पहली बार दीदी ने कराया धोखे से बलात्कार

Saturday, May 18, 2013

आसाम की हरी भरी वादियां और जवान दिलों का संगम… किसको लुभा नहीं लेगा। ऐसे ही आसाम की हरी भरी जगह पर मेरे पति का पद्स्थापन हुआ। हम दोनों ऐसी जगह पर बहुत खुश थे। हमे कम्पनी की तरफ़ से कोई घर नहीं मिला था, इसलिये हमने थोड़ी ही दूर पर एक मकान किराये पर ले लिया था… उसका किराया हमें कम्पनी की तरफ़ से ही मिलता था। मेरे पति सुनील की ड्यूटी शिफ़्ट में लगती थी। घर में काम करने के लिये हमने एक नौकरानी रख ली थी। उसका नाम आशा था। उसकी उम्र लगभग 20 साल होगी। भरपूर जवान, सुन्दर, सेक्सी फ़िगर… बदन पर जवानी की लुनाई … चिकनापन … झलकता था।

..

सुनील तो पहले दिन से ही उस पर फ़िदा था। मुझसे अक्सर वो उसकी तारीफ़ करता रहता था। मैं उसके दिल की बात अच्छी तरह समझती थी। सुनील की नजरें अक्सर उसके बदन का मुआयना करती रहती थी… शायद अन्दर तक का अहसास करती थी। मैं भी उसकी जवानी देख कर चकित थी। उसके उभार छोटे छोटे पर नुकीले थे। उसके होठं पतले लेकिन फ़ूल की पन्खुडियों जैसे थे।


.


एक दिन सुनील ने रात को चुदाई के समय मुझे अपने दिल की बात बता ही दी। उसने कहा -"नेहा… आशा कितनी सेक्सी है ना…"


.


"हं आ… हां… है तो …… जवान लडकियां तो सेक्सी होती ही है…" मैं उसका मतलब समझ रही थी।



.

"उसका बदन देखा … उसे देख कर तो... यार मन मचल जाता है……" सुनील ने कुछ अपना मतलब साधते हुए कहा।


.


"अच्छा जी… बता भी दो जानू… जी क्या करता है……" मैं हंस पड़ी… मुझे पता था वो क्या कहेगा…



.

"सुनो नेहा … उसे पटाओ ना … उसे चोदने का मन करता है…"


.


"हाय… नौकरानी को चोदोगे … पर हां …वो चीज़ तो चोदने जैसी तो है…"



.

"तो बोलो … मेरी मदद करोगी ना …"

.



"चलो यार …तुम भी क्या याद करोगे … कल से ही उसे पानी पानी करती हूं……"




फिर मै सोच में पड़ गयी कि क्या तरीका निकाला जाये। सेक्स तो सभी की कमजोरी होती ही है। मुझे एक तरकीब समझ में आयी।




दूसरे दिन आशा के आने का समय हो रहा था…… मैने अपने टीवी पर एक ब्ल्यू हिन्दी फ़िल्म लगा दी। उस फ़िल्म में चुदाई के साथ हिन्दी डायलोग भी थे। आशा कमरे में सफ़ाई करने आयी तो मै बाथरूम में चली गयी। सफ़ाई करने के लिये जैसे ही वो कमरे के अन्दर आयी तो उसकी नजर टीवी पर पडी… चुदाई के सीन देख कर वो खडी रह गयी। और सीन देखती रही।


.


मैं बाथरूम से सब देख रही थी। उसे मेरा वीडियो प्लेयर नजर नहीं आया क्योंकि वह लकडी के केस में था। वो धीरे से बिस्तर पर बैठ गयी। उसे पिक्चर देख कर मजा आने लग गया था। चूत में लन्ड जाता देख कर उसे और भी अधिक मजा आ रहा था। धीरे धीरे उसका हाथ अब उसके स्तनो पर आ गया था.. वह गरम हो रही थी। मेरी तरकीब सटीक बैठी। मैने मौका उचित समझा और बथरूम से बाहर आ गयी…


.


"अरे… टीवी पर ये क्या आने लगा है…"


.


"दीदी… साब तो है नहीं…चलने दो ना…अपन ही तो है…"



.

"अरे नहीं आशा… इसे देख कर दिल में कुछ होने लगता है…" मैं मुस्करा कर बोली


.


मैने चैनल बदल दिया… आशा के दिल में हलचल मच गयी थी … उसके जवान जिस्म में वासना ने जन्म ले लिया था।


.


"दीदी… ये किस चेनल से आता है …"उसकी उत्सुकता बढ रही थी।



.

"अरे तुझे देखना है ना तो दिन को फ़्री हो कर आना … फिर अपन दोनो देखेंगे… ठीक है ना…"


.


"हां दीदी…तुम कितनी अच्छी हो…" उसने मुझे जोश में आकर प्यार कर लिया। मैं रोमांचित हो उठी… आज उसके चुम्बन में सेक्स था। उसने अपना काम जल्दी से निपटा लिया… और चली गयी। तीर निशाने पर लग चुका था।



.

