लिंग की आत्मकथा

Monday, February 27, 2017

मैं शेखर का लिंग हूँ। मुझे अनेकों उपनामों से जाना जाता है क्योंकि लोग मेरा नाम लेने से शर्माते हैं। शेखर 36 साल का है और मुझ में बहुत दिलचस्पी रखता है। जब शेखर छोटा था तब उसे मेरे में कोई खास रूचि नहीं थी। तब मैं खुद भी छोटा ही था और शेखर सिर्फ मुझे सुसू करने के लिए इस्तेमाल करता था… पर आजकल तो मैं उसकी सोच का केंद्रबिंदु सा बना हुआ हूँ।
जब शेखर का जन्म हुआ था तो मैं करीब एक इंच का था और मेरा आकार एक पतली मूंगफली जैसा था, ऊपर और नीचे से पतला और बीच से थोड़ा मोटा। मेरा मुँह पैना था और उस पर जिल्द की एक-दो परतें थीं, जैसे चूड़ीदार पाजामे का निचला छोर होता है। यह फालतू की खाल मेरे मुँह पर हमेशा रही है… यह क्यों है ? मुझे पहले पता नहीं था, पर जब शेखर लड़कपन और जवानी की ओर बढ़ा तब मुझे इसके फ़ायदे और ज़रूरत का पता चला। यह बाद में बताऊँगा…
पहले पाँच साल में मेरे आकार में ज्यादा फर्क नहीं आया। जब शेखर 6-7 साल का हुआ तब मैं करीब 2 इंच का था और मेरी गोलाई भी थोड़ी बढ़ गई थी पर मेरा मुँह अभी भी पैना ही था। मुझ में ज्यादा बदलाव तब आने शुरू हुए जब शेखर 13 साल का हुआ। मेरा आकार करीब 3.5 इंच का हो गया था और मेरे आस-पास बाल उगने लगे थे… हलके, घुंघराले और मुलायम… शेखर को आश्चर्य हुआ था… शायद वह इसकी उम्मीद नहीं कर रहा था। धीरे-धीरे बाल घने होते गए और मेरे आस-पास के पूरे इलाके को ढक लिया।
शेखर जब 18 साल का हुआ तब मैं पूरी तरह पनप गया था। मेरी लम्बाई करीब 4.75 इंच और मेरी परिधि करीब 3.5 इंच हो गई थी। मेरे मुँह का पैनापन खत्म हो गया था और उसकी जगह गोल कुकुरमुत्ता–नुमा (mushroom-shaped) सुपारा बन गया था जिसकी परिधि मेरे तने की परिधि से ज्यादा थी और जो करीब एक इंच लंबा था। मेरे मुँह पर अतिरिक्त खाल का घूंघट रहता था।
जब शेखर मुझसे खेलता तो इस खाल को पीछे खींच कर मेरे मुँह को नंगा कर देता जो कि गुलाबी और अत्यंत मार्मिक था। शेखर ने कई बार अपने सुपारे को खाल की परत से बाहर निकालने की कोशिश की थी पर सुपारा बड़ा होने के कारण बाहर नहीं आ पाया था।
एक दिन एक डॉक्टर ने उसकी खाल को एक झटके में पीछे खींच कर उसके सुपारे को पूरी तरह बेनकाब कर दिया था। शेखर को क्षणिक दर्द हुआ था पर उसके बाद से उसकी खाल सुपारे के ऊपर आसानी से चलने लगी थी। सामान्य तौर पर सुपारा खाल के घूंघट में ढका रहता पर जब कभी शेखर को उत्तेजना होती या वह हस्तमैथुन करता तो सुपारा खाल से बाहर आकर पूरा दिखाई देता है। कुछ धर्म के लोग लिंग के ऊपर की खाल को हमेशा के लिए काट कर निकलवा देते हैं। ऐसे लिंग को खता हुआ लिंग कहते हैं (circumcised)। खते हुए लिंग के दो फायदे माने गए हैं… एक तो लिंग के सुपारे में कोई मैल या गंदगी नहीं छिपी रह सकती जिससे वह स्वच्छ रहता है और दूसरा यह कि सुपारा सदैव उघड़ा रहता है जिस कारण उसकी धीरे धीरे संवेदनशीलता कम हो जाती है और चरमोत्कर्ष तक पहुँचने में थोड़ा अधिक समय लगता है।इसके अलावा खते और अनखते लिंग में कोई फर्क नहीं होता।
जब उत्तेजना के कारण मैं स्तंभित हो जाता हूँ तो मेरी लम्बाई 5.75 इंच और परिधि लगभग 4 इंच हो जाती है। शेखर की 18 साल की उम्र के बाद से मेरे आकार में कोई विकास नहीं हुआ है। शेखर हमेशा से मेरे बारे में बहुत शर्मीला रहा है। वह किसी से मेरे बारे में बात करने या कुछ पूछने से कतराता है। जब से शेखर अपने आप नहाने योग्य हुआ है तबसे शेखर के अलावा किसी ने मुझे नहीं देखा है। बस शेखर की शादी के बाद उसकी पत्नी अंजलि ने मुझे देखा है।
मेरा लोगों से छुपे रहना मेरे आकार के प्रति कई भ्रांतियाँ पैदा करने में मदद करता आया है। अक्सर मर्द अपने लिंग के आकार को बढ़ा-चढ़ा कर ही बताते हैं क्योंकि उन्हें पता है कि उन्हें इस बात का प्रमाण नहीं देना पड़ेगा। इसका लड़कों पर मानसिक दुष्प्रभाव यह पड़ता है कि उन्हें लगता है केवल उनका लिंग ही छोटा है… और वे इस हीन भावना से सदा के लिए प्रभावित हो जाते हैं। वे यह नहीं सोचते कि जब प्रकृति ने उनके बाकी अंग… जैसे हाथ, पैर, कान, नाक इत्यादि उपयुक्त आकार के बनाये हैं तो केवल उनका लिंग ही छोटा क्यों बनाया होगा?
