दीदी की ससुराल

Saturday, April 27, 2013


आज से तीन महीने पहले घटी है। मैं कॉलेज में प्रथम वर्ष का छात्र हूँ और जब मेरे प्रथम सेमेस्टर की परीक्षा खत्म हुई तो मैं 15-20 दिन के लिए फ्री हो गया, तो मैंने छुट्टियों में इंदौर जाने का फ़ैसला किया जहाँ मेरी बड़ी दीदी रहती हैं। उनकी शादी आज से दो साल पहले हो गई थी और अब वो इंदौर में ही रहती हैं। मेरी दीदी का नाम आरती, उम्र 23 साल है, उनका रंग गोरा और उनका फीगर एकदम मस्त है, पर मैंने अपनी दीदी को चोदने के बारे में कभी नहीं सोचा, हम दोनों का रिश्ता हमेशा से ही भाई-बहन तक सीमित रहा है।
तो मैंने दीदी की ससुराल जाने का और वहाँ एक सप्ताह रहने का प्लान बना लिया, मैं इंदौर के लिए सुबह घर से निकल गया और ट्रेन से दो बजे तक इंदौर पहुँच गया, वहाँ जीजाजी मुझे लेने पहुँच गए और हम आधे घंटे में दीदी के ससुराल पहुँच गए।
दीदी ने मुझे देखते ही गले लगा लिया क्योंकि हम बहुत समय बाद मिल रहे थे। दीदी को देख कर तो मेरे होश ही उड़ गए, वो पहले से भी ज्यादा सुडोल और फूली हुई लग रही थी और उनके स्तन पहले से कहीं ज्यादा बड़े लग रहे थे, उस समय मुझे दीदी को देख कर उन्हें चोदने का मन करने लगा। इन सबके बाद मैंने घर पर खाना खाया और सभी घर वालों से बात करने लगा पर दीदी ने मुझे टोक कर कहा- तुम थक गए होगे इसलिए थोड़ा आराम कर लो !
और मैं भी सोने के लिए चला गया। मैं चार बजे सोया और शाम को सात बजे उठ गया, मैंने उठने के बाद थोड़ी देर टी.वी. देखा और नौ बजे तक डिनर का वक्त हो गया। हम सभी ने खाना खाया और बात करने लगे। यह सब होते-होते 11 बज गए और सबका सोने का समय हो गया।
दीदी को पता था कि मैं थोड़े शर्मीले स्वभाव का हूँ इसलिए दीदी ने मुझे अपने साथ सोने को कहा।
यह सुन कर तो मेर पप्पू फुंफ़कारें मारने लगा। जीजाजी भी यह कह कर राजी हो गए की दोनों भाई-बहन बहुत दिनों बाद मिले है, तो इन दोनों को बहुत सारी बातें करने होगी। ये सब बातें होने के बाद सभी अपने-अपने कमरों में सोने चले गए। दीदी के सास-ससुर एक कमरे में, देवर एक कमरे में और जीजाजी जी अलग कमरे में और दीदी वाले कमरे में दीदी, मैं और उनकी एक साल की बच्ची जिसका नाम कृति है सोने के लिए गए।
दीदी के कमरे में जाने के बाद मैंने देखा कि वहाँ सिंगल बेड ही था पर मैंने सोचा कि इसमें मेरा ही फायदा है, दीदी ने लाल रंग की साड़ी पहनी हुई थी पर मुझे पता था कि दीदी मेक्सी पहन कर सोती है। इसके बाद दीदी ने बाथरूम में जाकर काले रंग की मेक्सी पहन ली, इसमें वो और भी सेक्सी लग रही थी, उनके स्तनों का आकार साफ़ दिखाई दे रहा था और मैं उन्हें ही घूर रहा था।
इसके बाद बेड की बाईं ओर दीदी लेट गई, दाईं तरफ मैं और बीच में मेरी एक साल की भांजी कृति लेट गए। यह देख कर मैं निराश हो गया क्योंकि मैं दीदी के साथ सोना चाहता था। दीदी कृति को सुलाने के लिए उसे अपने दायें स्तन से दूध पिलाने लगी और स्तनों के ऊपर दुपट्टा डाल लिया और दीदी मुझसे बात भी कर रही थी। मैं बीच-बीच में चुपके से दीदी के स्तनों को दुपट्टे के ऊपर से ही निहारने की कोशिश भी कर रहा था और शायद दीदी ने मुझे यह करते हुए देख भी लिया था।