करीब दिन को एक बजे आशा वापस आ गयी। मैने उसे प्यार से बिस्तर पर बैठाया और नीचे से केस खोल कर प्लेयर में सीडी लगा दी और मैं भी बिस्तर पर बैठ गयी। ये दूसरी फ़िल्म थी। फ़िल्म शुरू हो चुकी थी। मैं आशा के चेहरे का रंग बदलते देख रही थी। उसकी आंखो में वासना के डोरे आ रहे थे। मैने थोडा और इन्तजार किया… चुदाई के सीन चल रहे थे।


.


मेरे शरीर में भी वासना जाग उठी थी। आशा का बदन भी रह रह कर सिहर उठता था। मैने अब धीरे से उसकी पीठ पर हाथ रखा। उसकी धडकने तक महसूस हो रही थी। मैने उसकी पीठ सहलानी चालू कर दी। मैने उसे हल्के से अपनी ओर खींचने की कोशिश की… तो वो मेरे से सट गयी। उसका कसा हुआ बदन…उसकी बदन की खुशबू… मुझे महसूस होने लगी थी। टीवी पर शानदार चुदाई का सीन चल रहा था। आशा का पल्लू उसके सीने से नीचे गिर चुका था… मैने धीरे से उसके स्तनों पर हाथ रख दिया… उसने मेरा हाथ स्तनों के ऊपर ही दबा दिया। और सिसक पडी।


.


"आशा… कैसा लग रहा है…"


.


"दीदी… बहुत ही अच्छा लग रहा है…कितना मजा आ रहा है…" कहते हुए उसने मेरी तरफ़ देखा … मैने उसकी चूंचियां सहलानी शुरू कर दी… उसने मेरा हाथ पकड लिया…


.


"बस दीदी… अब नहीं …"


.


"अरे मजे ले ले … ऐसे मौके बार बार नहीं आते……" मैने उसके थरथराते होंठों पर अपने होंठ रख दिये… आशा उत्तेजना से भरी हुयी थी। आशा ने मेरे स्तनों को अपने हाथों में भर लिया और धीरे धीरे दबाने लगी। मैने उसका लहंगा ऊपर उठा दिया… और उसकी चिकनी जांघों पर हाथ से सहलाने लगी… अब मेरे हाथ उसकी चूत पर आ चुके थे। चूत चिकनाई और पानी छोड रही थी। मेरे हाथ लगाते ही आशा मेरे से लिपट गयी। मुझे लगा मेरा काम हो गया।


.


"दीदी… हाय… नहीं करो ना … मां…री… कैसा लग रहा है…"

.



मैने उसकी चूत के दाने को हल्के हल्के से हिलाने लगी…। वो नीचे झुकती जा रही थी… उसकी आंखे नशे में बन्द हो रही थी।


.


उधर सुनील लन्च पर आ चुका था। उसने अन्दर कमरे में झांक कर देखा। मैने उसे इशारा किया कि अभी रुको। मैने आशा को और उत्तेजित करने के लिये उससे कहा - "आशा … आ मैं तेरा बदन सहला दूं…… कपड़े उतार दे …"



.

"दीदी … ऊपर से ही मेर बदन दबा दो ना…" वो बिस्तर पर लेट गयी। मैं उसके उभारों को दबाती रही…उसकी सिसकियां बढती रही… मैने अब उसकी उत्तेजना देख कर उसका ब्लाऊज उतार दिया… उसने कुछ नहीं कहा… मैने भी यह देख कर अपने कपडे तुरन्त उतार दिये। अब मैं उसकी चूत पर अपनी उंगली से दबा कर सहलाने लगी… और धीरे से एक उंगली उसकी चूत में डाल दी। उसके मुख से आनन्द की सिसकारी निकल पड़ी…


.


"आशा … हाय कितना मजा आ रहा है… है ना…"


.


"हां दीदी… हाय रे… मैं मर गयी…"


.


"लन्ड से चुदोगी आशा… मजा आयेगा…"


.


"कैसे दीदी … लन्ड कहां से लाओगी…"

.



"कहो तो सुनील को बुला दूं … तुम्हे चोद कर मस्त कर देगा"


.


"नहीं …नहीं … साब से नहीं …"


.


"अच्छा उल्टी लेट जाओ … अब पीछे से तुम्हारे चूतड़ भी मसल दूं…"


.