इस हीन-भावना से त्रस्त पुरुष अपना लिंग बड़ा करने के कई उपाय करते आये हैं… बाज़ार में तरह तरह के लोशन, क्रीम, गोलियाँ, पम्प व क्रियाएँ उपलब्ध हैं जो कि लिंग का आकार बड़ा करने का वादा करती हैं… पर वास्तविकता में ये ढोंगी डॉक्टरों, हकीमों, वैद्यों, साधुओं और व्यापारियों की आसानी से पैसा कमाने की योजना होती है। बहुतों ने आजमाया है पर हर पुरुष को इसमें निराशा ही मिली है क्योंकि लिंग को बड़ा करना संभव है ही नहीं।
यह सिर्फ सर्जरी से मुमकिन है पर इसके बहुत खतरे और दुष्परिणाम हो सकते हैं। मेरी राय में शेखर को मेरे आकार से संतोष करना चाहिए क्योंकि मैं हर तरह से अपना निर्धारित काम करने में सक्षम हूँ और अंजलि कभी मेरे आकार को लेकर असंतुष्ट नहीं हुई है।
विभिन्न देशों में लिंग का औसत आकार
( 1 इंच = 2.54 cm)
देश लिंग का औसत आकार
कोंगो गणतंत्र, अफ्रीका 18.0 cm
एकुआडोर, दक्षिण अमरीका 17.7 cm
घाना, अफ्रीका 17.2 cm
कोलोम्बिया, दक्षिण अमरीका 17.0 cm
आइसलैंड, यूरोप 16.5 cm
इटली, यूरोप 15.7 cm
दक्षिण अफ्रीका गणराज्य, अफ्रीका 15.2 cm
स्वीडन, यूरोप 14.9 cm
ग्रीस, यूरोप 14.7 cm
जर्मनी, यूरोप 14.4 cm
न्यूज़ीलैंड, ऑस्ट्रेलिया 13.9 cm
ब्रिटेन, यूरोप 13.9 cm
कनाडा, अमरीका 13.9 cm
स्पेन, यूरोप 13.9 cm
फ़्रांस, यूरोप 13.4 cm
ऑस्ट्रेलिया 13.2 cm
रूस, यूरोप 13.2 cm
अमरीका 12.9 cm
आयरलैंड, यूरोप 12.7 cm
रोमानिया, यूरोप 12.7 cm
चीन, एशिया 10.9 cm
भारत, एशिया 10.0 cm
थाईलैंड, एशिया 10.0 cm
दक्षिण कोरिया, एशिया 9.6 cm
उत्तरी कोरिया, एशिया 9.6 cm
वैश्विक स्तर पर लिंग का औसत आकार
लिंग-अवस्था लम्बाई परिधि (घेरा)
शिथिल 9.0 – 9.0 cm
3.5 – 3.7 इंच 8.5 – 9.0 cm
3.3 – 3.5 इंच
उत्तेजित 12.8 – 14.0 cm
5.0 – 5.7 इंच 10 – 10.5 cm
3.9 – 4.1 इंच
मेरे दो पड़ोसी भी हैं जो मेरे साथ जुड़े हुए से हैं। पहले तो मुझे उनके अस्तित्व का पता नहीं था पर जैसे-जैसे शेखर बड़ा हुआ मेरा ध्यान इन पड़ोसियों पर पड़ा। इनका नाम तो अंडकोष है पर इन्हें प्यार से टट्टे या गोलियाँ बुलाते हैं। ये मेरी तरह आकर्षक तो नहीं हैं पर शेखर की मर्दानगी मुझसे ज्यादा इनके कारण हैं। शायद शेखर को इनके बारे में ज्यादा पता नहीं है… वह तो मुझे ही मर्दानगी का चिह्न मानता है। सिर्फ शेखर ही नहीं अन्य लोग भी यही समझते हैं…
पर मैं जानता हूँ अंडकोष बहुत ज़रूरी काम करते हैं। उनके अंदर करोड़ों शुक्राणु (sperm) पैदा होते हैं जिन्हें मैं सम्भोग के चरमोत्कर्ष के समय विस्फोट के साथ छोड़ देता हूँ। इन करोड़ों शुक्राणुओं में से कोई एक सफल शुक्राणु, स्त्री के अंडे को भेदता है जिससे एक नई ज़िंदगी की शुरुआत होती है। यह प्रकृति की सबसे अनूठी और अद्भुत क्रिया कही जा सकती है। इसमें मेरा काम केवल स्तंभित हो कर स्त्री की योनि में प्रवेश करना होता है जिससे वीर्य स्त्री की योनि के भीतर छूट सके। बाकी काम, जैसे शुक्राणु और वीर्य उत्पादन अंडकोष और प्रोस्टेट ग्रंथि करते हैं। अगर ये ठीक से काम ना करें तो शेखर कभी पिता नहीं बन सकता, बस मेरे कारण यौन-सुख अवश्य भोग सकता है और स्त्री को सुख दे सकता है।
अंडकोष की थैली में विशेष मांसपेशियाँ होती हैं जो सिकुड़ कर उसे बदन के करीब ला सकती हैं या ढीली होकर बदन से दूर लटका सकती हैं। ये मांसपेशियाँ तीन मुख्य भूमिका निभाती हैं :
1. शुक्राणु एक निश्चित तापमान में ही रह सकते हैं जो कि शरीर के सामान्य तापमान से थोड़ा कम होता है। इसलिए ठन्डे मौसम में अंडकोष को गरमाहट देने के लिए बदन के करीब खींच लेती हैं और गर्मी में उन्हें कर ठंडक पहुंचाने के लिए दूर लटका देती हैं। ऐसा करने से शुक्राणु को जीवित रहने में मदद मिलती है।
2. जब चरमोत्कर्ष में वीर्योत्पात होता है तो वीर्य को वेग से बाहर भेजने के लिए ये सिकुड़ कर वीर्य का रास्ता कम कर देती हैं।
3. जब शेखर को भय, कौतूहल या दुविधा हो या वह किसी ऐसी क्रिया में लगा हो जिसमें अंडकोषों को चोट लगने का डर हो तो वे सिकुड़ कर अंडकोषों को शरीर के पास ले जाती हैं।
शुक्राणु के अलावा अंडकोष एक अत्यंत महत्वपूर्ण रसायन, टेस्टोटेरोन (testoterone) का संचार करते हैं जिससे शेखर की मर्दानगी पनपती है। जब शेखर अपनी माँ की कोख में था तभी से इस रसायन का उत्पादन शुरू हो गया था जिस कारण शेखर लड़की ना बनकर लड़का बना था। फिर शेखर के यौवन प्रवेश के समय इस रसायन के अतिरिक्त उत्पादन के कारण ही उसके बदन पर बाल, दाढ़ी-मूछें, आवाज़ में मर्दानगी और मेरे आकार में विकास जैसे मर्दाने बदलाव आये थे।
शेखर को शायद नहीं पता कि प्रजनन का परिणाम लड़का होगा या लड़की, यह स्त्री पर नहीं बल्कि सिर्फ पुरुष पर ही निर्भर होता है। पुरुष के शुक्राणुओं में अगर सिर्फ एक तरह के अंश (XX) होते हैं तो लड़की का और अगर दो तरह के अंश (XY) होते हैं तो लड़के का जन्म होता है। स्त्री के अंडे में इस तरह के विकल्प नहीं होते… वह सिर्फ एक तरह के अंश (YY) ही पैदा कर सकती है। इसलिए बच्चे के लिंग की पूरी ज़िम्मेदारी मर्द पर होती है।
पर भाग्य की विडम्बना देखिये… कोई भी शेखर को, एक के बाद एक, तीन बेटियों के जन्म के लिए जिम्मेदार नहीं मानता… सब उसकी पत्नी को ही दोषी मानते हैं। पर मुझे पता है… इस के ज़िम्मेदार मेरे पड़ोसी टट्टे हैं।भगवान का शुक्र है मेरा इसमें कोई हाथ नहीं है। मैं तो सिर्फ पिचकारी का काम करता हूँ… या तो मूत्र या फिर वीर्य की बौछार करना मेरा काम है। बाकी तकनीकी काम शेखर के टट्टे और अंदरूनी अंग, अव्यय और ग्रंथियां करते हैं ! मुझे खुशी है मेरा काम सबसे मज़ेदार है। ना केवल शेखर को मैं चरम आनन्द पहुँचाता हूँ, मैं उसकी पत्नी अंजलि को भी अत्यंत सुख दिलाता हूँ… ना केवल सम्भोग के द्वारा बल्कि वह मुझे छूने में, सहलाने में और अपने मुँह में लेकर चूसने में भी आनन्द लेती है।