मैं केवल अंडरवियर और बनियान में ही सोता हूँ तो उस दिन भी मैं वैसे ही सो रहा था और मैंने एक चादर ओढ़ रखी थी। यह कहानी आप अन्तर्वासना.कॉंम पर पढ़ रहे हैं।
बातें करते करते हमें साढ़े बारह बज गए और कृति भी सो चुकी थी इसलिए हम भी सोने लगे लेकिन मैं अभी भी दीदी को चोदने के बारे में ही सोच रहा था। पर मेरे और दीदी के बीच में कृति आ रही थी तो मैंने सोचा कि आज तो कुछ नहीं हो सकता।
और मैं भी सोने लगा पर भगवान को तो यह मंजूर नहीं था इसलिए लगभग आधे घंटे बाद कृति की नींद खुल गई और इससे दीदी की भी नींद खुल गई और दीदी उसे चुप कराने लग गई पर उसके चुप न होने पर दीदी ने उसे दूध पिलाने की सोची। क्योंकि दीदी ने पहले उसे अपने दायें स्तन से दूध पिलाया था इसलिए उसे अपने बायें स्तन से दूध पिलाने के लिए दीदी बीच में आ गईंऔर कृति को बेड की बाईं तरफ सुला दिया और दूध पिलाने लगी।
यह सब देख मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया। थोड़ी देर बाद कृति फिर से सो गई और दीदी की भी नींद लग गई। दीदी अपनी गांड मेरी तरफ करके सोयी हुई थी और जैसा कि मैंने बताया था कि हम सिंगल बेड पर थे इसलिए जगह भी कम थी तो मैं थोड़ा दीदी की तरफ सरक गया। अब मेरा लंड जो पहले से ही खड़ा हुआ था, अब मेरी दीदी की गांड से छूने होने लगा था, मुझे इसमें बहुत मजा आ रहा था, मैंने अपना लंड अंडरवियर के बाहर निकाल लिया और दीदी की मेक्सी के ऊपर से ही धीरे-धीरे उनकी गांड मारने लगा।
अभी तक दीदी की नींद नहीं खुली थी तो मेरी हिम्मत और बढ़ गई और अब मैंने पीछे से दीदी के कंधे पर हाथ रखकर उन्हें सीधा लेटा दिया, दीदी ने थोड़ी बहुत हलचल की पर वो अभी भी नींद में ही थी। दीदी का एक स्तन अभी भी बाहर ही था क्योंकि उन्होंने कृति को दूध पिलाने के बाद उसे अन्दर नहीं किया था।
यह देखकर मैंने अपना एक हाथ धीरे से उनके खुले स्तन पर रख दिया और उसे सहलाने लगा और साथ में उसे दबाने भी लगा। फिर मैंने दीदी की मेक्सी के सारे बटन खोल दिए और मुझे उनकी ब्रा दिखने लगी, मैं ब्रा के ऊपर से ही दीदी के चूचों को मसल रहा था और दीदी अभी भी सोयी हुई थी तो मैंने अपना एक हाथ दीदी की जांघ पर रख दिया और उसे ऊपर से ही सहलाने लगा। फिर मैंने धीरे-धीरे अपना हाथ दीदी की चूत के ऊपर रख दिया और मेक्सी के ऊपर से ही चूत की दरार में अपनी उंगलियाँ फेरने लगा।
थोड़ी देर बाद दीदी मुझे कुछ कसमसाती लगी, मुझे लगा कि दीदी की नींद खुल गई, इसलिए मैंने जल्दी से अपना हाथ हटा लिया और बिल्कुल भी नहीं हिला। लेकिन दीदी का कोई भी विरोध न करने पर मेरी हिम्मत बढ़ गई पर मेरे हाथ-पैर कांप भी रहे थे, लेकिन मैंने हिम्मत करके फिर से दीदी की चूत पर हाथ रख दिया और उसे जोर-जोर से मसलने लगा और अब शायद दीदी भी जग चुकी थी, दीदी ने थोड़ी देर बाद अपनी आँखें खोल ली और उनके कुछ कहने से पहले मैंने अपने होंठ उनके होंठों से मिला दिए और उन्होंने भी मेरा कोई विरोध न करते हुए मेरा साथ दिया।