वो उल्टी लेट गयी। मैने उसकी चूत के नीचे तकिया लगा दिया। और उसकी गान्ड ऊपर कर दी। अब मैने उसके दोनो पैर चौड़ा दिये और उसके गान्ड के छेद पर और उसके आस पास सहलाने लगी। वो आनन्द से सिसकारियां भरने लगी।




सुनील दरवाजे के पास खडा हुआ सब देख रहा था। उसने अपने कपड़े भी उतार लिये। ये सब कुछ देख कर सुनील का लन्ड टाईट हो चुका था। उसने अपना लन्ड पर उंगलियों से चमड़ी को ऊपर नीचे करने लगा। मैं आशा की गान्ड और चूतडों को प्यार से सहला रही थी। उसकी उत्तेजना बहुत बढ चुकी थी। मैने सुनील को इशारा कर दिया… कि लोहा गरम है…… आ जाओ…।




सुनील दबे पांव अन्दर आ गया। मैने इशारा किया कि अब चोद डालो इसे। उसके फ़ैले हुये पांव और खुली हुयी चूत सुनील को नजर आ रही थी। ये देख कर उसका लन्ड और भी तन्नाने लगा । सुनील उसकी पैरों के बीच में आ गया। मैं आशा के पीछे आ गयी… सुनील ने आशा के चूतडों के पास आकर लन्ड को उसकी चूत पर रख दिया। आशा को तुरन्त ही होश आया…पर तब तक देर हो चुकी थी। सुनील ने उस काबू पा लिया था। वो उसके चूतडों से नीचे लन्ड चूत पर अड़ा चुका था। उसके हाथों और शरीर को अपने हाथों में कस चुका था।




आशा चीख उठी…पर तब तक सुनील का हाथ उसका मुँह दबा चुका था। मैने तुरन्त ही सुनील का लन्ड का निशाना उसकी चूत पर साध दिया। सुनील हरकत में आ गया।

.



उसका लन्ड चूत को चीरता हुआ अन्दर घुस गया। चूत गीली थी…चिकनी थी पर अभी तक चुदी नहीं थी। दूसरे ही धक्के में लन्ड गहराई में उतरता चला गया। आशा की आंखे फ़टी पड़ रही थी। घू घू की आवाजें निकल रही थी। उसने अपने हाथों से जोर लगा कर मेरा हाथ अपने मुह से हटा लिया। और जोर से रो पडी… उसकी आंखो से आंसू निकल रहे थे… चूत से खून टपकने लगा था।


.


"बाबूजी … छोड दो मुझे… मत करो ये……" उसने विनती भरे स्वर में रोते हुये कहा। पर लन्ड अपना काम कर चुका था।


.


"बस…बस… अभी सब ठीक हो जायेगा… रो मत…" मैने उसे प्यार से समझाया।



.

"नहीं बस… छोड़ दो अब … मैं तो बरबाद हो गयी दीदी… आपने ये क्या कर दिया…" वो नीचे दबी हुयी छटपटाती रही। हम दोनों ने मिलकर उसे दबोच लिया। दबी चीखें उसके मुह से निकलती रही। सुनील ने लन्ड को धीरे धीरे से अन्दर बाहर करना शुरु कर दिया।



.

"साब…छोड़ दो ना … मैं तो बरबाद हो गयी…… हाऽऽऽय…" वो रो रो कर… विनती करती रही। सुनील ने अब उसकी चूंचियां भी भींच ली। वो हाय हाय करके रोती रही …नीचे से अपने बदन को छटपटाकर कर हिलाती कर निकलने की कोशिश करती रही। लेकिन वो सुनील के शरीर और हाथों में बुरी तरह से दबी थी। अन्तत: उसने कोशिश छोड दी और निढाल हो कर रोती रही।


.


सुनील ने अपनी चुदाई अब तेज कर दी … उसका कुंवारापन देख कर सुनील और भी उत्तेजित होता जा रहा था। धक्के तेजी पर आ गये थे। कुछ ही देर में आशा का रोना बन्द हो गया … और अन्दर ही अन्दर शायद उसे मस्ती चढने लगी…


.


"हाय मैं लुट गयी… मेरी इज़्ज़त चली गयी…।" बस आंखे बन्द करके यही बोलती जा रही थी… नीचे तकिया खून से सन गया था। अब सुनील ने उसकी चूंचियां फिर से पकड ली और उन्हे दबा दबा कर चोदने लगा। आशा अब चुप हो गयी थी… शायद वो समझ चुकी थी कि उसकी झिल्ली फ़ट चुकी है और अब बचने का भी कोई रास्ता नही है। पर अब उसके चेहरे से लग लग रहा था कि उसे मजा आ रहा है। मैने भी चैन की सांस ली…।

.



मैने देखा कि सुनील का लन्ड खून से लाल हो चुका था। उसकी कुँवारी चूत पहली बार चुद रही थी। उसकी टाईट चूत का असर ये हुआ कि सुनील जल्दी ही चरमसीमा पर पहुंच गया। अचानक नीचे से आशा की सिसकारी निकल पडी और वो झड़ने लगी। सुनील को लगा कि आशा को अन्तत: मजा आने लगा था और वो उसी कारण वो झड़ गयी थी।


.