प्रायः मैं शिथिल अवस्था में ही रहता हूँ जब मेरा आकार करीब 3.5 से लेकर 5.5 इंच तक का होता है। जब शेखर को यौन-उत्तेजना होती है तो मैं कड़क हो जाता हूँ और मेरा आकार 5 से 6 इंच तक का हो जाता है। यह हम भारतीयों और एशिया-वासी मर्दों के लिंगों का औसत आकार होता है। मैं कड़क कैसे होता हूँ यह भी एक रोचक क्रिया है।
शेखर को उत्तेजना यौन-सम्बंधित दृश्यों, आवाजों, स्पर्श या कामुक यादों से होती है। इस उत्तेजना का संकेत उसके मस्तिष्क (para-ventricular nucleus) में पैदा होकर, रीढ़ की हड्डी की विशेष नसों से गुजरता हुआ, श्रोणि (pelvis) नसों और प्रोस्टेट ग्रंथि से होता हुआ मुझ तक पहुँचता है। मेरे अंदर तीन नलियां हैं… बीच की नली मूत्र और वीर्य विसर्जन के काम आती है और मेरे दोनों तरफ एक-एक नली है (corpora cavernosa) जो कि मेरी जड़ की तरफ खुली और सुपारे के तरफ से बंद होती हैं।
उत्तेजना संकेत इन दोनों नलियों को ढीला कर देता है और जिससे वे खुल जाती हैं और इन में रक्त प्रवाह सामान्य से करीब आठ-गुणा बढ़ जाता है। इस अतिरिक्त रक्त के भरने से मैं बड़ा और कड़क हो जाता हूँ और मेरा रक्त-चाप बाकी शरीर के रक्त-चाप के मुक़ाबले दुगुना हो जाता है। इस बढ़ते रक्त-चाप के कारण मेरी बाहरी सतह उन धमनियों को बंद कर देती है जिनसे रक्त बाहर जाता है। अतः मेरे अंदर रक्त क़ैद हो जाता है और मैं बड़ा और कड़क हो कर सम्भोग-योग्य हो जाता हूँ।
आम तौर पर मेरी सम्भोग क्षमता करीब 1.5 से 3 मिनट की होती है जिस दौरान मैं स्तंभित (कड़ा) रहता हूँ और फिर मैं चरमोत्कर्ष के करीब पहुँच जाता हूँ। चरमोत्कर्ष पर पहुँचते ही शेखर के मस्तिष्क से संकेत नाटकीय रूप से बदलते हैं। जननांग में एड्रिनलीन उत्पादन में अचानक वृद्धि होती है जिससे वीर्योत्पात शुरू हो जाता है जिसमें प्रोस्टेट ग्रंथि और मैं मिलकर करीब 10 से 15 बार हिचकोले लेकर वीर्य निष्कासित करते हैं। कुल वीर्य की मात्रा करीब 10 ml होती है जो कि एक चाय की चम्मच से थोड़ी ज्यादा होती है।
वीर्योत्पात के साथ ही मेरी जड़ की वे मांसपेशियाँ ढीली होने लगती हैं जिन्होंने रक्त बाहर जाने वाली धमनियों को बंद करके रखा था। इसके फलस्वरूप मेरे में क़ैद रक्त को बाहर जाने का रास्ता मिल जाता है और धीरे धीरे वह रक्त मुझे छोड़ कर बाकी शरीर में प्रवाह करने लगता है। ऐसा होने से मैं फिर से छोटा और शिथिल हो जाता हूँ और मुझ में सम्भोग-योग्य स्तंभता नहीं रहती।
एक बार वीर्योत्पात करने के बाद मुझे कुछ समय तक आराम की ज़रूरत होती है जिस दौरान मैं दुबारा से स्तंभित नहीं हो सकता। यह समय करीब 15 से 20 मिनट का हो सकता है। इस दौरान मुझे आराम करना ही पसंद होता है। बल्कि वीर्योत्पात के करीब 5 मिनट तक तो मुझे कोई स्पर्श या सहलाना भी अच्छा नहीं लगता। इस विराम के बाद मुझे दोबारा स्तंभित करने में पहले से ज्यादा उत्तेजना की ज़रूरत पड़ती है जो कि स्त्री मुझे प्यार से सहला कर या अपने मुँह में लेकर कर सकती है। जब मैं दूसरी बार कड़क होता हूँ तो मैं ज्यादा देर, यानि 8 से 10 मिनट तक सम्भोग कर पाता हूँ। यह अवधि मेरे योनि प्रवेश के बाद की अवधि है और यह शेखर और उसकी पत्नि की यौन-तृप्ति के लिए काफी पर्याप्त है। इससे ज्यादा देर का सम्भोग मेरे लिए और योनि के लिए अक्सर असहाय हो जाता है। मैं मानता हूँ कि सेक्स-फिल्मों में और कहानियों में सम्भोग घंटों चलता है पर यह अप्राकृतिक है और इससे प्यार और आनन्द का अनुभव नहीं होता। अब जब शेखर का वीर्योत्पात होता है तो वीर्य की मात्रा भी कम होती है और संकुचन भी कम देर होता है।
आजकल मैं एक सत्र में दो से ज्यादा बार स्तंभित हो कर वीर्य-स्खलन कर नहीं पाता हूँ। पर शेखर जब जवान था तो तीसरी बार भी मुझे स्तम्भन के लिए तैयार कर पाता था। तीसरी बार के स्तम्भन के लिए समय भी ज्यादा लगता था, करीब 30 से 40 मिनिट, और सम्भोग अवधि भी बढ़कर करीब 10 से 15 मिनिट हो जाती थी। तीसरी बार की वीर्योत्पात मात्रा बहुत कम होती थी। एक सत्र में शेखर तीन से ज्यादा बार सम्भोग कभी नहीं कर पाया है। प्रकृति ने मेरी स्तम्भन और सम्भोग क्षमता पर अंकुश लगा कर एक तरह से स्त्री जाति पर एहसान किया है। अगर यह अंकुश नहीं होता तो शेखर सारी सारी रात रति-क्रिया में ही लत रहता।
हालांकि मैं सामान्य आकार का हूँ पर शेखर को मैं बहुत छोटा लगता आया हूँ। शेखर अकेला ही नहीं है… लगभग सभी मर्द अपने लिंग को छोटा मानते हैं। दक्षिण और पूर्वी एशियाई मर्दों के लिंग अमरीकी, अफ्रीकी और यूरोपीय मर्दों के लिंग के मुकाबले थोड़े छोटे ज़रूर होते हैं पर वैश्विक-स्तर पर देखा जाये तो सभी लिंगों का औसतन आकार मेरे आकार से ज्यादा बड़ा या छोटा नहीं होता। वैश्विक पैमाने पर शिथिल लिंग 3.5 से लेकर 5 इंच तक और खड़ा लिंग 5 से लेकर 6.75 इंच तक का होता है। मतलब, दुनिया के करीब 86% मर्द इसी आकार के लिंग से विभूषित हैं। हाँ, जिस तरह दुनिया में कुछ अजीबो-गरीब लंबे और ठिगने लोग मिलते हैं उसी प्रकार लिंग भी इन औसत आंकड़ों से परे हो सकते हैं। इन करीब 14% मर्दों में भी करीब 2% ही ऐसे होंगे जिनका कड़क लिंग 3.5 इंच से कम या 7.5 इंच से बड़ा होगा। जिन मर्दों का लिंग इन आकारों से भी छोटा या बड़ा होता है वे अपने आप को बद-किस्मत समझ सकते हैं। जहाँ अति-छोटा लिंग मर्द की मानसिकता और उसकी मर्दानगी के अहसास को आघात पहुंचाता है वहीं ज़रूरत से ज्यादा बड़ा लिंग भी एक तरह का बोझ ही होता है। तुम्हें आश्चर्य हो रहा है ? मैं समझाता हूँ…
