दीक्षा - Hindi sex story

Thursday, June 6, 2013

इस कहानी को न केवल पढ़ा बल्कि सम्पादन करके
इसमें बहुत निखार ला दिया।
कम उम्र के किशोर की स्थिति बड़ी ही विचित्र
होती है। यौवनागमन पर शरीर में हो रहे
परिवर्तन उसे उन अनुभवों की ओर लिए जाते हैं
जिन्हें वह खुद नहीं समझ पाता। उम्र के उस झुटपुटे
में मेरे लिये भी सेक्स एक अन्जान विषय
था कि तभी संजना दीदी ने आकर उसमें रहस्यों के वे
द्वार खोले कि मैं हैरान रह गया। मैं उन्हें अपने
यौवन के प्रथम गुरु का दर्जा देता हूँ। वो हमारे
पड़ोस में रहती थी। वो मुझसे 6 वर्ष बड़ी थी और
मैं उन्हें संजना दीदी बोलता था। हमारे
दोनों परिवारों के बीच बराबर आना-जाना था।
घटना करीब 18 साल पुरानी है। मैं
बारहवीं कक्षा में पढ़ता था, मेरी और मेरे छोटे
भाई की परीक्षाएँ चल रही थीं। तभी मेरे ममेरे
भाई का स्वर्गवास हो गया और मेरे मम्मी-
पापा को तुरन्त मामा जी के घर जाना पड़ा।
परीक्षा के कारण पिताजी ने कहा कि तुम
दोनों भाई घर पर ही रहकर पढ़ाई करो, हम
मामा के घर से दो दिन बाद वापिस आ जायेंगे।
हम दोनों भाई ऐसे नहीं थे कि अपने लिए
खाना बना सकें इसलिए मम्मी ने
कहा कि खाना बनाने के लिये पड़ोस में रहने
वाली संजना को बोल देती हूँ, वो आकर तुम
दोनों का खाना बना देगी। बस दो दिन की बात
है किसी तरह काम चला लो।
वो शनिवार का दिन था। सुबह सुबह मम्मी-
पापा मामा के घर चले गये और हम दोनों भाई स्कूल
परीक्षा देने। दोपहर को जब हम दोनों स्कूल से
वापस आये तो देखा कि संजना दीदी हमारे घर
आकर खाना बना चुकी हैं और हम
दोनों भाइयों का इंतजार कर रही हैं।
उन्होंने हमें गर्म खाना खिलाया और शाम
को दुबारा आने को बोल कर अपने घर चली गईं।
हम दोनों भाई भी खेलने चले गये। शाम को खेलकर
जब मैं संजना दीदी के घर गया तो उनकी मम्मी ने
मुझे बहुत डाँट लगाई, बोली- तेरी मम्मी घर में
नहीं हैं और तूने सारा दिन खेलने में बिता दिया?
अगली परीक्षा की तैयारी भी नहीं की? अब आज
रात को संजना दीदी तेरे घर में ही रहेगी और
तेरी परीक्षा की तैयारी कराएगी। अगर इस बार
भी तूने लापरवाही कि तो मेरी मार तो पक्की।
मैंने डरकर तुरंत हाँ कर दी।
रात को संजना दीदी अपने घर का काम निपटाकर
मेरे घर आईं। उन्होंने प्रेम से खाना बनाकर हम
दोनों भाइयों को खिलाया। पढ़ाने के समय
बिजली चली गई। संजना दीदी हम
दोनों भाइयों को पढ़ाने के लिए छत पर ले गईं।
वहाँ करीब 11 बजे तक हमने उनसे पढ़ाई की, उसके
बाद हम सब सोने लगे।
बिजली नहीं होने के कारण मैं नीचे घर से एक चादर
ले आया और उसी को छत पर बिछा कर हम
दोनों भाई सो गये। मेरा भाई थका होने के कारण
लेटते ही सो गया। संजना दीदी की भी पलकें
भारी हो रही थीं। वे बात करते-करते मेरे बराबर
में ही लेट गईं।
मैंने पूछा- दीदी, आपको अलग से चादर ला दूँ?
उन्होंने मना कर दिया, बोली- अभी तेरे पास
ही लेट जाती हूँ, थोड़ी देर बाद चली जाऊँगी।
मेरे लिये उनको इतने करीब महसूस
करना पहली बार हो रहा था। इससे पहले कभी मैंने
इस बारे में सोचा भी नहीं था। उनका सामिप्य
मुझे अच्छा लग रहा था। मैं उऩसे बात कर
रहा था लेकिन मादा स्पर्श से
प्रकृति की स्वाभाविक प्रेरणा मेरे लिंग पर असर
डालने लगी। थोड़ी देर में तनाव मेरी निक्कर पर
भी महसूस होने लगा।
संजना दीदी ने भी इसे महसूस कर लिया।
वो अपना हाथ आगे बढ़ा कर बोली- यह क्या है?
मैं कुछ बोलने की स्थिति में नहीं था।
वो गुस्से में बोली- मेरे बारे में ऐसी सोच रखता है?
तुझे पता है कि तू मेरे से कितना छोटा है? तुझे शर्म
नहीं आती?
मैं डर से भागकर नीचे अपने कमरे में आ गया। पीछे
पीछे संजना दीदी भी नीचे आ गई तो मेरी हालत
और खराब हो गई लेकिन संजना दीदी बोली-
इतना डरने की जरूरत नहीं है पर तू मेरे बारे में
ऐसा सोचता है, तूने कभी बताया नहीं?
मैंने कहा- दीदी, मैं क्या सोचता हूँ, मुझे खुद समझ में
नहीं आ रहा।
दीदी ने निक्कर के ऊपर से ही मेरे लिंग को स्पर्श
किया और बोली- मतलब तू नहीं सोचता, तेरा यह
पप्पू सोचता है।
मैं तो इतना डर चुका था कि जवाब देने की हिम्मत
ही नहीं जुटा पा रहा था। तभी दीदी बोली-
जरा दिखा अपना पप्पू ! देखूँ तो कैसा है?
डर के बावजूद मुझे दीदी का स्पर्श
बड़ा सुखदायी लग रहा था, मन कर
रहा था वो वहाँ से हाथ ना हटाएँ।
दीदी ने मेरी निक्कर को नीचे कर दिया,
मेरा 'पप्पू' तोप की तरह तना था, गोले छोड़ने
को तैयार।
दीदी ने बहुत ही प्यार से उसे अपने मुलायम
हाथों में ले लिया और आगे-पीछे रगड़ना शुरू कर
दिया। मेरे जीवन के उस असीम आनन्द
की कल्पना से आज भी सिहर उठता हूँ।
कुछ समय बाद ही मेरे लिंग में से क्रीम कलर
का द्रव निकलने लगा। दीदी ने कपड़ा उठा कर
उसको साफ कर दिया। साफ करने के बाद दीदी ने
पूछा- कैसा लगा?