अब सुनील ने अपना लन्ड बाहर निकाल लिया और अपनी पिचकारी छोड दी। सारा वीर्य आशा के चूतडों पर फ़ैलने लगा। मैने जल्दी से सारा वीर्य आशा की चूतडों पर फ़ैला दिया। सुनील अब शान्त हो चुका था।


.


सुनील बिस्तर से नीचे उतर आया। आशा को भी चुदने के बाद अब होश आया… वो वैसी ही लेटी हुई अब रोने लगी थी।


.


"बस अब तो हो गया … चुप हो जा…देख तेरी इच्छा भी तो पूरी हो गयी ना…"


.


"दीदी… आपने मेरे साथ अच्छा नहीं किया… मैं अब कल से काम पर नहीं आऊंगी…" वो उठते हुये रोती हुई बोली… उसने अपने कपडे उठाये और पहनने लगी… सुनील भी कपडे पहन चुका था।


.


मैने सुनील को तुरन्त इशारा किया … वो समझ चुका था… जैसे ही आशा जाने को मुडी मैने उसे रोक लिया…"सुनो आशा… सुनील क्या कह रहा है……"


.


"आशा … मुझे माफ़ कर दो … देखो मुझसे रहा नही गया तुम्हे उस हालत में देख कर… प्लीज…"



.

"नहीं… नहीं साब… आपने तो मुझे बरबाद कर दिया है … मैं आपको कभी माफ़ नहीं करूंगी…" उसका चेहरा आंसुओं से तर था।


.


सुनील ने अपनी जेब से सौ सौ के दो नोट निकाल कर उसे दिये…पर उसने देख कर मुह फ़ेर लिया… उसने फिर और सौ सौ के पाँच नोट निकाल दिये… उसकी आंखो में एकबारगी चमक आ गयी… मैने तुरन्त उसे पहचान लिया। मैने सुनील के हाथ से नोट लिये और अपने पर्स से सौ सौ के कुल एक हज़ार रुपये निकाल कर उसके हाथ में पकड़ा दिये। उसका चेहरा खिल उठा।


.


"देख … ये साब ने गलती की ये उसका हरज़ाना है… हां अगर साब से और गलती करवाना हो तो इतने ही नोट और मिलेंगे…"



.

"दीदी … मैं आपकी आज से बहन हूं… मुझे पैसों की जरूरत किसे नहीं होती है…" मैने उसे आशा को गले लगा लिया…


.


"आशा …… माफ़ कर देना… तू सच में आज से मेरी बहन है… तेरी इच्छा हो … तभी ये करना…" आशा खुश हो कर जाने लगी… दरवाजे से उसने एक बार फिर मुड़ कर देखा … फिर भाग कर आयी … और मेरे से लिपट गयी… और मेरे कान में कहा, "दीदी… साब से कहना … धन्यवाद…"


.


" अब साब नहीं ! जीजाजी बोल ! और धन्यवाद किस लिये …… पैसों के लिये …"


.


" नहीं … मेरी चुदाई के लिये…"


.


वो मुड़ी और बाहर भाग गयी…… मैं उसे देखती रह गयी… तो क्या ये सब खेल खेल रही थी। मेरी नजर ज्योंही मेज़ पर पड़ी तो देखा कि सारे नोट वहीं पड़े हुए थे … सुनील असमंजस में था

भाभी और उनकी दो लड़कियाँ

This summary is not available. Please click here to view the post.

मौके का फायदा भाई ने उठाया

मेरा नाम रूबी है। मैं मुम्बई में नौकरी करती हूं। मैं और मेरा भाई राहुल दोनों जुड़वां हैं. मैं बचपन से ही पढने में तेज थी तो इस वजह से घर में मेरे भाई को हमेशा डांट पड़ती थी कि देख तेरी बहन कितनी तेज है और तू नालायक ...




मैं मुंबई में अकेली रहती थी एक बी एच के हाउस में मलाड में, एक साल बाद मेरे भाई का भी मुंबई में जॉब लग गया ..मम्मी पापा ने उसे मेरे पास ही रहने को कहा, हम दोनों साथ रहते थे मगर हमारे अंदर कोई ग़लत फीलिंग नहीं थी ...




मैं कभी कभी जब ज्यादा चुदाने के लिए भूखी हो जाती थी तो शायद होश नहीं रहते थे और भाई का अंडरवियर लेकर उसे अपने चूत में ऊँगली से डालती थी .... मुझे पता नहीं था कि मेरा भाई मेरे बारे में क्या सोचता है। कुछ दिनों बाद मैंने नोटिस किया कि मेरी ब्रा और पैंटी कभी भी मेरे रखे हुई जगह पे नहीं मिलती थी और उन पे सिलवटें भी बहुत होती थी. मुझे शक हो गया था कि मेरा भाई भी मेरी ब्रा पैंटी प्रयोग करता है मुठ मारने के लिए ..... फ़िर भी हम चुप रहते ...अब असली कहानी ....