पांच मिनट तक हम दोनों ने एक दूसरे को चूमते रहे और इसके बाद दीदी ने मेरा लंड अपने हाथ में पकड़ लिया और उसे हिलाने लगी।
मैंने भी दीदी की मेक्सी ऊपर करके उनकी जांघों से होता हुआ उनकी चूत पर पहुँच गया और सहलाने लगा। दीदी की पेंटी पूरी गीली हो चुकी थी तो मैंने पहले दीदी को उनकी मेक्सी उतारने को कहा और अब वो मेरे सामने सिर्फ ब्रा और पेंटी में थी, उनका बदन एकदम दूध जैसा गोरा था, उनके स्तन काफी कड़े हो चुके थे। मैंने उनकी ब्रा भी उतार फेंकी, उनके स्तन बहुत बड़े थे और मैं पहली बार इतने पास से किसी औरत के स्तन देख रहा था।
मैंने स्तनों को बहुत चूसा और फिर दीदी की पेंटी उतार दी। उनकी चूत को देख कर मैं हैरान रह गया, उनकी चूत पर छोटे-छोटे बाल थे जो उसकी शोभा बढ़ा रहे थे। फिर मैंने जल्दी से अपने कपड़े उतारकर उनकी टाँगें चौड़ी कर दी। दीदी की चूत के दोनों होंठ बिल्कुल गुलाबी थे।
जैसे ही मैंने उनकी चूत पर अपना हाथ रखा, मुझे अपने हाथ में असीम गर्माहट का एहसास हुआ और दीदी भी बहुत गर्म हो चुकी थी और आ आ आ ऊ ऊ ऊ के स्वर निकाल रही थी। इसे सुनकर मैं और भी उत्तेजित हो रहा था।
इसके बाद हम दोनों 69 की अवस्था में आ गए और मैं उनकी चूत चाट रहा था जबकि वो मेरे लंड को बड़े चाव से चूस रही थी।
लगभग 15 मिनट चूसने के बाद दीदी बोली- वरुण, अब नहीं रुका जाता, जल्दी से अपना लंड मेरी चूत में डाल दे।
फिर मैंने दीदी की दोनों टांगों को अपने कंधों पर रखा और अपने लंड के सुपारे को दीदी की चूत पर रखकर जोर का धक्का लगाया और मेरा आधा लंड दीदी की चूत में चला गया।
दीदी अपने मुख से कामुक आवाजें निकाल रही थी और कह रही थी- फाड़ दे आज मेरी चूत ! और जोर से ! और जोर से।
इसके बाद मैंने अपने धक्कों की रफ़्तार और बढ़ा दी और करीब दस मिनट हिलने के बाद मैं झड़ गया और दीदी के ऊपर ही लेट गया।
पर मैं कहाँ अभी मानने वाला था, लगभग 15 मिनट बाद मैं फिर से दीदी को चोदने के लिए तैयार हो गया और इस बार मैंने दीदी को अलग प्रकार से चोदा। इस वाले दौर में दीदी भी झड़ गई। बाद में दीदी ने मेरा पूरा लंड चाट कर साफ़ कर दिया।
उस रात दीदी को मैंने दो बार और चोदा और जब तक मैं दीदी की ससुराल में रहा, मैंने दीदी को खूब चोदा और उनकी गांड भी मारी।
फिर मैं भोपाल वापस आ गया और अब दीदी से फ़ोन पर ही सेक्स की बातें होती हैं। उसके बाद से मैंने अभी तक किसी और लड़की की चूत नहीं मारी पर मैं इधर से उधर चूत मारने के लिए लड़कियों को ढूंढता फिरता हूँ।

भारती दीदी

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पूजा दीदी की सील

घर में बहुत काम रहता था ! शादी की तैयारियाँ जोरों से चल रही थी। पूजा मुझसे बड़ी थी इसलिए मैं उसे पूजा दीदी कह कर बुलाता था। पूजा दिखने में तो जैसे परी थी ! गोरा रंग, गोल-गोल मम्मे और स्लिम फिगर !