मेरे पास शब्द नहीं थे।
मेरे चेहरे पर खुशी की लहर और मुस्कुराहट देखकर
दीदी बोली- तेरा चेहरा बता रहा है कि तुझे बहुत
मजा आया?
मैंने हाँ में अपना सर हिला दिया।
थोड़ी देर बाद मैंने हिम्मत करके दीदी से कहा- एक
बार फिर से करो ना, बहुत अच्छा लग रहा था।
दीदी ने पूछा- तुझे पता है तू क्या कर रहा था?
मुझे पता नहीं था।
दीदी ने मेरे लिंग को हाथ में पकड़ कर कहा-
अच्छा बता, यह पप्पू किस काम आता है?
मैंने कहा- सू सू करने के !
दीदी हँस पड़ी- अभी थोड़ी देर पहले जो इसमें से
निकला, वो क्या सू सू था?
मैंने कहा- नहीं, कुछ मलाई जैसा था।
"बस तो फिर यह समझ ले कि ये पप्पू सू सू करने के
अलावा भी और बहुत महत्वपूर्ण काम करता है।"
मेरी आँखों में बस जिज्ञासा थी।
दीदी दो क्षण ठहरी, फिर बोली- तुझे ये सब कुछ
सीखना है क्या?
मैंने पूरी तरह से सम्मोहित था और इसी सम्मोहन
में मैंने कहा- हाँ !
दीदी बोली- मैं तुझे सब कुछ सिखा दूंगी, पर
वादा करना होगा कि किसी को नहीं बतायेगा।
अब तो उस दिव्य ज्ञान को प्राप्त करने के लिये मैं
कुछ भी करने के लिये तैयार था, मैंने वादा कर
लिया किसी को कुछ नहीं बताऊँगा।
दीदी ने मेरा कान पकड़ा और कठोर स्वर में
चेताया- किसी को भी बताएगा तो तेरे मम्मी-
पापा से तेरी शिकायत कर दूंगी।
मैं डर और सम्मोहन, इन दो मनोभावों के वशीभूत
था, मुझे पता भी नहीं चला कब बिजली आ गई थी।
दीदी ने पंखे की हवा में उड़ते अपने कुर्ते
का निचला सिरा पकड़ा और मेरी आँखों में देखते हुए
उसे धीरे धीरे उठाने लगी।
मेरी आँखें फैल गईं। ब्रा में ढके उनके सधे हुए स्तन मेरे
सामने आ गए। पूर्ण विकसित युवती का वक्ष।
जिंदगी में पहली बार देख रहा था। मेरा 'पप्पू'
आँधी सी उठाती उत्तेजना के सामने बेकाबू था।
दीदी ने मेरे लिंग की ओर संकेत करते हुए कहा- तेरे
पप्पू को तो तेरे से भी ज्यादा जल्दी है !?
मेरी सूखी सी आवाज निकली- नहीं दीदी, आप
जैसा बोलोगी, मैं वैसा ही करूंगा। यह पप्पू
पता नहीं क्यों मेरे काबू में नहीं है।
"आज यह तेरे नहीं, मेरे काबू में है।" कहते हुए
दीदी ने अपने हाथ पीठ पीछे ले जाकर हुक खोल
दिए और कंधों से सरकाते हुए ब्रा उतार कर अलग
कर खाट पर रख दी।
मेरी आँखों के सामने उनके दोनों स्तन पूरे गर्व से खड़े
थे, साँसों की गति पर ऊपर नीचे होते। मेरी साँस
बहुत तेजी से चलने लगी। मैं खुद पर से
अपना नियन्त्रण खोकर पूरी तरह से दीदी के वश
में था।
दीदी ने मुझे अपने पास खींचा और मेरा मुँह पकड़कर
अपने बाएँ वक्ष पर लगा दिया। उसकी भूरे रंग
की टोपी मेरे मुँह में थी और मुझे शहद जैसा आनन्द दे
रही थी।
उत्तेजनावश मैंने दीदी के वक्ष पर काट लिया।
दीदी के मुँह से निकल रही लयपूर्ण सी...सी...
की आवाज में ऊँची 'आह' का हस्तक्षेप हुआ।
उसने मेरा सिर थपथपाया और कहा- धीरे धीरे कर
न। अब तो ये दूध का गोदाम तेरा ही है।
जितना चाहे उतना पीना।
दीदी की बात मेरी समझ में आ गई और मैंने फिर
धीरे धीरे प्यार से पीना शुरू कर दिया। बदल-
बदलकर कभी दायें को पीता, कभी बायें को !
दीदी को अपूर्व सुख मिल रहा था, उनका हाथ मेरे
लिंग पर प्यार से घूम रहा था।
रात अपने दूसरे पहर में प्रवेश कर चुकी थी और मैं
इस दुनिया से आनन्द के स्वर्ग में पहुँच
चुका था जहाँ संजना दीदी मुझे साक्षात
रति की देवी नजर आ रही थी।
मैं बस उन दुग्धकलशों को पिए जा रहा था, मुझे
इससे ज्यादा कुछ आता भी तो नहीं था।
दीदी ने मेरा प्रवेश अगली कक्षा में कराने
का फैसला किया, मुझसे बोली- सिर्फ दूध
ही पीता रहेगा या मलाई भी खायेगा?
मैंने कहा- आपका शिष्य हूँ। अभी तक आपने सिर्फ दूध
पीना ही तो सिखाया है।
दीदी उठ खड़ी हुई और अपनी सलवार
की डोरी झटके से खींच दी। कमर से
डोरी ढीली करके एक क्षण मेरी आँखों में देखा और...
देखने के लिए एक बटा दस सेकंड चाहिए होते हैं।
सेकंड के उस दसवें हिस्से में उनकी गोरी कमर,
जांघों, घुटनों को प्रकट करती हुई सलवार के
एड़ियों के पास जमा हो जाने का दृश्य मेरी आँखों में
रील की तरह दर्ज हो गया। अब दीदी, एक
पूरी औरत, अपनी पूर्ण प्राकृतिक नग्नावस्था में
मेरे सामने थी।
मैं, जो अब तक दूध के कलशों पर ही सम्मोहित था,
बेवकूफ-सा उनकी टांगों के बीच के काले घास के
मैदान पर जाकर अटक गया। लग रहा था उसे
देखना वर्जित है पर न जाने किस प्रेरणा से
मेरी निगाह वहीं बँध गई थी। कभी ऐसा दृश्य
देखा नहीं था। मुझे वहाँ निहारना अच्छा लग
रहा था। मेरा 'पप्पू' भी विकराल हो गया था।
दीदी बोली- ज़न्नत का दरवाजा दिखाई देते
ही दूध का गोदाम छोड़ दिया? तुझे पता है कि इस
जन्नत में जाने का रास्ता दूध के गोदाम से होकर
ही जाता है?
