईतना कह कर मैंने उसे अपनी गोद में खींच लिया और उस की चोली के हुक खोलने लगा. वह 'नहीं! नहीं!' करती रही और कुछ ही देर में मैंने उस की चोली निकाल कर फेंक दी! उसे अपने बदन से लगा लिया और उसकी oछाती को अच्छी तरह मसलने लगा. उस की नंगी पीठ और गर्दन को मैंने बार बार चूमा.
उसने पलट कर मेरे होठो से होठ लगा लिए. वह बोली, 'बाबूजी, आप तो बड़े ही शैतान निकले!’ 
मैं उस के बदन को रगड़ने लगा. कुछ ही देर में मैंने उस की धोती, पेटीकोट और पेंटी निकाल कर फेंक दी और उसे संपूर्ण नग्न कर दिया. वह हाथो में मुह छीपा कर शरमाने का नाटक करने लगी. मैंने उस के बड़े गोल कुल्हे प्यार से थपथपाए. उसने मेरा हाथ अपनी योनी पर रखवाया और बोली, 'बाबूजी, ईसे भी थोडा प्यार करो!’
मैंने उस की योनी को सहलाया. अच्छी तरह रगडा. उस की योनी में उंगली घुसेड कर अंदर-बाहर करने लगा. वह 'ऊह... आह...' करने लगी. कुछ ही देर में वह मेरे कपडे खींचने लगी. मैं अपने कपडे निकालने लगा. वह बेसब्री से ‘जल्दी करो, जल्दी करो’ चिल्लाने लगी.
मेरा हथियार देख कर वह बड़ी खुश हुई. छू कर बोली, 'कितना बड़ा और कड़क है! बाबूजी, जल्दी करो, में ईसे अपने अंदर लेने के लिए बड़ी बेताब हूँ!’ 
में बहु के ऊपर चढ़ गया. मेरा बड़ा और कड़क हथियार उसके छेद के अंदर डाल कर खूब अच्छी तरह रगडा. वह बहुत खुश हुई. बोली, 'आपका बेटा ईतना अच्छा नहीं रगड़ सकता!’
फिर हम दोनों बाथ-टब में साथ में नहाये. एकदूसरे के नंगे बदन को खूब टटोला और बहुत चूमा-चाटा. साथ में ही खाना खाया और मेरे कमरे में जा कर एकदूसरे को लिपट कर सो गए. 
दोपहर में तीन बजे मेरी पोती स्कुल से वापस आई . उसे खाना खिलाकर, उसके कमरे में सुला कर बहु फिर मुझसे लिपट कर सो गयी.
मैंने कहा, 'मेरी प्यारी मोहिनी, आज मेरा एक सपना पूरा हो गया!' 
मेरी निपल को अपने नाखुनो से खरोंचते हुए उसने पूछा, 'कैसा सपना मेरे प्यारे बाबूजी?'
मैंने कहा, 'यही, मेरी बहु को मेरी बाहों में लेकर सोना! गाँव से आया हू तब से यही एक सपना देख रहा था!’ 
'बहुत ही नीच और नालायक ससुर हो! अपनी बेटी समान बहु को ऐसी गन्दी नजर से देखते हो?' उसने मुझे बहुत सारे हलके हलके चांटे मारे. मैंने भी उस के कुल्हे पर कई सारे फटके दिए. 
फिर उसने मुझे बहुत सारे चुम्मे किये. बोली, 'मेरी भी एक इच्छा आज पूरी हुई.' 
'कौनसी इच्छा?' मैंने पूछा.
'आपको सुबह में वर्जिश करते देखती थी तब मन में विचार आता था, एक बार , एक बार अगर बाबूजी अपने कसरती बदन से मुझे कुचल दे!’
'एक बार नहीं, बहु, में तुम्हे बार बार कुचलूँगा!' कह कर मैंने उसे बहुत सारे चुम्मे किये.