मैं अपने बॉस से पहले चुदवा चुकी थी और वही था मेरे एक साल में दो प्रमोशन का राज ... मेरे बॉस की उमर ४० की थी और उसका बॉस ५० का था ... मैं २६ की थी ...




क्यूँकि अभी मेरा भाई मेरे घर पे रहता था तो बॉस को बहुत दिनों से मौका नहीं मिला था मुझे चोदने का .. तो वो मुझसे काफी नाराज रहता था और मुझे कभी कभी डांटता भी था ऑफिस में ....




मेरा भाई अपने दफ्तर के काम से पुणे जा रहा था दो दिन के लिए ..




मौके का फायदा उठाते हुए मैंने अपने बॉस को कहा कि आज रूबी आपकी है, मेरा भाई दोपहर को ही घर से निकलने वाला था, मैं शाम को जब घर आई तो मुझे लगा मेरा भाई जा चुका है .. मैंने अपने बॉस को फ़ोन लगाया और बातें करने लगी ... मेरा भाई उस वक्त बाथरूम में था .. उसे मेरे बॉस की आवाज़ तो नहीं पर मेरी आवाज़ साफ साफ सुने दे रही थी ... मैंने अपने बॉस से कहा .. आज रूबी को चुदवाना है अपने डार्लिंग से.. रूबी की चूत बहुत दिनों से प्यासी है...मैं थक गई हूं अपने भाई का अंडरवीयर अपनी चूत में डाल डाल कर.. मुझे लण्ड चाहिए




प्लीज़ जल्दी से आ जाओ और मुझे जम कर चोदो...




उधर मेरा भाई मेरी बातें सुनकर गरम हो गया था.. वो नहा कर बाहर निकला तो उसका लण्ड तन कर खड़ा था टॉवेल के ऊपर से ही दिख रहा था ... मैं समझ गई कि इसने सब सुन लिया फ़िर भी नाटक कर के बोली- तुम गए नही अब तक ... तो उसने कहा नही मेरे पेट में दर्द है, मैंने कहा कुछ दवा ले लो, उसने कहा नही मम्मी ने जो तेल दिया है उस से मालिश कर के सो जाऊँगा ... फ़िर मैं समझ गई कि आज भी मेरी चूत भूखी रह जायेगी क्यूँकि मेरा भाई नहीं जाने वाला ...




मेरा भाई नाटक कर रहा था .. उसके दिमाग में सिर्फ़ मेरी बातें घूम रही थी ... वो भी अपनी प्यास मेरी चूत से मिटाना चाह रहा था ... उसने मुझसे कहा , रूबी प्लीज़ इस तेल से मेरे पेट पर मालिश कर दो ना ... मैंने कहा ठीक है .. वो अपना बनियान उतर कर बेड पर लेट गया .. मैंने उस वक्त बस नाईटी पहनी थी मैंने ना ही पैंटी ना ब्रा पहनी थी क्यूँ कि मुझे लगा था थोडी ही देर में मेरे बॉस आयेंगे और मुझे सब उतरना पड़ेगा ...




मैं उसके पेट पे तेल मालिश कर रही थी, उसके नाभि के नीचे बहुत सरे बाल थे जो जैसे जैसे नीचे जाते थे और ज्यादा थे ... मेरे थोड़ी देर मालिश करने पे वो बहुत गरम हो चुका था क्यूँकि उसके पायजामे के ऊपर से उसका तना हुआ लंड दिखाई देने लगा था फ़िर भी मैं चुप चाप मालिश करती रही ... थोडी देर बाद उसने कहा पायजामा थोड़ा नीचे सरका कर थोड़ा नीचे तक मालिश करो न ... मैंने वैसा ही किया ... अब मुझसे भी रहा नहीं जा रहा था ... मैं भी सोच रही थी कि कब अपनी प्यास मिटाऊँ अपने सगे भाई के लंड से ... इतने में वो बोल पड़ा हाथ अंदर डाल न ... मैंने कहा कहाँ अंदर .. उसने कहा पायजामे के अंदर .. मैंने मना कर दिया .. . मन तो बहुत कर रहा था मगर वो मेरा भाई था इसलिए मैंने ना कह दिया ... उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और जबरदस्ती अपने लंड पे ले गया, मैंने एक झटके से उसका हाथ दूर कर दिया ...फ़िर वो बेड से उठ गया और मुझे जकड लिया और बोला सिर्फ़ अपने बॉस से चुदवाओगी .... कब तक तेरे ब्रा और पैंटी से मुठ मारता रहूँगा ... मेरे लंड ने क्या पाप किए हैं?.. मैं ये सब सुन कर दंग रह गई ... उसने कहा मैं किसी को कुछ नहीं कहूँगा .. बस तू वो कर जो मैं कहता हूँ ...