मैंने पूछा- दीदी, वो कैसे?
दीदी हँसने लगी। वो मेरे सामने बैठ गई। वो मुझसे
बड़ी थी, उन्हें मेरी खाट के सामने जमीन पर बैठते
देख मुझे बहुत संकोच हुआ। उन्होंने मेरे लिंग को अपने
नाजुक हाथों में पकड़कर प्यार से सहलाया। फिर
अपना मुँह आगे बढाया और उसके मुँह पर "पुच्च..."
एक चुम्मी दे दी।
मुझे नहीं मालूम था इसे चूमा भी जाता है, पर
वो मेरी गुरू थी, उन्होंने मुझसे पूछा- कैसा लगा?
"बहुत अच्छा !" उन्होंने उसे अपने मुँह में खींच
लिया और लालीपोप की तरह चूसने लगी।
यह मेरे लिये सर्वथा नया अनुभव था। मैंने कुछ देर
पहले ही प्राप्त हुए अनुभव के आधार पर दीदी के
वक्षों को सहलाना शुरू कर दिया।
थोड़ी देर बाद दीदी फर्श से उठी और मुझे बिस्तर
पर लिटा दिया। उसके बाद घूमी और मेरे ऊपर खुद
इस तरह लेट गई कि मेरा लिंग पूरी उनके मुँह
की तरफ आ गया और
उनकी दोनों टांगों का संधिस्थल मेरे मुंह की तरफ।
उन्होंने मेरा लिंग फिर से मुंह में उठाया और पहले
की भाँति चूसना शुरू कर दिया। साथ
ही अपनी टांगों के बीच की दरार को मेरे मुँह के
ऊपर रगड़ने लगी। थोड़ी देर तक अजीब लगने के
बाद मुझे इसमें भी आनन्द आने लगा। मैंने खुद
ही अपना मुँह खोल दिया और उनकी योनि के
दोनों होठों को चूसना शुरू कर दिया।
काफी देर तक हम दोनों इस अवस्था का आनन्द लेते
रहे। फिर अचानक मेरे लिंग से वो ही द्रव निकलने
लगा जो करीब एक घंटा पहले निकला था। मैंने
महसूस किया कि दीदी की योनि से
भी हल्की हल्की बारिश मेरे मुँह पर हो रही है
जिसे चाटने पर कसैला नमकीन स्वाद महसूस हुआ।
दीदी ने पूछा- कैसी लगी मेरी मलाई?
अब मुझे समझ में आया थोड़ी देर पहले दीदी किस
मलाई की बात कर रही थी। मैंने कहा, "बहुत
अच्छी, बहुत मजा आया दीदी।"
मैं दो बार स्खलित हो चुका था। पहली बार
दीदी के हाथों में और दूसरी बाद दीदी के मुँह में।
मैं खुद को आनन्द की पराकाष्ठा पर महसूस कर
रहा था।
परन्तु दोस्तो, अभी तो असली आनन्द बाकी था।
दीदी ने मेरी तंद्रा भंग करते हुए फिर पूछा- इससे
भी ज्यादा मजा चाहिए?
अब मेरे चौंकने का समय था, मैंने कहा- दीदी, मैंने
इतना ज्यादा मजा जीवन में कभी नहीं पाया।
ऐसा लग रहा है कि मैं जन्नत में हूँ। क्या इससे
भी अधिक मजा मिल सकता है?
दीदी बोली- अभी तूने खाली जन्नत
का दरवाजा देखा है, जन्नत के अंदर
तो गया ही नहीं।
इतना बोलकर दीदी ने मेरे पूरे बदन को नीचे से
उपर तक चाटना शुरू कर दिया, यह मेरे लिये
अनोखी बात थी। मैं भी प्रत्युत्तर में
वैसा ही करते हुए दीदी का ऋण चुकाने
को प्रयत्नशील था।
करीब पन्द्रह मिनट तक हम दोनों एक दूसरे के
बदन को इस प्रकार चाटते रहे और पसीने से
तरबतर नमकीन स्वाद का आनन्द लेते रहे।
मैंने महसूस किया कि मेरा लिंग फिर से करवट लेने
लगा है और एक नई पारी खेलने के लिये तैयार है।
अपने पहले दोनों स्खलन के अनुभवों को देखते हुए मुझे
इस बार कुछ नया होने की उम्मीद थी। मेरा लिंग
उठकर अपने गुरू यानि मेरी दीदी को सलामी देने
लगा और उनकी नाभि से टकराने लगा।
दीदी ने मुझे छेड़ते हुए कहा- तेरे पप्पू को चैन नहीं है
क्या? दो बार मैं इसको मैदान में हरा चुकी हूँ, फिर
से कुश्ती करना चाहता है? मैंने कहा- दीदी, इस
कुश्ती में इतना मजा आ रहा है कि बार-बार हारने
का दिल कर रहा है।
"यही तो नए पहलवान की खूबी है। मैंने ऐसे
ही थोड़े इसे चुना है।" दीदी ने कहा।
उन्होंने दो बार उस 'चेले' को ठुकठुकाकर
उसकी सलामी स्वीकार की और पूछा- तैयार है
ना?
"हाँ दीदी !" मैंने उत्साह से कहा।
दीदी ने एक बार फिर से मेरा लिंग अपने मुलायम
हाथों में ले लिया। लिंग की सख्ती और
विकरालता देखकर बोली- लगता है, इस बार तू मुझे
हराने के मूड में है।
और वो मुझे नीचे लिटा कर मेरे टांगों के दोनों ओर
अपनी टांगें करके मेरे ऊपर बैठ गई। मैं उत्सुक शिष्य
की तरह उनकी हर क्रिया देख रहा था और
उसका आनन्द ले रहा था। मुझे आश्चर्य में डालते हुए
दीदी ने अपनी टांगों के बीच की दरार को मेरे
लिंग पर रखा और हल्का सा धक्का लगाया। और
मुझे लगा कि मेरा लिंग ही गायब हो गया। मेरे पेड़ू
की सतह उसकी पेड़ू की सतह से ऐसे मिली हुई
थी जैसे वहाँ कभी कुछ था ही नहीं।
कहाँ चला गया?