प्रकृति ने मुझे मूल रूप से सम्भोग के लिए बनाया है। मूत्रपात के लिए लिंग ज़रूरी नहीं है वरना स्त्रियों के पास भी लिंग होता !!। सम्भोग के समय मैं योनि में प्रवेश करता हूँ… स्त्री और पुरुष, दोनों को, पूर्ण संतुष्टि तब तक नहीं मिलती जब तक मैं पूरा-का-पूरा, अपने मूठ तक, योनि के अंदर ना चला जाऊं। स्त्री-पुरुष का समागम तभी पूरा होता है जब लिंग पूर्णतया योनि में समा जाये। परन्तु स्त्री की योनि की औसतन गहराई 4.5 से 5.5 इंच की ही होती है जिसके आगे उसकी मर्मशील ग्रीवा (cervix) की दीवार होती है। सम्भोग के समय मैं इस दीवार तक तो अंदर जा सकता हूँ पर इसे भेद नहीं सकता। लिंग की ग्रीवा से बारबार टक्कर स्त्री को पीड़ा देती है और उसे सम्भोग का आनंद नहीं आता। अगर लिंग बहुत बड़ा होगा तो ना तो मर्द उसे मूठ तक अंदर डाल पायेगा और ना ही स्त्री को पूरा लिंग भोगने और पुरुष के नज़दीकी स्पर्श का आनंद मिलेगा। मतलब दोनों का आनंद कम हो जायेगा। यूं समझो कि अगर लिंग दो फीट का होता तो स्त्री-पुरुष के बीच कोई स्पर्श ही नहीं होता।
अत्यधिक बड़े लिंग के और भी नुकसान हैं… उसको स्त्री अपने मुँह में पूरी तरह नहीं ले पाती और गुदा-मैथुन में भी उसे ज्यादा तकलीफ होती है। अर्थात, ज्यादा बड़े लिंग का स्वामी यौन-सुख को पूर्णतया भोग नहीं पाता है और उसकी पत्नि / प्रेमिका की कामाग्नि भी ठीक तरह से नहीं बुझ पाती। सम्भोग एक सामान्य क्रिया है और इसके लिए सामान्य आकार के गुप्तांग ही पर्याप्त हैं। शेखर को मैं छोटा क्यों लगता हूँ ? इसके कई कारण हैं :
1. मैंने पहले कहा था कि शेखर का लिंग उसके अलावा उसकी पत्नि ने ही देखा है। इसी तरह बाकी मर्दों के लिंग भी अक्सर छिपे या ढके रहते हैं और उनका असली आकार एक गुप्त रहस्य होता है। मर्दों के बाकी बाहरी अंग जैसे नाक, कान, उँगलियाँ इत्यादि गुप्त नहीं होते और सबको उनके आकार का पता होता है। एक मैं ही ऐसा अंग हूँ जिसका आकार सबसे छिपा रहता है… ऐसी हालत में किसी भी आदमी के लिए यह कहना आसान होता है कि उसका लिंग कितना बड़ा है। इस मसले पर अक्सर मर्द बढ़ा-चढ़ा कर ही बात करते हैं। जबसे लड़कों में यौन-उत्सुकता जागती है वे हर किसी से बड़े लिंग की बात ही सुनते हैं और कहानियों तथा सेक्स-फिल्मों में भी बड़े लिंग के चुनिन्दा मर्द ही होते हैं। ऐसे वातावरण में हर आदमी को ऐसा लगता है कि सिर्फ उसका लिंग ही छोटा है।
2. जब शेखर मुझे देखता है तो उसका दृष्टिकोण ऊपर से नीचे की ओर होता है जिससे वह मेरी पूरी लम्बाई नहीं देख पाता; जब वह सामने खड़े किसी और मर्द का लिंग देखता है तो उसका दृष्टिकोण ऐसा होता है कि वह उसकी पूरी लम्बाई देख पाता है। इस कारण उसे दूसरे मर्दों के लिंग बड़े नज़र आते हैं।
3. आम मर्द की तरह शेखर को भी औपचारिक रूप से यौन शिक्षा नहीं मिली है। उसे मेरे बारे में जो भी पता है वह या तो दोस्तों से जाना है, जो उसकी ही तरह अनभिग्य हैं, या फिर सेक्स कहानियां पढ़ी हैं जहाँ रोमांच बनाने के लिए लिंगों का बखान बढ़ा-चढ़ा कर किया जाता है। ऐसी कहानियों में लिंग हमेशा 8 से 12 इंच का होता है जो 1 से 2 घंटे तक सम्भोग करता है। मैं जानता हूँ ये दोनों बातें कितनी गलत हैं। मुझे मालूम है कि सामान्य सम्भोग की अवधि 1.5 से 3 मिनटों की होती है और एक बार वीर्योत्पात के बाद दोबारा सम्भोग करीब 8 से 10 मिनटों तक किया जा सकता है। इससे ज्यादा अवधि ना तो आनंद देती है और ना ही इसकी ज़रूरत है बल्कि इससे स्त्री-पुरुष के गुप्तांगों को क्षति हो सकती है।
4. पुराने ज़माने में यौन ज्ञान बहुत कम था और ज़्यादातर स्त्री-पुरुष एक दूसरे को शादी के बाद सुहाग-रात पर ही पहली बार नंगा देखा करते थे। लज्जा-वश स्त्री तो अकसर आँखें बंद ही रखती थी और अँधेरे के कारण वैसे भी कुछ ज्यादा नहीं दिखता था। पर आधुनिक ज़माने में इन्टरनेट के कारण बिरला ही कोई ऐसा लड़का या लड़की होगी जिसने नग्न स्त्री-पुरुष या फिर हर तरह की यौन क्रियाएँ ना देखी होंगी। सब जानते हैं कि सेक्स-फिल्मों में काम करने वाले मर्द खास तौर से उनके बड़े लिंग के आधार पर लिए जाते हैं। ये लोग उन 2% में होते हैं जिनके लिंग औसत से बड़े होते हैं या फिर सर्जरी द्वारा बढ़वाए होते हैं जिससे उनका व्यवसाय तो अच्छे से चलता है पर जिन्हें बाद में तकलीफ हो सकती है।
5. सेक्स-फिल्मों में ना केवल मर्दों के लिंग बड़े दिखाए जाते हैं… स्त्रियों के स्तन और चूतड़ भी बड़े और मनमोहक दिखाए जाते हैं। सम्भोग की अवधि भी लंबी और निरंतर दिखाई जाती है। असलियत में ऐसा नहीं होता। फिल्म की शूटिंग रोक-रोक कर की जाती है पर दिखाया ऐसे जाता है मानो सम्भोग निरंतर चल रहा है।
इन कारणों के चलते स्वाभाविक है कि शेखर मेरे आकार से मायूस सा रहता है। उसकी कल्पना में उसका लिंग और सम्भोग-काबलियत किसी पोर्न-स्टार की भांति होनी चाहिए। जहाँ एक तरफ सेक्स-फिल्में और कहानियां मनोरंजन करती हैं वहीं ये मर्दों में अपने लिंगों के प्रति मायूसी और हीन भावना भी पैदा करती हैं। अगर कोई कहता है उसका लिंग 8, 10 य 12 इंच का है तो समझ लो या तो उसे यह नहीं पता कि एक इंच कितना होता है, या लिंग नापना नहीं आता या फिर वह शेखी बखार रहा है। अगर उसका लिंग वाकई 8 इंच से बड़ा है तो वह उन 2% मर्दों में से है जो संपूर्ण यौन-आनंद से वंचित रहते हैं या फिर जिनकी पत्नी या प्रेमिका को कष्टदायक सम्भोग सहना पड़ता है। मानव-जाति के मर्दों को तो खुश होना चाहिए कि सम्पूर्ण वानर-जाति में उनका लिंग सबसे बड़ा है। बाकी जानवरों में भी शरीर के अनुपात से बहुत कम जानवरों का लिंग मानव लिंग से बड़ा होता है।
लिंग को बड़ा करना !