... फ़िर मेरे पास और कोई चारा नहीं था सिवाय उसकी बात मानने के, मैं ने चुप चाप सर हिला कर हाँ कह दी .... उसने कहा- वाह मेरी बहना ! आज तो मजा आ जाएगा .... आज तक बस ब्रा और पैंटी ही मिली थी मुझे तुम्हारी आज तो पूरी की पूरी रूबी मेरे सामने खड़ी है .... फ़िर उसने मुझे उसका पायजामा नीचे करने को कहा, मैंने वैसा ही किया .. वो अंडरवियर नहीं पहना था .. मैं उसके लंड से पहले ही रुक गई .. इसपर वो चिल्ला कर बोला .. साली रुक क्यूँ गई .. तेरे बॉस का लंड बहुत पसंद है तुझे .. मेरा लंड नहीं लेगी क्या .. चल उतर जल्दी से पायजामा मेरा .. फ़िर मैंने उसका पूरा पायजामा उतार दिया अब वो पूरा नंगा लेटा था मुझे उसे देखने में शर्म आ रही थी.




.. पर उसका तना हुआ लंड देख कर मैं भी थोडी गरम हो गई थी .. वैसे तो उसका लण्ड मेरे बॉस के लण्ड से कम लंबा और मोटा था ... उसने मुझसे कहा जल्दी से चूसना शुरू करो ना ... फ़िर मैंने उसका लण्ड अपने हाथों में लिया उसकी जांघों के बीच में बैठ गई और फ़िर उसका लण्ड अपने होठों पे रगड़ने लगी ... अब मैंने भी सोच लिया था कि शरमाने से कोई फायदा नहीं है आज मेरा भाई मुझे बिना चोदे मानने वाला नहीं है तो क्यूँ नहीं खुल के चुदवाऊँ इससे ताकि चुदने का भी मजा आए ... मैं उसका लण्ड होठों पे रगड़ रही थी .. फ़िर लोलीपोप की तरह मैं पहले बस उसका सुपाड़ा चूस रही थी ...उसके सुपाड़े से पतली पतली रस निकल रही थी .. मैं उसे लिपस्टिक की तरह होठों पे लगा रही थी।




इतने में उसने भी अपने हाथों से मेरी गांड सहलाना शुरू किया ... वो अपने दोनों हाथों से मेरी दोनों गोलाईयां सहला रहा था ... मुझे इतना मजा नहीं आ रहा था क्यूँकि वो नाईटी के ऊपर से मेरी गांड को सहला रहा था .. मैंने फ़िर उसके बिना कुछ कहे अपनी नाईटी उतार दी और अब मैं बिल्कुल नंगी थी उसके सामने .. इतने में उसने कहा- साली तूने तो न ब्रा ना पैंटी पहन रखी है.. पूरी तैयारी में थी मुझसे चुदवाने की क्या ...




फ़िर मैंने कहा तुझसे नहीं मेरे बॉस आ रहे है ना ! तो ... फ़िर बिना कुछ कहे मैं उसका लण्ड चूसने लगी .. वो मेरे सिर को पकड़ कर जोर जोर से लण्ड में धक्का देने लगा .. एक तरह से वो मेरा मुंह चोदने लगा ... ... मैं बहुत गरम हो चुकी थी ... मेरा मुंह पूरी तरह से चिपचिपा हो गया था उसके पतले रस से..फ़िर थोड़ी देर बाद उसने मुझे नीचे लिटा लिया और मेरे स्तनों से खेलने लगा। वो उन्हें जोर जोर से दबाने लगा। मुझे दर्द हो रहा था मगर मज़ा भी बहुत आ रहा था। यह सोच कर ज्यादा मज़ा आने लगा कि मेरा सगा भाई मुझे चोदने वाला है..




वाऽऽऽ ! अब भाई मेरे दोनों स्तनों को बारी बारी चूसने लगा। वो मेरे चूचकों को जोर से काटने लगा.. दर्द से मैं कराहने लगी, बीच बीच में मैं चिल्ला भी पड़ती थी मगर उसे कुछ फ़र्क नहीं पड़ रहा था। उसने तो आज अपनी बहन की चूत फ़ाड़ने का सोच ही लिया था .....वो मेरे निप्पल चबाने लगा, मैं मदहोश हो चुकी थी पूरी तरह.. मेरे मुंह से गंदे शब्द जो कि मैं मदहोश होने के बाद बोलती हूं अपने बॉस के साथ .. निकलने लगे भाई के भी सामने !... मैंने कहना शुरू किया .. आह अब चोदो ना राहुल ... चोद दो मुझे .. अपनी बहन की प्यास बुझाओ .. चोदो .. फाड़ डालो मेरी चूत ...