दीदी मेरे ऊपर बैठ कर हल्के-हल्के आगे-पीछे हिलने
लगी, बोली- अब बताओ, कैसा लग रहा है। पहले से
ज्यादा मजा आ रहा है कि नहीं?
सुखद एहसास से मेरा कंठ गदगद हो रहा था।
योनि के अन्दर लिंग के रगड़ खाने का आनन्द
तो पिछले दोनों बार के आनन्द से बहुत ही अलग और
उत्तेजक था। सचमुच यही जन्नत है। ऐसा लग
रहा था जैसे अब तक मैं कहीं रास्ते में था और अब
मंजिल पर पहुँच गया हूँ।
दीदी बोली- अब तक जो जन्नत तुझे बाहर से
दिखाई दे रहा था, अब तू उस जन्नत के अन्दर
प्रवेश कर गया है।
मैंने भी दीदी को खुशी देने के लिए नीचे लेटे लेटे
ही उनके दोनों वक्षों को सहलाना शुरू कर दिया।
नशे में मेरी आँखें मुंद गईं। वो अपना काम करने में
व्यस्त थी और मैं अपना।
अचानक दीदी की हरकतें तेज हो गईं। अपने पेड़ू
को मुझ पर जोर से मसलती हुई मुँह से अजीब-
सी मोटी आवाज में 'आह.....आह.......' निकालने
लगी।
मैंने घबराकर पूछा- क्या हुआ?
दीदी ने झुककर मुझे चूम लिया।
मुझे इत्मीनान हुआ, कुछ गड़बड़ नहीं है। शायद
सम्पूर्ण आनन्द की प्राप्ति होने वाली है।
दीदी ने कहा- मेरा तो हो गया। अब हिम्मत
नहीं है।
लेकिन मुझे मंजिल नहीं मिली थी। मैं कमर जोर जोर
से उचकाकर उसे पा लेने के लिए बेचैन था।
दीदी ने कहा- तेरा दो बार हो चुका है ना।
इसलिए थोड़ा समय लगेगा।
वो मेरे ऊपर से उतर गई और हाथ से मेरा लिंग
पकड़़कर तेजी से आगे पीछे करके सहलाने लगी।
मैंने कहा- दीदी, ऐसे वो मजा नहीं आ
रहा जो जन्नत के अन्दर आ रहा था।
दीदी फिर से मेरे ऊपर बैठ गई और दोबारा से मेरे
लिंग को अपनी जन्नत में धारण कर लिया। अब
फिर से मुझे वही रगड़ का आनन्द मिलने लगा। फिर
से जन्नत का मजा मिलने लगा। पुन: मैं फिर से
दीदी के वक्षों को सहलाने लगा।
दीदी ने मेरी तरफ देखा और बोली- इस बार
की कुश्ती में तूने मुझे हरा दिया। आखिर तूने
बदला ले ही लिया।
कुछ देर बाद मेरे लिंग से तेजी से स्खलन होने लगा।
दीदी भी आह........ आह........ करती फिर स्खलित
होने लगी। हम दोनों एक साथ स्खलित हो गये, और
सम्पूर्ण आनन्द की प्राप्ति हुई।
तो पाठकों यह थी मेरे यौवन के प्रथम गुरू
की दीक्षा, जिसका मैं आजीवन आभारी रहूँगा।

मोम की चुदाइ

हेल्लो दोसतोन मेरा नाम रजु हे और मेन सलिम मेद
हेघत(5' 7") और वेघत अरौनद 50-55 हे। मेन 26
साल का हुन मेन इनदिअ मेन देहरदुन मेन
रेहता हुन। आज मेन आपको मेरे और मेरे मोम के सेक्स
कि कहनि सुनता हुन। येह बात आज से करिब 6-7
साल पेहले कि है जब मेरि उमर 20 साल कि थि और
मेरि मोम 32 कि थि। मेरि जवनि शुरु हुइ
थि उनकि जवनि के शोलेय भदकते थे। मेरि मोम
बहुत सेक्सी और सुनदर है। शे हस गोत अ बेऔतिफ़ुल
बोदी शपे 36-28-36। शे हस गोत मेद बूबस अस
वेल्ल अस बुत्तोसकस उनका सुदोल गोरा बदन बहुत
हसिन हे। वैसे वोह मेरि रेअल मोम नहि हे वह मेरे
दद कि सेसत्रेतरी थि बाद मेन पपा ने
मता जि कि सोनसेनत से उस्से
उनोफ़्फ़िसिअल्ली शदि कर लि। मेन पेहले
उनको सनधया औनती कहता था पेर अब मोम
हि कहता हुन।
में मोम को जब भि देखता तो मुझे
उनका सेक्सी फ़िगुरे देखकर मन मे
गुदगुदि होति थि। मैने उनको एक दो बर दद के
ओफ़्फ़िसे मेन अधा ननगा (जैसे जब वह सकिरत
पेहनति थि तो उनकि थिघस बदि जबरदसत
होति थि तब वह मेरे पपा कि सेसत थि। एक
दो बार मेने मोम को दद के ओफ़्फ़िसे के पवत रूम मेन
जो चनगिनग रूम सुम रेसत रूम था मेन छुप कर कपदे
चनगे करते भि देखा था। और मेन उनके चूचे और
चद्दि के नीचे के अरेअ को छोदकर पुरा ननगा देख
चुका था। मोम कि बोदी एकदुम सनगमरमर
कि तरह चकनि थि। उनकि जनघेन ऐसि लगथ
थि जैसे दो केले का जोदा हो। उनके होनथ एकदुम
गुलब कि पनगुरियो कि तरह थे और गाल एक दुम
कसमिरि सेब जैसे पिनक।
मोम एकदुम तिते फ़ित्तिनग के कपदे पेहनति थि और
मेन उनको बहुत नज़दीक से देखकर
अपनि अनखो को सुकुन दिया करता था। मतलब जब
से मेरा लुनद खदा होना सुरु हुअ वोह बुस
सनधया (मोम) को हि तलशता और सोचता था।
मेन उनकि बोदी को देखकर अपने मा और अनखोन
कि पयस बुझया करतह था। लेकिन पेहले जब तक वह
सनधया औनती थि मुझे उनसे नफ़रत थि और मेन
सोचता थना कि एक दिन इनको तसल्लि से चोदकर
अपनि भदस निकलुनगा। पेर बाद मेन उनके लिये मेरे
पपा के पयर ने और उनके अच्चहे बहविऔर ने मुझे चनगे
कर दिया।