जो उसे देखता, बस देखता ही रह जाता था ! पूजा बहुत ही देसी लड़की थी लेकिन बिना कोई फ़ैशन किये भी वो हिरोइन लगती थी !
पूजा मेरे साथ बहुत ही घुलमिल कर रहती थी ! हम दोनों अक्सर देर रात तक अकेले गप्पें मारते रहते !
पूजा दीदी के बारे में अपने दिल की एक बात बताऊँ ! तो वो मुझे बहुत अच्छी लगती थी पर उसे कभी गलत विचार से नहीं देखा था मैंने !
एक दिन अचानक नानाजी की तबियत बहुत ख़राब हो गई! उन्हें चंडीगढ़ पी जी आई ले जाना पड़ा ! घर में पूजा अकेली रह रही थी ! मामा जी ने मुझे भी पूजा के साथ रुकने को कहा, वे बोले- रणबीर बेटे, हम तेरे नानाजी को चंडीगढ़ ले जाते हैं, तू पूजा बेटी के साथ घर में रह !
मैंने कहा- ठीक है मामा जी ! आप निश्चिन्त रहें !
अब हम दोनों भाई बहनों को कोई काम तो था नहीं, तो तय हुआ कि मूवी देखते हैं।
टेलीविज़न ओन किया तो बेकार बेकार फिल्म चल रही थी !
मैंने कहा- दीदी इंग्लिश फिल्म देखते हैं, हिंदी तो सारी बेकार आ रही हैं !
पूजा दीदी बोली- जैसा तुम्हें अच्छा लगे, लगा लो।
मैंने जी इंग्लिश ओन किया ! वहाँ जो मूवी लगी हुई थी उसमें चुम्बन-दृश्य चल रहा था! मुझे शर्म सी आने लगी क्योंकि दीदी से मैं कभी ऐसी वैसी बात नही करता था और मैंने झट से चैनल बदल दिया !
दीदी बोली- वही पीछे वाला चैनल लगा ! मुझे देखना है कि वो कैसे कर रहे हैं !
मैंने कहा- दीदी, यह इंग्लिश फिल्मों में होता है !
वो बोली- तुम लगाओ तो सही !
मैंने फिर से वही चैनल लगा दिया ! इतने में फिल्म में नायक-नायिका एक दूसरे को चाटने लगे और कपड़े खोल कर चूमने लगे ! इसके बाद सीन फ्लशबैक में चला गया !
दीदी बोली- यह सब कैसे करते होंगे ये लोग सबके सामने?
मैं बोला- आजकल तो यह सब भारत में भी होने लगा है !
दीदी बोली- एक बात पूछूं?
मैंने कहा- पूछो !
दीदी बोली- तुम मुझे किस करोगे क्या? मुझे भी देखना है कि किस करके कैसा लगता है !
मेरे तो जैसे होश उड़ गये ! पर मैं मुस्कुराने लगा और बोला- दीदी, मैंने कभी किस नही किया, मुझे नहीं पता कि किस कैसे करते हैं।
दीदी बोली- मुझे भी नहीं पता, आज देखते हैं करके !
मैं दीदी के पास जाकर बैठ गया ! दीदी ने मुझे अपनी बाँहों में ले लिया ! वैसा ही सीन बन गया जैसे कि फिल्म में चल रहा था ! मैंने भी दीदी को बाँहों में ले लिया और उसके होंठों को चूमने लगा ! लगभग 5 मिनट तक हम एक दूसरे को चूमते रहे !
एकदम दीदी बोली- रणबीर, अब बस करो ! मुझे कुछ अजीब सा लग रहा है।
मैं समझ गया कि दीदी गर्म होने लगी है, मैंने कहा- दीदी, मुझे आपसे किस करके बहुत अच्छा लग रहा है ! और करूँ ?