मेरे बेटे राहुल के ऑफिस जाने के बाद और मेरी पोती के स्कुल से लौटने के पहले हमें ४-५ घंटे का एकांत मिलता था. उसी एकांत में हमारा प्यार पनपा. मेरी बहु के पेटमे मेरा बच्चा साँस लेने लगा. पूरे दिन पर उसने सुंदर और स्वस्थ बेटे को जन्म दिया. बहु ने हमारा प्यार अमर रखने के लिए उस का नाम हेरी रखा है. राहुल उसे अपना ही बेटा समजता है. 
मोहिनी और और मेरे प्रेमसंबंध को आज पंद्रह वर्ष हो गए है. उम्र बढ़ने के साथ वह और ज्यादा हसीन हो गई है. चौदह वर्षीय हेरी, मोहिनी और मैं तीनो कई बार बाथटब में संपूर्ण नग्न हो कर साथ साथ नहाते है और खूब मस्ती करते हैं. 
राहुल और मोहिनी की बेटी यानि कि मेरी पोती पिंकी अब बीस वर्ष की जवान हो गई है. उस का रूप मोहिनी जैसा ही लुभावना है. वह घर में बहुत छोटे कपड़े पहनती है. आज कल मैं उसे मेरे बिस्तर में लिटाने के चक्कर में हूँ.

Badi Behan Ke Sath Foreplay

Thursday, April 17, 2014

Hi
friends. .Mera naam hai Amit …umar 20 saal … height 5 ’11 ″aur physique normal …lund5 .5 inch …Kareeb6 saalhogayemujhe ISS pe alag
alag categories ki stories padhte hue…magar
kabhi khud ke experience ko share nahi kiya …
Aaj kafi waqt baad mujhe mann kar raha hai
apni bhi ek chhoti si daastaan share karun
sabke saath ..
Ye kahani hai ek ladki ke jism ke saath mere
pehle encounter ki …Pehle mujhe thoda
background briefly batana hoga ..
Meri 3 own sisters hain. .teeno badi. Unke saath
rehte rehte maine ladkiyon ke bare mein
lagbhag har cheez seekh li hai …isliye unhe
impress karna mere liye aam baat hai .khaaskar
mujhse 3- 4 saal badi umar ki ladkiyan toh boht
hi aasaani se pat jati rahi hain..
Baat aaj se 6 saal purani hai jab mai 14 saal ka
tha. Puberty hit kiye hue kehne ko sirf 2 saal
hue the par un 2 saal mein shayad mai har ek
din mutth maarta tha. .Dost itne shareef the ki
class 7 mein hi maine Blue films dekhni shuru
kar di thi…Pehle actresses ko soch ke muthh
maarta tha , fir anjaan ladkiyon ko sochkar, fir
behno ki friends, fir khud behnein , fir auratein ,
bhabhiyan…shayad zindagi mein milne wali har
female ko soch ke maine kam se kam ek baar
muthh mara hai .
Mai kuch dino ke liye apne mama ke ghar gaya
tha. Bade mama ki sirf 2 betiyaan hain. Badi
wali ka naam hai Shalini aur chhoti wali ka
naam Meghna. Us waqt Shalini kareeb 18 saal ki
thi aur shraddha 16 saal ki . Hamare ghar aur
khaandaan mein ladkiyon pe kafi restrictions
rehte hain isliye wo dono hi gharelu type
ladkiyan thi. Shalini didi aur meri kafi patti thi,
Meghna se mai jyada baat nahi karta tha .
Ab fatafat mai kahani pe aata hun . Ek raat ko
hum sab sone ki tayyari kar rahe the. Shalini
didi mere saath sone ke liye kafi excited thi
kyunki unko meri girlfriends ke bare mein
jaanna tha . Toh humein baat karte karte raat ke
1:30 baj gaye . Fir maine unse kaha chalo ab so
jate hain. Aankh bandh karne ke 10 minute
baad didi ne mera hath apne hath mein pakda
aur pyaar se masalne lagi .. mujhe bhi accha
laga toh mai bhi unka hath kaske pakad liya . Fir
wo apna ek pair se mere pair ko masalne lagi .
Lekin pata nahi kyun achanak unhone apna pair
piche khinch liya and so gayi . Maine jyada
dhyaan nahi diya fir .