अब वो हमरे घर पेर फ़िरसत फ़लूर मेन रेहति थि दद
और उनका बेद रूम फ़िरसत फ़लूर पेर था और हुम लोग
गरौनद फ़लूर पेर रेहते हेन। दद सनधया(मोम) के
साथ फ़िरसत फ़लूर पेर हि सोते हेन बेद रूम के सथ
हि एक और रूम हे जो अस अ सोम्मोन रूम उसे
होता हे। धीरे धीरे मेन मोम के और करिब आने
लगा वह शयद मेरा इरदा नहि समझ
पा रेहि थि वह मुझको वहि 12-15 साल
का बछचा समझति थि पेर अब मेन जवन
हो गया था। जैसे हि मेने सोल्लेगे मेन अदमिस्सिओन
लिया तो दद ने ओफ़्फ़िसे का वोरक
भि मुझको सिखन सुरु कर दिया और मेन
भि फ़री तिमे मेन रेगुलरली ओफ़्फ़िसे का कम देखने
लगा। मोसतली मेन अस्सौनतस का कम देखता हुमन
कयोनकि मेन सोम्मेरसे सतुदेनत था।
सोल्लेगे मेन भि मुझे कोइ लदकि मोम से
जयदा सेक्सी नहि लगति थि। अब मेन जब
मौका मिले मोन को तौच करके, जैसे उनकि जनघोन
पेर हाथ फ़ेर के, उनके चूतद पेर रुब करके
या कभि जनबुझकर उनके बूबस छु लिया करता। मोम
पता नहि जनबुझकर या अनजने इगनोरे कर
देति थि या वह मेरा मोतिवे नहि समझ पति थि।
कभि दद रात को मुझे अपने बेद रूम मेन बुलते थे और
ओफ़्फ़िसे के बरे मेन मोम और मेरे साथ दिससुस्स
करते। कयोनकि मोम मोसतली निघत गोवन मेन
होति थि और मेन पुरि तसल्लि से
उनकि बोदी का मुअयना करता था। उनके बूबस
बिलकुल पके हुये आम जैसे मुझे बदा ललचते थे, कै बार
मोम को भि मेरा इरदा पता चल जता था पेर वोह
कुच नहि केहति थि। अब
तो मेरि बेचैनि बदति जा रेहि थि और मेने मोम
कि चुदै का पक्का इरदा कर लिया और मौके
कि तलश करने लगा।
एक दिन जब दद ने मुझे फ़िरतस फ़लूर पेर रात
को 11 बजे बुलया तो मेन उपेर गया तो दद ने
बतया कि उनको निघत मेन 1 बजे फ़लिघत से 1 वीक
के लिये उरगेनत बहर जना हे और वोह मुझे और मोम
(सनधया) को जरुरि बतेन बरिएफ़ करने लगे। मोम
थोदा घबरा रहि थि तो दद ने
कहा सनदी दरलिनग उ दोनत वोर्री तुम और रज
सब समभल लोगे, रज तुमहरि मदद करेगा। कोइ
परोबलेम हो तो मुझे सल्ल करना वैसे यौ विल्ल
मनगे थेरे विल्ल बे नो परोबलेम। उसके बाद दद ने
मुझेसे कहा कि सनदी थोदा नुरवौस हे तुम
जरा बहर जओ मेन उसको समझता हुन।
मेन बहर आ गया तो दद ने उनदेर से दूर बनद कर
दिया, लेकिन मुझको दौबत हुअ कि दद
मेरि अबसेनसे मेन सनधया (मोम) को कया समझते
हेन। मेन केय होले से चुपके से देलहने लगा।
लुसकिली दूर पेर सुरतैन नहि चदा था और लिघत
भि ओन थि। लेकिन मेने जो देका तो मेन सतुन रेह
गया दद मोम को बहोन मेन लेकर किस्स कर रेहे थे
और मोम सरी कर रेहि थि। फ़िर दद ने मोम के
होनथ अपने होनथो पेर लेकर दीप किस्स
लिया तो मोम भि जबब देने लगि। फ़िर दद मे मोम
का गोवन पेचे से खल दिया और पीथ पेर रुब करने
लगे। मोम और दद अभि भि एक दुसरे को किस्स कर
रेहे थे और दोनो लमबि सनसे ले रेहे थे कि मेन सुन
सकता था। फ़िर दद ने मोम का गोवन पीछे से
उथया और उनकि चद्दि भि नेचे करके मोम के चूतद
पेर रुब करने लगे। मोम कि पीथ दरवजे के तरफ़
थि जि करन मुझे मोम कि गनद और चूतद के दरशन
पेहलि बार करने का मौका मिला। मोम के चूतद
एक दुम सनगमरमर से मुलयम और चिकने नजर आ रेहे थे
मोम सरी भि कर रेहि थि और मसति मेन
लमबि सनसेन भि ले रहि थि।
फ़िर अचनक दद ने मोम का गोवन आगे से उपेर
किया और उनकि चूत पेर उनगलियन फ़िरने लगे पेर
मेन कुच देख नहि पया कयोनकि वोह दुसरि सिदे
थि। फ़िर दद दुसरि तरफ़ पलते तो मोम कि चूत
वलि सिदे मेरे तरफ़ हो गयि और अब मेन मोम
कि चूत थोदि बहुत देख सकता था। पेर दूर से कुछ
नज़र सफ़ नहि आ रेहा था मोम कि छोत का मेन
अनदज़ लगा सकता था कयोनकि दद वहन पेर
उनगलियन फ़िरा रेहे थे और मोम के खदे होने के करन
चूत पुरि ननज़र नहि आ रेहि थि। वोह बुस एक
छोति लिने से दिख रेहि थि जहन दद
उनगलि फ़िरा रेहे थे। उसके बद दद नीच झुके और
मोम कि चूत पेर अपने होनथ रख दिये। ये मुझे साफ़
नहि दिख रेहा था पेर मेन गुएस्स कर
सकता था मोम अब जोर जोर से सिसकरियन लेकर
मज़ा ले रहि थि और दद भि मसति मेन थे।
लेकिन अचनका जने कया हुअ कि दद रुक गये और
उनहोने मोम को छोद दिया और मोम को लिपस
पेर किस्स करते हुये बोले दरलिनग इ म सोर्री इ
सनत गो बेयोनद लेत इ सोमे बसक, रज इस
अलसो औत अनद इ म गेत्तिनग लते इ म
वेरी सोर्री। मोम भि तब तक शनत
हो चुकि थि पेर वोह उनसतिसफ़िएद लग रेहि थि।