वो कुछ नहीं बोली ! मैंने फिर से उसे चूमना शुरू कर दिया ! मैं समझ गया कि वो चुदवाने के मूड में है। मैंने हिम्मत करके अपना एक हाथ उसके मम्मों पर रख दिया !
वो कुछ नहीं बोली तो मेरी हिम्मत और भी बढ़ गई ! मैं उसके दोनों मम्मे दबाने लगा ! उसके मुंह से सिसकारियाँ निकलने लगी !
मैंने धीरे से दीदी की कुर्ती ऊपर उठाई और मम्मे चूसने लगा !
दीदी के कुछ भी न बोलने पर मैंने कहा- दीदी, यह कुर्ती उतार दो न प्लीज़ !
वो बोली- रणबीर मुझे डर लग रहा है, किसी को पता चल गया तो?
मैं बोला- दीदी कुछ नहीं होगा, किसी को पता नहीं चलेगा।
वो मान गई !
उसके मम्मों के बारे में क्या बताऊँ ! एकदम गोल और दूध की तरह सफ़ेद ! मैं उसके मम्मे चूस रहा था और वो सिसकारियाँ ले रही थी !
मैंने अपना हाथ उसकी सलवार में डाला तो उसकी फुद्दी एकदम गीली हो चुकी थी ! मैंने धीरे से उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया तो वो बोली- देख रणबीर, हम जो कर रहे हैं, यह गलत है। अब बस करो !
मैं बोला- दीदी, जब हमने इतना कुछ कर लिया तो अब गलत-सही की बात क्या रह गई?
दीदी बोली- रणबीर, ठीक है ! लकिन यह बात किसी को पता नहीं लगनी चाहिए।
अब दीदी मेरे सामने बिल्कुल नंगी पड़ी थी ! लगभग 15 मिनट की चूमाचाटी के बाद मैंने अपनी पैंट उतारी और अपना छः इंच का लन निकाला तो वो बोली- इतना बड़ा होता है लड़कों का लन?
मैंने कहा- इसे तुम्हारी फुद्दी में डालूंगा।
दीदी बोली- बाप रे ! मुझे मारना है क्या !!??
मैं बोला- तुम एक बार डलवाओ तो सही, तुम्हें पता भी नहीं चलेगा कि यह कहाँ गया।
वो हंसने लगी और मेरे लन को हाथ में पकड़ कर सहलाने लगी !
मैंने दीदी को सोफे पर लिटाया और अपना लंड उसकी फुद्दी में पेलने लगा ! वो दर्द से चिल्लाने लगी ! मैं जोर से झटके मारने लगा।
दीदी बोली- बस कर, बहुत दर्द हो रहा है।
लेकिन मैं कहाँ सुनने वाला था ! अभी 2-3 मिनट हुए थे कि मेरा सारा जोश दीदी की फुद्दी में निकल गया ! मैं हांफता हुआ दीदी के ऊपर गिर गया !
दीदी की सील टूट गई थी !
जब एक मिनट के बाद मैं उठा तो देखा दीदी कि फुद्दी से खून निकल रहा है !
दीदी बोली- तूने तो मार ही दिया था आज मुझे ! देख कितना खून निकल रहा है !
मैं बोला- दीदी, पहली बार ऐसा होता है, फिर सब ठीक हो जाता है। आओ, फिर से करते हैं ! इस बार तुम्हें बहुत मजा आएगा क्योंकि मैंने भी पहली बार किया, इसलिए जल्दी हो गया।
लेकिन पूजा दीदी मना करने लगी। लेकिन थोड़ी देर में मैंने उसे फिर से मना लिया ! अब दूसरी बार हम फिर सेक्स के लिए तैयार थे।
इस बार मैंने जल्दी नहीं की और आराम से उसे चोदने लगा। दूसरी चुदाई लगभग दो घंटे तक चली। इस बार पूजा दीदी को भी बहुत मज़ा आया। दीदी की फुद्दी से बहुत खून भी निकला बाद में, लेकिन सुबह तक सब सामान्य हो गया।
दूसरे दिन हम दोनों ने फिर चुदाई कि ! लेकिन उसके बाद कभी मौका नहीं मिला। दो महीने बाद दीदी की शादी हो गई। वो अब भी मुझे बहुत याद करती है !
 

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