फ़िर वो धीरे धीरे नीचे गया .. और मेरी चूत चाटने लगा उसकी ये अदा मुझे बहुत पसंद आई क्यूँकि मेरे बॉस ने अपना लण्ड मुझसे बहुत बार चुसवाया था मगर मेरी चूत चाटने से मना करते थे .. वो बिल्कुल कुत्ते कि तरह पूरी जीभ बाहर निकाल कर मेरी चूत चाटने लगा .. वो जीभ को चूत के अंदर बाहर करने लगा .. मुझसे अब रहा नहीं जा रहा था ... मैंने कहा प्लीज़ राहुल मुझे अब लण्ड चाहिए तुम्हारा ... अपना लण्ड डालो मेरी बुर में .. उसने कहा बुर तो तेरी मैं जरुर चोदूंगा पहले बाकि सब का भी तो मजा ले लूँ ..




फ़िर उसने मुझे पलट दिया और पेट के बल लिटा दिया .. अब उसके सामने मेरी गांड थी.. वो मेरी दोनों चूतडों को मसल रहा था और मैं इतनी उत्तेजित थी कि अपनी ऊँगली अपनी चूत में डाले जा रही थी ....फ़िर उसने मेरे चूतडों को चाटना शुरू किया ... कसम से मैंने बहुत बार चुदवाया बहुत बार ! हाय ! मगर इतना मजा मुझे पहली बार आ रहा था वो भी मेरे भाई से ... मैं आह आह आ औच ... की आवाजें निकाले जा रही थी .. वो पूरा मस्त होकर मेरी गांड चाटता जा रहा था ... फ़िर उसने मेरी गांड में अपनी ऊँगली डाली .. मैं चिहुंक उठी .. मैंने कहा क्या कर रहे हो राहुल ... गांड मरोगे क्या मेरी ? ! ? !... उसने कहा - रूबी ! आज तो तेरे शरीर के हर छेद में अपना लण्ड डालूँगा मैं ... तुझे चोद चोद के निढाल कर दूंगा .... मैं खुशी से पागल हो रही थी ...




फ़िर थोडी देर बाद उसने मुझे उठाया और अपनी जाँघों पर बैठा दिया वो लेता हुआ था मैं उसकी जाँघों पर बैठी थी वो मेरे बूब्स दबा रहा था .. फ़िर उसने कहा - अब मेरा लण्ड पकड़ कर ख़ुद अपनी बुर में डालो .. मैंने वैसा ही किया ... मेरी बुर से बहुत पानी निकल चुका था इस वजह से मेरी बुर पूरी गीली थी और उसका लण्ड भी ... मैंने उसका सुपाड़ा अपनी बुर पे रखा और फ़िर धीरे धीरे उसपे बैठ गई जिससे की उसका पूरा लण्ड मेरी बुर में घुस गया .. अब मुझे बहुत मजा आ रहा था .. फ़िर मैं ख़ुद ऊपर नीचे करने लगी .. मुझे ऐसा लग रहा था की राहुल मुझे नहीं मैं राहुल को चोद रही हूँ ... मैंने हिलना तेज किया ... वो भी नीचे से अपनी गांड उछाल उछाल कर मुझे चोद रहा था.




थोडी देर तक इस पोसिशन में चोदने के बाद उसने कहा - अब तुम नीचे आओ ... मैं बेड पे लेट गई .. वो मेरे ऊपर आ गया और मेरी दोनों टांगों को अपने कंधे पे रख दिया इससे मेरी बुर उसे साफ साफ दिखाई दे रही थी.. ...फ़िर उसने मेरी बुर पे अपना लण्ड लगाया और एक ही झटके में जोर से पूरा अंदर डाल दिया ... मैं लगातार सीत्कार कर रही थी आह ..ऊंह ह्ह्ह ह .ओह ह हह कम ऑन राहुल ... फक मी ... चोदो ... आह ह हह ह्ह्ह .. और जोर से चोदो ... अ आ आया अह हह हह .....




उसकी स्पीड बढती जा रही थी अब मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा था और मेरी बुर से सर सर करता हुआ सारा पानी बाहर आ गया .... राहुल रुकने का नाम नहीं ले रहा था ... मेरी बुर के पानी की वजह से उसके हर धक्के से कमरे में फत्च फच की आवाज़ आने लगी .. वो मेरी बुर पेलता ही जा रहा था ... मैं भी उसका साथ दे रही थी .. मैं उसके दोनों चूतड़ों को पकड़ कर धक्के लगा रही थी अपनी तरफ़. ...




फ़िर मैंने उसे कहा - राहुल अपना रस अंदर मत गिराना, नहीं तो तुम मामा और पापा दोनों बन जाओगे इस पे वो हँस पड़ा और अपनी स्पीड और बढ़ा दी .... अब वो गिरने वाला था




... वो मेरी बुर, जो कि चुदा चुदा कर पूरी भोंसड़ा बन गई थी, उससे लंड बाहर निकाला और मुझसे कहा कि अपने दोनों बूब्स को साइड से दबा कर रखने को। फ़िर मेरे दोनों बूब्स के बीच उसने अपना लंड डाल कर मेरी पेलाई शुरू कर दी थोडी देर ऐसे ही वो मुझे पेलता रहा उसके बाद उसके लंड से फच फचा कर सारा रस निकल गया जो कि मेरे पूरे मुंह में और चूचियों पे गिरा... मैं अपनी जीभ से और होठों से उसका रस चाट रही थी .......