क्योंकि लगभग सभी मर्द अपने लिंग के आकार को लेकर मायूस रहते हैं तो सभी किसी ना किसी तरह उसको बड़ा करने की तरतीब सूझते रहते हैं। पुरुष की इस ला-इलाज अभिलाषा को पूरा करने के लिए कई ढोंगी डॉक्टर, साधू, हकीम और वैद्य बाजार में दूकान लगाये बैठे हैं। क्योंकि यह एक गुप्त और मर्दानगी का मसला होता है, इन ढोंगियों को अपने मासूम शिकार को ठगने का मौक़ा आसानी से मिल जाता है। वे जानते हैं कोई भी मर्द उनकी शिकायत नहीं कर सकेगा।
सच तो यह है कि लिंग का आकार बड़ा करने का कोई साधन या उपचार है ही नहीं। अगर होता तो कोई भी अमीर पुरुष छोटे लिंग वाला नहीं होता। आप सोचें कि क्या कोई ऐसा उपचार या साधन है जिससे आप अपनी ऊँगली या नाक या कान बड़े कर सकते हों ? प्रकृति ने जो आकार दे दिया सो दे दिया। हाँ, इंसान अपने पूरे शरीर के आकार को पौष्टिक आहार और उचित व्यायाम के द्वारा बढ़ा या घटा सकता है जैसा कि अनेकों खिलाड़ी और पहलवान करते आये हैं। पर किसी एक अंग को निशाना बनाकर केवल उसके आकार को बड़ा करना संभव नहीं है। यह केवल सर्जरी द्वारा संभव है पर इसके कई दुष्परिणाम हो सकते हैं।
शेखर को मेरे से दो शिकायतें और रहती हैं। कभी कभी वह सम्भोग करना चाहता है पर मैं कड़क नहीं हो पाता हूँ। इसे स्तम्भन-दोष (erectile dysfunction) कहते हैं। यह अक्सर अस्थाई और आकस्मक घटना होती है जो कि कई कारणों से हो सकती है जैसे शारीरिक थकान, मानसिक चिंता, उत्तेजना की कमी, सम्भोग में रूचि ना होना, कोई रोग या पीड़ा इत्यादि। इसे अस्थाई स्तम्भन-दोष कहते हैं और यह लगभग सभी मर्दों को कभी न कभी होता है। यह चिंता का विषय नहीं है। ऐसी हालत में सम्भोग को कुछ देर के लिए टालना सबसे उचित उपाय है और इन कारणों को दूर करके सम्भोग का प्रयास करना चाहिए। इसमें स्त्री बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। उसे अपने आदमी के पौरुष का मजाक नहीं उड़ाना चाहिए बल्कि उसे स्तंभन दिलाने में कामुक स्पर्श और मुख-मैथुन द्वारा मदद करनी चाहिए।
कुछ पुरुषों में यह दोष स्थाई होता है जो कि किसी अंग, ग्रंथि या अव्यय विफलता के कारण हो सकता है। इस दोष से ग्रस्त पुरुष कभी भी अपने लिंग को स्तंभित नहीं कर पाते पर यह दोष बहुत कम मर्दों में पाया जाता है। इसके उपचार के लिए डाक्टरी सलाह की ज़रूरत होती है। कुछ हद तक यह दोष उम्र के साथ भी पनपता है जिसके लिए दवाइयाँ उपलब्ध हैं जो कि डॉक्टर की सलाह के बाद ही लेनी चाहिए।

काम वासना की शिकार हुई माया

Monday, February 20, 2017

आज मैं आप लोगो के लिए एक और नही कहानी लेकर आया हूँ, बात अभी 2 दिन पहले की ही है, मैं आपनी ही एक ऑफीस स्टाफ जिसका नाम माया है, जिसकी उमर 19 साल, रंग सावला, बॉडी स्लिम है, के साथ किसी अफीशियल वर्क के लिए इंदूरे गया, इंदूरे के लाइ हम आपने घर से सूभ लगभग 6 बजे निकले और 12 बजे तक पहुच गये, हम दोनो ही माया की स्कूटी से वाहा पर गये थे, अफीशियल काम मे हमे लगभग शाम के 7 वही पर बाज गये, वाहा से वापिस आते हुए माया ने कहा की ‘सिर स्कूटी मैं ड्राइव करूगी’, तो मैने कहा की ठीक है, हू स्कूटी ड्राइव करने लगी और मैं पीछे बैठ गया, स्कूटी आपनी ही रफ़्तार मे आपनी मंज़िल की और बढ़ रही थी.
अचानक ही मेरी नज़र स्कूटी के मिरर्स पे गयी, उन मिरर्स मे उसकी च्चती का उभार नज़र आ रहा था, उसके छ्होटे छ्होटे नींबू जैसे उभर देखते ही मेरे माइंड ने डाइवर्षन ले ली, अब मैं उसको एक अलग ही नज़र से देख रहा था, मेरे अंदर काम वासना जाग गयी, अब मेरा मॅन कर रहा था की उसको चोद डू, बुत अभी हम ड्राइव पर थे, इसलिए मैं च्चाःकर भी कुच्छ कर नही सकता था, मैने एक प्लान ब्नाने की सोची की अगेर किसी तरह से ये मेरे साथ एक रात होटेल मे रुक जाए तो मज़ा आ जाए, बुत उसको रात भर होटेल मे रोकना क्काफी मुस्किल था, मुस्किल ही नही इंपॉसिबल था, क्योकि वो एक विलेज से बिलॉंग कराती थी, और मोस्ट्ली विलेजर्स लड़कियो को बाहर नही भेजते और वो भी एक अजनबी के साथ, बुत वो आपने घर पर सिर्फ़ ऑफीस जाने का बोलकर आई थी और लगभग 8 बजे तक वापिस आपने घर पर वो हमेशा पहुच जाती थी, मैने सोचा की अगर थोड़ी देर और लाते हो जाए तो सायद वो रात मे ड्राइव ना करे और फिर मजबूरन ही हमे रास्ते मे होटेल मे रुकना पड़ेगा.