वोह नोरमल होते हुये बोलि इतस ओक और उनहोने
अपना गोवन थीक किया। उसके बद दद ने
मुझको अवज लगते हुये कहा रज र उ थेरे बेता मेन
चौकन्ना हो गया और अपने को नोरमल करने
लगा कयोनकि मेरा लुनद एकदुम खमबे के मफ़िक
खदा हो गया था और मेरि धदकन भि नोरमल
नहि थि। लेकिन जब तक दद दूर खोलते मेन नोरमल
हो गया था। फ़िर दद ने दरवजा खोला और बोले
दरिवेर को बुलओ और मेरे समन गदि मेन रखो। रात
कफ़ि हो गयि हे उ दोनत नीद तो सोमे ऐरपोरत इ
ल्ल मनगे अनद पलेअसे सी थे थे ओफ़्फ़िसे अनद फ़ोर ओने
वीक तके लेअवे फ़रोम थे सोल्लेगे अनद अस्सिसत
सनदी। मेन और मोम दद को दरोप करने जना चहते
थे पेर दद ने सत्रिसकतली मना कर दिया। दद
को हमने गूद बये कहा और दद ने हुमको बेसत ओफ़
लुसक कहते हुये किस्स किया।
जब दद चले गये तो मोम ने मुझसे कहा कि रजु आज
तुम उप्पेर वले कमरे मेन हि सो जाओ मुझे कुच
अच्चहा नहि लग रेहा हे। मेन तो ऐसे मौके कि तलश
मेन हि था मेन एकदुम से थोदा झिझकने का नतक
करते हुये हौन कह दिया। मोम और मेन फ़िरसत
फ़लूर पेर आ गये और मोम बेद रूम मेन
चलि गयि उनहोने मुझे पुछा कि र उ सोमफ़ोरतबले
ना मेने कह येस। वोह बोलि असतुअल्ली इ म नोत
फ़ीलिनग वेल्ल इसलिये तुमको परेशन किया मेन कह
इतस ओक मोम। फ़िर मो उनदेर चलि गयि और मेन
बहर सोम्मोन रूम मेन लिघत ओफ़्फ़ करके सो गया।
मोम थोदा घबरा रेहि थि इसलिये उनहोने
दरवजा बनद तो किया पेर लोसक नहि किया और
निघत लमप ओफ़्फ़ नहि किया। अब मेरे
को तो नीनद कहन आनि थि मेन तो मोम के सथ
सपनो कि दुनियन सजा रेहा था और मेरि नज़र
मोम कि असतिवितिएस पेर थि। करिब अधे गहनते
बद मोम मेरे कमरे मेन आयि और जैसे हि उनहोने
लिघत ओन कि तो देखा मेन भि लेता हुअ जग
रेहा हुन।
मोम बोलि रज लगता हे तुमको भि नीनद नहि आ
रेहि हे 2।00 बज गये हेन तुम भि शयद अपने दद के
बरे मेन और कल ओफ़्फ़िसे के बरे मेन सोच रेहो हो।
मैने कहा बात तो आप थीक कर रहि हेन पेर
पता नहि कयोन मुझे ऐसि कोइ वोर्री नहि हे पेर
नीनद नहि आ रेहि हे आप सो जाओ मेन
भि सो जता हुन थोदि देर मेन नीनद आ जयेगि।
मोम बोलि ओक रज पेर मेन थोदा सोमफ़ोरतबले
नहि फ़ील कर रेहि हुन तुम सो जओ मेन लघत ओफ़्फ़
कर देति हुन।
तब मेन मोम से कहा कि मोम अगर आप बुरा ना मने
तो ऐसा करतेन हेन कि उनदेर हि मेन भि अपके पास
बैथा हुन बतेन कते हुये शयद नीनद आ जये। वोह
बोलि गूद इदेरा चलो अनदेर आ जओ और मेन और मोम
उनदेर बेद रूम मेन चले गये। मेन उनदेर चैर पेर बैथ
गया और मोम बेद पेर बैथ गयि। फ़िर मोम
बोलि रजु थनद जयदा हेन तुम भि बेद पेर हि बैथ
जाओ। मेने मना करने का बहना बनया पेर मोम ने
जब दुबरा बोला तो मेन उनके समने बेद पेर बैथ
गया और रजै से अधा सोवेर कर लिया। अब मेन मोम
को तसल्लि से वथ कर रेहा था और रजै के उनदेर मेन
पयजमे का नदा थोदा धीला कर लिया था। फ़िर
मेने मोम से कहा कि ओफ़्फ़िसे कि बात नहि करेनगे
कुछ गप्प शप करतेन हेन मो बोलि ओक। तो मेने
कहा मोम तुम बुरा ना मनो तो तुमसे एक पवत बात
केहनि थि मोम बोलि सोमे ओन दोनत फ़ुस्स खुल कर
कहो।
मैने कहा मोम उ र मोसत बेऔतिफ़ुल लदी इ एवेर
मेत, इ रेअल्ली मेअन इत मेन गप्प शप नहि कर
रेहा हुन। मेन आज से नहि जब से तुमको देखा हे
तुमको अपनि कलपना अपना पयर और सब कुच
मनता हुन। उ र रेअल्ली गरेअत मोम अनद उर
फ़िगुरे इस मरवेलौस अनद एवेन मोसत गोरगेऔस
गिरल ओफ़ 16 सनत बेअत उर बेऔती अनद
सेनसुअलिती। मेन ये सब एक हि सथ कह गया कुछ
तो मेन कहा कुछ मेन कहता चला गया पता नहि मुझे
कया हो गया था। मोम मुझे देखति रहि और हसने
लगि बोलि तुम पगल हो एक बुदिया के दिवने
हो गये हो। मैने कहा नो मोम उ र मरवेल्लौस कोइ
भि जवन लदकि तुमहरा मुकबला नहि कर सकति।
मोम पलेअसे अगर तुम मेरि एक बात मन लो तो मेन
तुमसे जिनदगि मेन कुछ नहि मनगुनगा। मोम
बोलि अरे बुद्दहु कुछ बोलो भि ये शयरोन कि तरह
शयरि मत करो मेन तुमहरि कया हेलप कर
सकति हुन। मैने कहा मोम पलेअसे बुरा मत
मन्नना पर मेन तुमको सबसे खुसुरत मनता हुन
इसलिये अपनि सब से खुबसुरत
लदी कि खुबसुरति को एक बर पुरि तरह देख
लेना चहता हुन, मोम पलेअसे मना मत करना,
नहि तो मेन सहसमुच मर जौनगा और अगर
जिनदा भि रेहा तो मरे जैसा हि समझो।
मोम एकदुम चुप हो गयि और सोचने लगि फ़िर धीरे