फ़िर उसने अपना लंड ही मेरे मुंह में दे दिया मैंने उसका लंड थोड़ी देर चूसा ... मुझे ऐसा लगने लगा कि वो फ़िर से उत्तेजित हो रहा है ... क्यूंकि वो मुंह के ही अंदर धक्के लगाने लगा ... इतने में दरवाजे की घंटी बजी .. टिंग टोंग !.... वो उठ गया मैं भी उठ गई वो बोला मैं देख कर आता हूँ .. उसने बिना दरवाजा खोले आई-होल से देखा तो मेरे बॉस बाहर खड़े थे ... वो समझ गया की ये भी यहाँ रूबी को पेलने आए हैं ... फ़िर उसने आकर मुझ से कहा- तेरे बॉस हैं ....




राहुल से चुदवाने में मुझे बहुत मज़ा आया। मैं अभी भी नंगी लेटी थी अपने बिस्तर पर। अपने हाथों से राहुल का वीर्य अपने स्तनों पर मल रही थी।




राहुल मेरी चूत को फ़िर से अपने हाथ से मसल रहा था। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। तभी दरवाज़े पर घण्टी बजी-- टिंग टोंग ! टिंग टोंग !




मैं समझ गई कि मेरा बॉस होगा। राहुल गया देखने के लिए !




उसने देखा- मेरा बॉस बाहर खड़ा था। उसने मुझे आकर बताया- हो जा तैयार एक बार और चुदवाने के लिए ! तेरा बॉस आ गया।




मैंने राहुल को बोला- तू प्लीज़ ! थोड़ी देर के लिए रसोई में चला जा !




फ़िर मैंने तौलिया लपेट कर दरवाज़ा खोला। मेरा कमीना बॉस मुझे देख कर मुस्कुरा रहा था।




उसने अन्दर घुसते ही मुझे गोद में उठा लिया और कहा- आज बहुत चुदवाने का मन है ना तुझे,


बहुत तड़पाया है मुझे तूने ... तुझे चोदने के बाद तो मुझे किसी और को चोदने में मजा ही नहीं आता ...




मैंने फ़िर अपना नाटक दिखाना शुरू किया .. क्यूँकि मेरी चूत की प्यास मेरे भाई ने बुझा दी थी ...




मैंने कहा- नहीं ! मुझे नहीं चुदवाना ...




उसने मुझे बेड पे पटक दिया और मेरे ऊपर लेट गया मेरे दोनों हाथों को अपने दोनों हाथों से कस के पकड़ लिया ताकि मैं हिल ना सकूँ और फ़िर मुझे किस करने लगा ...वो मेरी जीभ को चूसता जा रहा था ...




फ़िर थोड़ी देर बाद कहा- साली क्यूँ नहीं चुदवाएगी अब मुझसे ...




मैंने नाटक करते हुए कहा- आज कल आप मेरे वेतन बढ़ाने पे ध्यान नहीं दे रहे हैं ...




वो समझ गया .. उसने फ़िर बताना शुरू किया कि


आज कल बहुत कुछ बदल गया है ऊपर के प्रबंधन में ... मैं भेजता हूँ तो फ़िर मेरे बॉस फैसला करते हैं कि कितनी वृद्धि देनी है ...




फ़िर मैंने कहा- तो फ़िर मैं तुम्हें क्यूँ दूँ अपनी चूत ! तुम्हारे बॉस को ना दूँ ... .?




फ़िर उसने कहा- ठीक है उसे भी देना, मगर मैंने कितना कुछ किया तुम्हारे लिए ..




मैंने कहा- जब किया तब मुझे जम कर पेला भी तुमने ...


मुझे याद है तू हर दूसरे दिन मुझे चोदता था ... कभी कभी तो मेरे मासिक के बावजूद ...अभी मुझे क्या मिलेगा तुमसे चुदवा कर ...




फ़िर इस पे उसने कहा- रूबी माय डार्लिंग ! तुम्हें जितने की वृद्धि चाहिए उतनी तुम मेरे वेतन से ले लेना बाबा !


... आगे मुझे कभी ऐसा मत कहना ... अगर मुझे तुम्हारी चूत नहीं मिली तो मैं पागल हो जाऊंगा ... !




फ़िर मैंने सोचा- चलो अब तो मैं बहुत कुछ ले सकती हूँ इससे ..

फ़िर उसके बालों को पकड़ कर मैंने अपने मुंह की तरफ़ खींचा और चूसने लगी उसके होठों को ..

वो समझ गया कि मैं मान गई हूँ ... उसने तुंरत खड़ा होकर मेरा तौलिया खींच दिया।
 

Popular Posts