बुत वो च्चहती थी की अगर थोड़ा से तेज ड्राइव करे तो लगभग 12 बजे तक हम घर पहुच जाएगे, इसलिए वो गाड़ी थोड़ा सा ताज ड्राइव कर रही थी, रास्ते मे झटको के साथ साथ मैं थोड़ा थोड़ा उसके करीब सरकने लगा, जैसे जैसे मे उसके करीब सरकता वो मुझसे दूर होने की कोसिस करते हुए थोड़ा आयेज सरकने लगती, थोड़ी ही देर मे मुझसे परेसां होकर उसने स्कूटी रोक दी और मुझे ड्राइव करने को कहा, मैं इसी मौके की तलाश मे था, मैने स्कूटी को धीरे धीरे ड्राइव करना शुरू कर दिया, मैं स्कूटी को लगभग 40 की ही बढ़ता पर चला रहा था, वो भी इस बात को जानती थी की रात मे मुझे बिना लेनज़स के कुच्छ भी देखाए नही देता है, इसलिए भी सायद उसने मुझे कुच्छ भी नही कहा, लगभग एक घंटे मे हम सांवेर नाम की जगह तक पहुचे, हल्की हल्की ठंडी होने की वजह से हमे टी की ज़रूरात महसूस हुई, तो मैने उसे टी पीने के लिए पूछा तो उसने हा कर दी और मैने रास्ते मे एक टी स्टाल पर स्कूटी रोक दी, और हम टी पीने बैठ गये.
अब मैने आपना जाल बनट हुए उसको कहा की माया अंधेरा काफ़ी हो गया है और हाइवे पर लाइट भी नही होने के कारण सॉफ सॉफ दिखाई भी नही दे रहा है, अभी सायद उज्जैन पहुचने मे ही हमे एक घंटा और लग जाएगा, उज्जैन पहुचते हुए ही हमे 9 बाज जाए गे और वाहा से भी लगभग 4 घंटे की ड्राइव और बक्या रहती है और स्कूटी की दीं लाइट के साथ इतनी रात मे इतना लंबा सफ़र ठीक नही है, क्या हम आज उज्जैन ही रुक जाए? सुबह 4 बजे ही यहा से घर की और ड्राइव करेगे तो भी हम 8 बजे तक मॉर्निंग मे घर पहुच जाएगे, सूभ सूभ 4 बजे के बाद तो उजाला बढ़ता ही जाता है, और हमे ड्राइव करने मे भी कोई दिक्कत नही होगी, उसने कहा की ‘सिर अगारहूम कोसिस करके ताज ड्राइव करे तो भी 1 बजे ट्के घर पहुच जाएगे, ज़्यादा लाते करना सही नही है, अब जल्दी से यहा से शेलेट है,’ अब मेरे पास कोई भी जवाब नही था और मैने स्कूटी की के उसकी ओर बढ़ा दी, अब भी ही ड्राइव कर रही थी और मैने भी उम्मीद छोड़ दी थी.
लगभग हमे अभी चले हुए लगभग 40 मिनिट ही हुए थे, और सयद हम लोग उज्जैन नगरी के करीब पहुच ही चुके थे की अचानक स्कूटी बब्बलिंग करने लगी और उनकोनटरोल होने लगी, अचानक ही उसने ब्रेक लगा दिए और मैने बॅलेन्स होने के लिए दोनो हाथ उसकी कमर पे रख दिए, बड़ा ही सुखद अनुभव था ये भी, हमे उतार कर देखा तो स्कूटी पंक्चर हो चुकी थी, मेरे चेहरे पर एक काटी हसी आई क्योकि उस स्कूटी मे स्तूपने भी नही थी, जैसे ही माया ने मेरी और हैरात भारी नाज़रू से देखा तो मैने आपने चेहरे पर परेसांी भरे भाव लाते हुए कहा की “अरे यार ये क्या हुआ? अब क्या करेगे? चलो घबराव मत, स्कूटी मुझे दो और तेज कदमो से मेरे साथ शेलेट है, सिटी ज़्यादा दूर नही है, कुच्छ ना कुच्छ जुगाड़ हो ही जाएगा, किसी ना किसी पंक्चर वाले को फोन लगाकर बुला लेगा औ राइज़ ठीक करा कर चलेगे,” और मैने स्कूटी पकड़ कर ताज कदमो के साथ बढ़ने शुरु कर दिया, और वो भी मेरे साथ तेज कदमो के साथ चलने लगी.
सिटी के अंदर पहुचते हुए हमे ½ घंटा लग ही गया, फिर मैने पंक्चर वाले की शॉप सर्च की और उसे कॉल करके बुलाया, काफ़ी देर बाद वो आया (शायद उसका घर दूर था) और हमारी स्कूटी का पंक्चर बनाया, इसमे ही हमे लगभग ½ घंटा और लग गया, अब 10:40 हो चक्का था और मैने स्कूटी स्टार्ट कर ली और कहा की जल्दी बैठो नही तो और देर हो जाएगी, तो उसने रिप्लाइ मे कहा की “नही सिर, आज यही उज्जैन मे रुक जाते है, सुबह ही चलेगे” मैने कहा की घबराव नही अब स्कूटी मैं ड्राइव कराता हूँ, कोसिस करूगा थोड़ी और तेज चलाने की, तो उसने जवाब दिया की नही सिर अगर आयेज रास्ते मे फिर से स्कूटी पंक्चर हो गयी तो? अब मुझे आपना मामला जमता हुआ देखाई दिया पर फिर भी मैने उसको कहा की तुम्हारे घर पर सभी टेसिओं करेगे और अगर उनको ब्टाया की तुम सिर के साथ उज्जैन मे ही रुक गयी हो तो कही वो कुच्छ ग़लत ना सोचे? तो उसने आपना फोन निकाला और आपने घर फोन लगाया, फोन उसके फादर ने उठाया “एस माया कहा पर है तू? इंदूरे से वापस आ गयी तू?”.
उसने रिप्लाइ किया “नही पापा, सिर और मैं 8 बजे मीटिंग से फ्री हुए ऑरा ब हम इंदूरे स्टेशन पर पहुचे है और यहा से ट्रेन 12 बजे है और वो भी पस्ससंगेर ट्रेन जो की हमे 8 बजे तक होमे स्टेशन पर उतारेगी, मैं सुबह 10 बजे तक घर आ जौगी,” उसके पापा ने कहा की “ओक बेटा, एक बार सिर से मेरी बात करऊ,” उसने फोन मेरी ओर किया तो मैने सिचुयेशन को संभालते हुए कहा की “अंकल सॉरी आज थोड़ा टाइम मीटिंग मे ज़्यादा हो गया, और अब ट्रेन भी 12 बजे है, एक फ्रेंड आपनी बाइक ऑफर कर रहा है, अगर आप कहे तो उससे ही आ जाते है? कोसिस करेगे तो तेज ड्राइव करके 5 या 6 बजे तक घर पहुच जाएगे?” अंकल ने रिप्लाइ किया “नही सिर, लदी साथ मे है, इतनी रात को त्वव्हीलर से आने ठीक नही होगा, आप लोग उसी ट्रेन से आ जाइए कोई दिक्कत नही,” मैने कहा “ओक अंकल, मैं माया को घर तक ड्रॉप करके ही आपने घर जौगा,” उन्होने ओक, टके केर कहते हुए लाइन डिसकनेक्ट कर दी, अब आयेज क्या हुआ? हम होटेल मे रुके या नही?