Fir kuch dino baad meri mausi ki beti ki shaadi
thi. Toh hum sab wahin gaye the. Kkhoob masti
karte the wahan . Din bhar masti , gana , etc. karte
rehte the . Wahan bhi mujhse 3 saal badi ek
ladki thi jo mujhpe boht line maar rahi thi.
Naughty baatein kar rahi thi. Mai bhi bade maze
le raha tha uske . Raat ko nachna gana chal raha
tha. Kareeb 12 baje the . Mujhe neend aarahi
thi. Toh mai ek room mein aake so gaya . Room
bada tha , usmein 3- 4 log pehle se soye the . Mai
chupchap sabse last mein jake razayi mein
ghuske so gaya . December ka mahina tha aur
UP ki thand toh aap jante hi honge.
Kareeb 2 baje raat ko meri neend khuli. Neend
jo khuli toh khuli, jis situation mein mai tha who
dekh kar toh mere hosh ud gaye . Mere daayi
taraf bagal mein koi ladki soyi thi, aur mera left
hand uske nightsuit wale top ke andar uski Bra
ke upar tha. 2 minute toh pehle situation ko
samajhne mein lag gaye kyunki room mein pura
andhera tha. Fir maine thoda aaspaas tatol ke
dekha toh samajh aagaya shalini didi ke hi
andar mera haath hai . Ek taraf dil ki dhadkane
badh gayin…doosri taraf lund ka size . .tarah
tarah ke khyaal aane lage dimaag mein . Kya
maine anjaane mein hath ghusa diya hai . Ya
didi ne khud jaan bujhkar dala hai . Ek jawaan
ladka tha mai , aur bra ke upar se hi boobs ko
touch karne mein maza aaraha tha. .toh hath
bahar nikalne ka bhi mann nahi kar rha tha.
Maine socha beta risk toh lena hi padega. Mai
dheere dheere bra ke andar hath ghusane ki
koshish karne laga ..but wo boht tight thi. Pehle
2- 3 minute main halka halka masalta raha .
Fir meri bhookh badhne lagi . Mai pet par hath
ferne laga . Lund puri tarah khada ho raha tha.
Mujhe shak hua ki didi jaag rahi hai aur sone ka
natak kar rahi hai …Isko confirm karne ke liye
mujhe ek idea aaya. Mai apne hath ko unki
peeth ki taraf le gaya . Thoda rub karne ke baad
maine kaske unki kamar pakdi aur unko apni or
moda. Ab hum dono face - to - face the . Unki
aankein ab bhi bandh thi. But itne hilane ke
baad bhi wo uthi nahi toh mai samajh gaya ki
didi neend mein nahi hai . Meri himmat badh
gayi. Kuch der peeth sehlaane ke baad mai
unke bra ke hook ko tatolne laga . Maine isse
pehle apni behno ki bra bathroom dekhi thi aur
kabhi kabhi unko lund pe ragadkar muthh
maara tha . Ek haath se bra kholna mere liye
baayein haath ka khel tha. Maine turant unki
bra kholi. Wo ab bhi bilkul waise hi leti thi.
Shoulder ke upar se bra ko utarte hue maine
dheere dheere bra ko unke hath se nikalkar
khol diya .. ab unke breasts mujhe saaf sikhayi de
rahe the haalnki left wala kuch neeche daba tha
unki body ke . Ab toh mujhse raha hi nahi ja
raha tha . Maine fatafat unke nipple ko masalna
shuru kar diya. Thoda thoda boobs ko dabane
laga .
Achanak didi ne karwat le li aur seedhi hogayi.
Mai ekdum se darr gaya . Mujhe firse doubt hua
ki kahin didi sach mein so hi toh nahi rahi . Agar
uth gayi aur aise dekha toh mai mar jaunga .
Lekin kehte hain sex ka nasha insaan ek baar
chadh jaye to fir jhadne ke baad hi utarta hai .
Mai unke dono boobs dabane laga . Wo hil nahi
rahi thi. Thoda sa uth ke maine unke ek nipple
ko lick bhi kiya . Ab mere andar ka shaitaan
chhatpatane laga . Mujhe choot chahiye thi.