से बोलि रजु तुम सहसमुच दिवनेहो गये हो वह
भि अपनि मोम के। अगर तुमहरि येहि इच्चहा हे
तो ओक बुत परोमिसे मेरे सथ कोइ शररत
नाहि करना नहि तो तुमहरे दद को बोल
दुनगि और आनख मरते हुये बोलि तुमहरि पितै
भि करुनगि। मैने कहा ओक पेर एक शरत हे कि मेन
अपने आप देखुनगा आप शनत बैथि रेहो। मोम
बोलि ओक मेन मोम के नज़दीक गया और मोम
का गोवन का पेछे का बुत्तोन खोलकर मोम के
गोवन को दोवन कर दिया फ़िर उसको उनकि कमर
से नेचे लया। इसके बद मेने रजै हतयि। अब मोम मेरे
समने उपेर से सेमि नुदे हो गयि थि उनके उप्पेरपेर
केवल बरा हि रेह गयि थि।
मोम बिलकुल बुत कि तरह शनत थि मेन नहि समझ
पा रेहा था कि उनको कया हुअ हे। मुझे लगता हे
कि वह बदे सोनफ़ुसिओन मेन थि पेर मेन बदा खुस
था और एक्ससितेमेनत मेन मेरि खुसि को और
बदा दिया था। फ़िर मेने मोम का गोवन
उनकि तनगोन से होते हुये अलग कर दिया। अब
मोम केवक पनती और बरा मेन बेद पेर लेति थि।
फ़िर मेने मोम कि बरा का हूक खोल दिया मोम
कि एक चेख सि निकलि पेर फ़िर वह चुप हो गयि।
फ़िर मेन मोम कि बरा को उनके शरिर से अलग कर
दिया। उनके बूबस देखकर मेन पगल हो गय और
एक्ससितेमेनत मेन मेने उनके बूबस को चूम लिया।
मोम कि सिसकरि निकल गय पेर नेक्सत मोमेनत
वहो सत्रिसत होति हुयि बोलि रजु बेहवे उरसेलफ़
तुमने वदा किया था। मेने कहा मोम तुम इतनि मसत
चीज़ हि कि मेन अपना वद भुल गया। फ़िर मेने मोम
कि पनती को निकलने लगा और मोम ने भि इसमे
मेरि मदद कि पेर वोह एक बुत सि बनि थि।
उनकि इस हरकत से मेन भि थोदा नुरवौस
हो गया पेर मेने अपना कम नहि रोका। और
पनती के नेकलते हि मेरे कलपनये सकर
हो गयि थि मेन मोम कि चूत पेहलि बार
देखि थि एकदुम चिकनि मकमल जैसि और एकदुम बनद
ऐसा लगति थि जैसे सनतरे कि दो फ़नकेन होन। मेने
बलुए फ़िलमोन मेन बहुत सि चूतेन देखि थि पेर वोह
एकदुम चौरि और मरकस वलि होति हेन पेर मोम
कि चूत को देखकर येह लगता हि नहि था कि वोह
एक 32 साल कि औरत कि चूत हे। सबसे बदि बात ये
थि कि वोह एक दुम सलेअन सवे बलद थि और
गोरि ऐसि कि तजमहल का तुकदा। अब मेरे समने
एक 32 साल कि लदकि ननगि लेति थि आप खुद
सोचो ऐसे मेन एक 20 साल के लदके का कया हाल
हो रेहा होगा।
फ़िर मेने कहा मोम पलेअसे मेन एक बर
तुमहरि बोदी को महसुस करना चहता हुन कि एक
औरत कि बोदी के रेअल तौवह का कया अहसस
होता हे। मोम बोलि तुम अपना वदा यद
रखो सोच लो वदा खिलफ़ि नहि होनि चहिये। मेन
उनका सहि मतलब नहि समझ पया पेर
उनकि ननगि कया देखकर मेन पेहले हि बेशुध
हो चुका था अगर कोइ कमि थि तो मोम के
रेसपोनसे कि और मेरे पेहले एक्सप कि वजह से झिझक
कि। फ़िर मेन मोम के लिपस का एक दीप किस्स
लिया उअर उनको उनकि पेथ से बहोन मेन ले
लिया और उनकि पीथ पेर रुब करने लगा। मोम
का कोइ रेसपोनसे नहि आया पेर उनके बूबस का तौच
मुझे पगल कर रेहा था ऐसा तौच मुझे पेहलि बर हुअ
था मेन समझ नहि पा रेहा था कि वोह बूबस थे
या मरबले और वेलवेत्ते का मिक्स, आअह फ़रिनदस
इत वस अ रेअल्ली गरेअत फ़ीलिनग। उसके बाद मेने
मोम को पलता और अब उनकि पीथ पेर किस्स करने
लगा और उनके बूबस को मसलने लगा। ऊह इ वस इन
7थ सकी फ़रिएनदस इ सनत तेल्ल उ कया मज़्ज़ा आ
रेहा था। मोम भि अब कोइ विरोध नहि कर
रहि थि पेर उनका रेसपोनसे बहुत पोसितिवे
नहि था। पेर मुझे अब इस बात का कोइ अहसस
नहि था कि मोम कया सोच रहि हे। मिएन
तो सचमुच जन्नत के दरवजे कि तरफ़ बद रेहा था और
मोम कि बोदी का तसते ले रेहा था।
मोम के बूबस का रस सचमुच बदहि रसीला था मेने
अब उनके निप्पले पेर दनतो से कतना सुरु
किया तो मोम पेहलि बार चीखि और बोलि अरे
कात दलेगा कया, आरम से कर हरमि। मिएन समझ
गया कि अब मो भि मसत हो चुकि हेन मेने
अपना पयजमा उतर दिया और बनियन भि उतर
दि अब मेन केवल उनदेरवेअर मेन था। कुच देर मोम के
बूबस छोसेने के बाद मेने मोम कि नवेल पेर किस्स
करना सुरु कर दिया तो मोम बे पेर उछलने लगि और
सिसकरिया लेने लगि। मिएन हथोन से उनके बूबस
दबा रेहा था और होनथोन से उन नवेल को चुम
रेहा था। फ़िर मेन और नेचे गया और मोम के
अबदोमेन के पस और पुबिस अरेअ मेन किस्स करने
लगा। दोसतोन मेन बता नहि सकता और आप
भि केवल मस्सुस कर सकते हिएन कि कया मज़्ज़ा आ
रेहा था।
इसके बाद मेने मोम कि तनगोन पेर भि हाथ