Anonymous Fuck - English Sex Story

Friday, February 10, 2017

As with some of the stories posted here these events recently took place in our lives. We wanted to share it with somebody so here's what happened. Enjoy.
My wife "Mary” and I "Jim" have been together for over twelve years. We have no kids and lead a very hectic work schedule 5 days a week. Mary is 45, very petite at 5"-0" and 98 lbs with a hard body, firm 34c breast, dancer's legs, hazel eyes and long auburn hair. I 'm 49, 6'-1", 200lbs with an average cock. Because of her work and my travels for work, we only have time for each other on the weekends for the most part and with that in mind, we try to get in a quick fuck each week to keep us both satisfied until we can plan a few days alone. This happens about once every month and a half or when "Mary" is really horny and we have a lengthy lovemaking session. With her being so petite, I call her my "little spinner" as once she's impaled on my cock it's very easy for us to end up in a multiple positions, without her hot tight box letting go. Her favorite position is between my legs, with ass in the air, her vibrator on her clit while she's sucking and teasing my cock with her mouth and breast... About half the time when she does this, she rocks back and forth like she's slowly getting fucked from behind. Needless to say it drives me to the edge until I roll her over and bury my cock inside her. As like some men, I've told her more than once, how I would love some stranger actually fucking her from behind while she blew and teased me... Her response has always been the same that an anonymous fuck with a stranger would be one thing, but she was sure she could not do it with me under her or in the same room.
We have always agreed that if an anonymous fuck would present itself to either one of us that we had a strong enough marriage that it would not affect it as long as we told the other about the experience, and not make it a repeat event with the same person or a life style.
About two months ago after retuning from the airport we stopped at our favorite "mid-scale" restaurant about an hour from the house. Mary was wearing black leather pants and tight little sweater, topping it all off with her high heels. Something she wore there several times before and at other places, so she or I did not think anything different.
The waiter "Tim" that night was being extra attentive towards us, more than most other nights we were in for dinner over the past year. What was up we both wondered? Side note: Except for working in the yard, Mary always wears her wedding band as she did this night. I myself keep mine on a chain around my neck because of a near work accident years back that caught my ring and nearly cutting off my finger...
Anyway, while on a trip to the "can", Tim stopped me and asked if Mary was my wife, I then realized why all the extra fussing was going on through dinner. I decided to see where this was going.
"I told him NO and that this was a side thing when her husband is out of town." He smiled and asked me if I'd hook him up, "I said NO because she, Mary, calls the shots because of her husband. I told him I'd take my time so he could have a few minutes to connect with Mary before I return and asked for the check."
On our way home Mary showed me a matchbook "Tim" slipped her while I was in the can, with his number on it. "I told her what took place between "Tim" and I earlier that night and then jokingly said to her here's your big chance for an anonymous fuck."
She smiled, laughed, and then said "he's half my age, too skinny and I'd have to teach him a thing or to, I'll bet...." We both laughed, and continued on home. That night we had our weekly fuck and fell asleep in each other’s arms.
Two months ago on Friday night, Mary and I decided to meet at the same restaurant for a late night dinner. Since we were coming from work and from different parts of town we were in separate cars. We were both dressed in our business attire, I in slacks, dress shirt and sport coat, Mary in a short leather skirt, camisole, heels, panties and no hose. "Tim" was there but he was not our waiter that night. We took our time enjoying the meal with drinks and finished just before the restaurant closing and I paid the check.
Mary said she was going to use the restroom before driving home."
”I told her I was going to take off and I'd see her at the house,” about an hour away. Since I had a few drinks I took my time getting home and assumed Mary was only few minutes behind me. I got home, kicked off my shoes, grabbed a scotch, turned on the tube and became a couch potato. Sometime after 2:30am Mary was shaking me awake.
”She told me to get up, she needed to talk to me" and I sheepishly followed her upstairs to the master bedroom. I was still half asleep while she undressed and started to run the shower. While taking my clothes off, I realized that it was 3am.
"How long have I been asleep on the sofa and why did you not wake me sooner, I asked?" "I just got home myself." "What?"
"I just got home and that's why I need to talk to you now."
"What happened to you? Did you have a flat, or car trouble, why did you not call?"
"No nothing like that, just sit down and listen." I did so, on the edge of the bed in my briefs, and so did she, buck naked, after turning off the shower.
"Honey, after you left, "Tim" cornered me going out the door... He asked why I did not call him and would I ever consider going out with him, since it appears I'm always with you when my husband is out of town. Sticking with your story you gave him a few weeks back, I told him one secret relationship in my life was enough and two really was not what I wanted."
"Tim said we did not have to go anywhere, as he was locking up that night and everybody but the kitchen staff would be leaving in 30 minutes. Stay and have a drink on me while I cash out".
"I figured one would not hurt dear, and since we are in there almost every month and I did not want him pissed off at me, and have him waiting on us for dinner."
"Just after everybody had left he came back by the booth I was sitting in with another drink."
"Everybody but Juan the dishwasher is gone; it's just you and me so nobody will know."
"Know what, I asked?"
"Know we’re together. By the way, all these months I never caught your name?"
"It's Mary." "Well Mary, may I join you in a drink?"
"Sure” I said. "I'll be right back."
"Tim returned from the bar with a drink and sat down next to me, so close my heart jumped a beat and I think he heard it. He made a toast to something, put his glass down and the next thing I knew he had one arm around my shoulder and his other hand on my thigh."
"Mary, I've wanted to do this for some time." "Do what?" as I tried to pull away. "This."
"Dear, quicker than I could blink he was nibbling and sucking on my neck. You know how I turn to putty when you do that. It was no different with him and I did not even try to stop him. Please do not be mad!"
"Mary how can I be mad? You're telling me what happened; besides my cock is not mad either."
She looked down at my cock sticking through my briefs, and it was the hardest she had seen or touched in years.
"I guess that tells it all doesn't it?" "I guess so, and your home safe now."
"Well there's more dear; once he started on my neck I just fell to pieces. He cupped and squeezed my right breast with one hand and kept stroking my thigh with the other....
We started kissing between the nibbles on my neck and the more he squeezed my breast and stroked my thighs more I spread my legs. Finally he moved his hand up under my skirt and just by his strange hand touching my bare thigh I had my first orgasm."
"You're first orgasm Mary?" "Yes my first.”
She was now holding my cock in her hand stroking it as she talked....
"Honey I do not know what came over me but I guess all those years of talking about an anonymous fuck I just gave into everything he was doing to me. He stopped kissing me for a minute and I turned so he could unhook my camisole and let it fall down to my waist. There I was in a empty restaurant with most of the lights off, in a booth, my legs spread wide, my breast exposed for anybody to see, my cunt dripping from my orgasm and this bean pole feeling me up with no resistance from me.”