Maine dheere dheere apna hath unke pant ke
andar ghusaya. Pehle mai unki jaangho ko
sehlata raha . Uff kya chikni jaanghein thi woh.
Fir maine apna hath unki panty par rakha . Wo
gili ho rakhi thi. Ye dekhkar toh mai aur pagal
hone laga . Excitement mein maine jaise hi unki
panty mein hath dala ..mere kaan mein kisine
fusfusaya, “ Kya kar rahe ho Amit bhaiya ?”. Meri
toh jaise saansein ruk gayi . Gaand phatt ke hath
mein aagayi . Mai panty ki taraf itna magn
hogaya tha ki dhyaan hi nahi diya didi 1 minute
se meri taraf muh kar rakhi thi. Mujhe AC room
mein paseene aane lage . Kuch samajh nahi
aaraha tha . Mera hath bhi waise ka waise reh
gaya . Bilkul sunn . Aankhon ke samne kabhi
mama - mami ka chehra aaraha tha kabhi apne
papa- mumy ka . Mujhe laga ab toh mai gaya ,
didi shayad ab tak sharm ke maare bardaasht
kar rahi thi but ab toh wo sabko bata degi
subah. Kismat bhi kharab thi meri , us kamre
mein aur bhi log soye the warna didi ko kuch na
kuch kehkar pata leta shayad.
Lekin fir dobara kaan mein ek awaz aayi …Didi
ne bade hi romantic way mein kaha …” Ruk kyun
gaye ?? : P ”
Us sentence ne toh mujhe saatve aasmaan pe
pohncha diya . Meri jaan mein jaan aayi . Uske
baad mera haath missile ki tarah unki chut pe
gaya . Kya mast choot thi wo ! Ekdum jawan
virgin choot . Aur pani se bhari hui . upar jhaant
thi jo shayad kuch din pehle hi kati thi. choot ke
dono lips bilkul foole hue the . Mere choot mein
ungli daalte hi didi ekdum se stiff hogayi . Unka
pura sharir kasa hua tha. Choot bhi hadd se
jyada tight thi. Maine dheere dheere apni ungli
andar ghusayi . Thodi ghusane ke baad mai usse
fast hilane laga . Mera lund bhi chhatpata raha
tha. Toh maine didi ka left hand lekar apne
underwear mein daal diya. Ek gharelu ladki
hone ke naate unhe ye bhi nahi pata tha ki
aage kya karna hai . Fir maine unka hath apne
hathon mein liya aur lund ko pakad ke hilane
laga . Unka hath mere pant mein, mera hath
unki panty mein. Kya maza aaraha tha! 1- 2
minute hilane ke baad hi hum dono jhadd gaye .
Didi ko shayad pata nahi chala ki kya hua . Who
ghabra gayi . Sala hum aapas mein baat bhi nahi
kar pa rahe the is darr se ki koi jaag jayega . Didi
ne turant apna hath mere pant se nikala aur
apne kapde pehanne lagi . Wo shayad kuch jyada
hi darr gayi thi. Fir wo bathroom mein gayi aur
karib 15 minute baad lauti. Mere bagal mein
letkar usne mere kaan mein dheere se kaha ,
“ Amit bhaiya please aaj humare beech jo kuch
bhi hua usey bhool jana .” Mai thoda udaas
hogaya. Fir mai bathroom gaya aur 2 baar aur
muthh mara. Sab aadha - adhura reh gaya tha.
Didi ke sath kuch kar na pane ka gam to tha,
but mujhe khushi bhi thi pehli baar kisi ladki ke
chhot mein ungli daalne ki .
Dusre din subah hi humein nikalna tha , isliye
didi se baat hi nahi ho payi . Yun samajh lo, ki
hum ek dusrre se nazrein hi nahi mila pa rahe
the. Uske baad maine kayi plans banaye dobara
apne mama ke yahan ja ke apni didi ko chodne
ke , lekin kismat ke kaaran kuch ho hi nahi paya .
2saal baad unki alag shehar mein shadi hogayi,
aur humara milna almost bandh hogya. Isliye
maine is baat ko chhod dena hi behtar samjha .
 

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