फ़िरना शुरु कर दिया उनकि तनगेन बदि मुलयम और
समूथ थि। मुझे लगता हे मो अपनि बोदी का बहुत
खयल रेखति हेन और दद भि तो उनकि इस लजबब
बोदी के गुलम हो गये थे। बुत शे इस गरेअत
लदी रेअल्ली इन अल्ल रेसपेसत और इस तिमे
तो वोह मेरि सलिओपेत्रा बनि हुयि थि। अब मेन
मोम कि तनगोन और जनघोन पेर अपना कमल दिखन
शुरु कर दिया और मेन
कभि उनको चुमता कभि दबता और कभि रुब करता।
मोम भि अब तक मसत हो चुकि थि और
मेरा पुरा साथ दे रहि थि पेर मेने अब तक
एनत्री गते पेर दसतक नहि दि थि मेन मोम
को पुरा मसत कर देना चहता था और मेने अपने लुनद
को फ़ुल्ल सोनत्रोल मेन रखा था। मेन मोम
कि बोदी को अभि भि अपने होनथो और
उनगलियोन और हथोन से हि रोनद रेहा था।
अब तो मोम भि पुरि तरह गरम हो चुकि थि और
वदे वलि बात भुलकर मसति मेन पुरे जोर से मेरा सथ
दे रहि थि। और चेखने लगि अरे रजु अब आ भ जा यार
पलेअसे मत तदपा जलिम जलदि से मेरे उपेर आ जा।
मेने कहा बुस मोम जुसत वैत मेन तययर हो रेहा हुन
बु एक मिनुते रूक जाओ मेन भि आता हुन। तभि मोम
ने मेरा उनदवेअर नेचे खेनसक दिया और वोह
बोलि अबे मदर छोद अपनि मोम कि बात
नहि मनेगा। इतना कहकर उनहोने अब मेरा लुनद
पकद कर जोर से दबा दिया मेरि तो चीख निकल
गयि और अब तक जो मेरा लुनद तययर था बिलकुल
बेतब हो गया।
मेने मोम कि दोनो तनगोन को दूर करते हुये
उनकि रिघत थिघ पेर बैथ गया और उनके चूतद
को दोन्नो हथोन से धकेलते हुये अपना लुनद
उनकि चूत के पास ले गया और पुरे जोर
का धक्का दिया तो मेरा अधा लुनद उनक चूत मेन
समा गया। मेरि तो चेख निकल गयि लेकिन मोम
को कुछ तसल्लि हुयि और वोह मेरे अगले असतिओन
का इनतज़ार करने लगि। मेने एक और ज़ोरदर
धक्का लगया तो पुरा लुनद उनदेर चला गया अब
मेने धीरे धीएरे उनदेर बहर करना सुरु किया और
मोम कि दुसरि जबघ को अपने कनधे कि तरफ़ रख
दिया रिघत थिघ पेर बैथ कर अपना चुदै करयकरम
सुरु कर दिया। अब तो मोम पुरे मज़े मेन आ गयि और
मेरा पुरा सहयोग करने लगि। पुरे कमरे मेन मेरे और
मोम के चुदै परगरम का मुसिस सुरु हो गया।
मोम भि शह्हह।।अह्हह करने लगि बोलि अनदर तक
घुमदे अपना लुनद,,मैं भि जोर से अनदर बहर करने
लगा बोलि मसति आ रहि है तुझेभि, मज़ा आ
गया आज बहुत दिन बाद जवानि का मज़ा पाया है
कसम से आज तुने मुझे अपनि जवानि के दिन याद
दिला दिये अयययययीईईईइ ईईईईईस्सस्सस्सस्स
मैर भि बहुत जोश के साथ चुदायि कर रहा था मैं
बोलै आज तेरि चूत कि धज्जियान उदा दूनगा अब तु
दद से चुदवाना भूल जायेगि हर वकत मेरा हि लुनद
अपनि चूत मे दलवाने को तदपा करेगि मोम -
आआआआआह्हह्हह्हह्ह आआआयीईईईइ कया मज़ा आ
रहा है, फ़ुसक मे हरद र्रर्रर आआआआआ
ज्जज्जज्जज्जज्ज ऊउ जूऊऊउ सोमे ओन और फ़सत उ
मी दरलिनग। मेन भि बोला येस मी फ़ैर लदी सुरे।
मोम बोलि मुझको सनधया के नाम से बुलओ
कहो सनधया मेरि जान, मेने ओक सनधया दरलिनग
ये ले मज़्ज़ा आअ रेहा हे ना आज मेन भि अपने लुनद से
तेरि चूत को फ़द के रख देता हुन। वह
चिल्ला रहि थि आअह गूद। म्मम्मम्मम्मम्मम
आआअह्हह्हह्हह्हह्ह उह्हह्हह्हह्हह्ह म्मम्मम्मम्म।
फ़िर अचनक जब मुझे कुछ दबव सा महसूस होने
लगा तो मोम बोलि रजु अब बुस एक बार अब धीरे
धीरे कर दे मेरा तो पनि निकल दिया तुने। मेने
सपीद थोदा कम कर दि और अब मोम और मेन थकने
भि लगे थे। अचनक मेरा सरा दबव मेरे लुनद के रसत
मोम कि चोत कि घति मेन समा गया और मोम
भि शनत हो गयि। और हु दोनो एक दुसरे के उपेर
लते गये। मेरा लुनद मोम कि चूत के उनदेर
हि था एक दुसरे से बिना कुच बोले हि हुम
दोनो वैसे हि सो गये। मोरनिनग जब नीनद
खुलि तो 6।00 बज गये थे और मेरा लुनद मोम
कि चूत मेन वैसे पदा था।
मेने मोम को जगया तो वह शरमने सा लगि फ़िर
बोलि रजु तुम तो एकदुम जवन हो गये हो, तुमने आज
इस 32 सल कि बुदिया को 16 साल
कि गुदिया बना दिया।तब मेने कहा अब तु मुझे
बुलयेगि कयो बोल? और उसने मुझे अलग करके दूर करते
हुये कहा जरुर मेरि जान। अपने उपर लितया मुझे
किस्स किया मैने भि फिरसे मोम के मथे पर, बूस पर,
नभि पर किस्स कर बगल मे हि लेत गया और
सुबा तक एक सथ लिपत केर चिपक कर सोये रहे, 7।
00 बजे मोम ने उथया और मुसकरयी, बोलि यद
रखना इसको रज रखना?मैं भि बोला ऐसे
हि एनत्रतैनमेनत करति रहना।

 

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