With that, I shot a load into her tiny hand, and onto her left breast, as by now Mary was on her knees in front of me stroking my cock.
"Did you finally stop him?"
"No dear I did not. He started to suck and lick my nipples one, then the other for what seemed like forever. The next thing I knew he had his fingers under my panties rubbing my clit to its second orgasm. I could not take it anymore, being confined to that booth; I forced myself away from him, got out of the booth and went to one of the long tables in the back. It had not been reset with dinnerware, so all it had on it was the table cloth.
I sat up on the short end, adjusted my camisole and took off panties, hanging my legs over the edge. All I had on was my skirt and heels."
Mary stopped talking, licked the cum off her left breast and then started sucking my cock down her throat, while rubbing her nipples with her free hand. I was getting hard all over again. Mary then stopped just as quickly as she started and resumed telling what happened next.
"Tim came over from the booth and pushed me onto my back on this long table; he went right back to sucking my nipples, nibbling on my neck and kissing me over and over. Then all of a sudden he plunged 3 fingers into my sopping wet hole and I came for the third time. I started to scream for him to fuck me, fuck me with his cock, and be quick about it before I changed my mind. I was screaming so loud that Juan, the dishwasher, came out of the kitchen. I guess I had forgotten he was back there. He took one look at my half clothed body laid out on the table like a meal, licked his lips, then said something in Spanish to Tim. Tim stopped sucking my nipples and replied to Juan before he went back into the kitchen. Tim then stopped finger fucking and began to undo his pants."
"You mean all this time he had on all his clothes and you were nearly naked?"
Mary replied by pulling on her nipples again and sucking my cock back down her throat. She did this for a good five minutes or more before stopping and getting up off her knees in front of me.
"Get up, pull the covers down and get in bed” she ordered. I did as I was told and in one swift move, like a cat, she was back between my legs stroking my cock with one hand and now rubbing her clit with the other. She then continued talking.
"Somehow and before I knew it "Tim" was stark naked and back to finger fucking me again. Just like we joked months ago he did have a long thin skinny cock that matched his body. It was as hard as steel and poked straight out from his torso, no curve or bend, just straight as a pole."
"Did you touch it?" "No, I just told him again to fuck me, fuck me with his cock, and be quick about it before I changed my mind. "
"He said just wait a second for I have something special for that wet hole of yours."
"He just stood there; his cock was sticking straight out while he was tracing the outline of my swollen clit with his fingers. All of a sudden Juan reappeared with a bowel of something handing it to Tim, and then disappeared as fast."
"Tim told me that if I want to fuck I'd better move my ass to the edge of the table and pull my legs back to my breasts."
"No sooner did I do that, he poured a warm slick liquid over my swollen lips and clit. He then dipped his cock in the same liquid making it shine in the dim light."
"So you want to get fucked do you, slow, hard, fast, deep, shallow, what?"
"I just want you to fuck me, fuck me good and fill me up." I begged him. "I can finger myself all the way home." Mary now had my cock ready to explode again and she kept right on rubbing her own clit.
"Again Tim asked me how I wanted it."
"Please just shove it in and fuck me I said. But before I could finish the sentence Tim was pounding my wet hole at the edge of the table with my legs pulled back to my breasts." Simultaneously and before Mary had finished her sentence she had mounted me and was fucking me like there was no end in site.
"So dear how does the real deal feel?" "What?” I said.
"My sloppy, stretched, cum filled hole. I am fucking you with my hole filled with his cum. It’s want you wanted isn't it? Your petite wife fucked and filled with cum from an anonymous fuck? Actually two anonymous fucks."
"What does that mean, did you fuck Juan too?" She just smiled and pulled her dripping cunt nearly off my cock, and then shoved it all the way back in as hard as she could several times over. She then continued talking.
"Well Tim pounded me nonstop at the edge of that table for what seemed like a good twenty or thirty minutes. He finally pumped me full of his hot cum just after I had my fourth orgasm. Without missing a beat he pulled out of me and went right back to nibbling and kissing me. While he was doing that and I was laying there in a daze, I started to stroke his limp, wet, sticky, cock. He stopped kissing me long enough to dip his cock into that bowel again and then poured some more of that liquid on my breast. I now think it was cooking oil." Mary continued to grind her hot wet hole onto my cock, again and again; she was almost out of control fucking me while telling me all the details.
"Honey, I got "Tim" hard as steel again and he started to rub his cock over my nipples and breast as he move down towards my wet cunt... Just before he was going to stick it back into me again, I got off the table, pulled off my skirt, and bent over a nearby chair. My heels gave me just the right height he needed to fuck me again, but from behind. As I held onto the arms of the chair he very slowly fucked me. I kept wanting his cock in me so I pushed my box into him with every stoke he made. He finally stood still and I moved forward and backward fucking him while bent over the chair, kind of like this."
Mary proceeded to move her box and hips back and forth while on my cock, pressing down as hard as she could.
"Well dear, with all his cum, oil and my juices he was growing in size and was not going to last as long this time before he pumped another load into me. You know that feeling don't you dear?"
She was still grinding into me as hard as she could and all that cum, oil and her juices did make everything a sloppy mess between us. She then rolled off me and pulled her legs back to her breasts.
"Finish me dear, fuck me, fuck my sloppy, stretched, cum filled hole." I did not have to be told twice and I quickly mounted her and began to pound her so hard the bed shook and banged the headboard against the wall. Mary continued.
"Just before Tim shot his second load into me dear, he pulled out his cock and started to rub it up and down my lips and my asshole. I told him my wet hole was all he was going to get to fuck this night."
"He said he could not feel the walls of my cunt anymore because it was so wet and stretched out. I told him to stick it back in me and he will. As soon as he put his cock back inside me I reached back between my legs and shoved two fingers into my cunt and next to his cock, kind of like this."
Sure enough Mary with her legs back over her breasts shoved two fingers into her cunt next to my cock and that's all it took for me, as well, and I shot my load of cum into her and for the third time that night she was filled. After I had pumped what seemed to be gallons into her, I rolled off her and onto my back. Mary said.
"Funny, Tim did the same thing dear; as soon as I put my fingers in my cunt next to his cock he exploded. Something about a tight, yet sloppy, yet stretched, wet hole all of a sudden becoming a tight box again makes a man cum, doesn't it?
Mary rolled out of bed and walked into our bathroom. She said "Tim" handed her some cloth napkins to wash herself with in the restroom. She said she could not find her panties so she used one to plug her hole until she got home and showered. But when she found me asleep on the sofa she decided to take advantage of me by not being fully awake and confess that morning as to what happened. My reaction or should I say my cocks' reaction to the beginning of her story made her change her mind and her desire to share herself with me and her first anonymous fuck.
Apparently "Tim" begged her to leave with him and to stay the night at his place thinking Mary's husband was really out of town. He also wanted to see her again but she made it clear this was a one time fuck and nothing more was to be said about it....
Mary restarted and took a long hot shower that morning. As she got in, she told me I better enjoy the view of my well fucked wife, as it may or may not ever happen again. So with that is a few photos, compliments of my Mary..... I hope you enjoyed this as much as we did re-telling it and sharing these photos. Maybe someday I can get her to try an anonymous fuck via a Glory Hole at the local adult book store? Jim

 

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