शादीशुदा चचेरी बहन - Hindi sex story

Wednesday, November 12, 2014

मैं गर्मी की छुट्टियों में मुम्बई गया था। मुम्बई में मेरी चाची रहती हैं। वह वहाँ पर चेम्बुर में रहती हैं। मैं जब मुम्बई गया था तब चाची के पास मेरी चचेरी बहन भी आई हुई थी। उसका नाम रीना है। उसकी शादी हो चुकी है। उसकी उम्र चौबीस वर्ष की है। वो दिखने में बहुत ही सेक्सी है। उसके कपड़े पहनने के ढंग और रहन-सहन भी बहुत सेक्सी हैं। उसे कोई भी देखे तो उसका लण्ड खड़ा होना ही होना है।
एक दिन चाची को गाँव जाना पड़ा। वह गाँव चली गई। घर पर मैं और रीना दीदी दोनों ही थे। उस दिन शाम को मैं बोर हो गया था, इसलिए मैंने दीदी से कहा,"क्यों ना फिल्म देखने चलते हैं।" वह भी राजी हो गई, और हम फिल्म देखने चले गए। उस दिन हमने मर्डर फिल्म देखी। फिल्म में काफी गरम दृश्य थे। फिल्म देखने के बाद हम घर आए। हमने रात का खाना खाया। रात काफ़ी हो चुकी थी।
आपको तो पता ही होगा, मुम्बई में घर बहुत छोटे होते हैं। उस पर मेरी चाची एक कमरे के घर में रहती हैं। वहाँ सिर्फ एक ही बिस्तर के बाद, थोड़ी और जगह बचती थी। अब हमें सोना था। सो मैंने अपनी लुँगी ली और दीदी के सामने ही अपने कपड़े बदलने लगा। मैंने मेरी शर्ट खोली, बाद में पैन्ट भी। मेरे सामने अब भी मर्डर फिल्म के दृश्य घूम रहे थे, इसलिए मेरे लंड खड़ा था। वो अण्डरवियर में तम्बू बना रहा था। मेरे पैन्ट निकालने के बाद मेरे लण्ड की तरफ़ दीदी की नज़र गई, वह यह देखकर मुस्कुराई। मैंने नीचे देखा तो मेरे अण्डरवियर में बहुत बड़ा टेन्ट बना हुआ था। मैं शरमाया और मैंने मेरा मुँह दूसरी ओर घुमा लिया, फिर लुँगी बाँध ली।
पर लुँगी के बावज़ूद मेरे लंड का आकार नज़र आ रहा था। उस हालत में मैं कुछ भी नहीं कर सकता था। फिर मैंने यह भी सोचा कि दीदी यह सब देखकर मुस्कुरा रही है, उसे शर्म नहीं आ रही है, तो फिर मैं क्यों शरमाऊँ?
मैं बिस्तर पर जाकर सो गया। फिर दीदी ने आलमारी से अपनी नाईटी निकाली और कमरे का दरवाज़ा बन्द कर लिया, उसने साड़ी उतारी। वाऊ... क्या बद़न था। वह देखकर तो मैं पागल ही हो गया और मेरा लंड उछाल मारने लगा। उसने अपनी ब्लाऊज़ निकाली और बाद में अपनी पेटीकोट भी निकाल दी। वह मेरे सामने सिर्फ ब्रा और पैन्टी में खड़ी थी। उसे उस हालत में देखकर तो मैं पागल ही हो रहा था। लेकिन वह मेरी दीदी थी, इसलिए नियंत्रण कर रहा था। मुझे डर भी लग रहा था कि मैं कुछ कर ना बैठूँ और दीदी को गुस्सा आ गया तो मेरी तो शामत आ जाएगी। उसने नाईटी पहन ली। उसकी नाईटी पारदर्शी थी, जिसमें से उसका सारा जिस्म नज़र आ रहा था।
वह मेरे पास आकर सो गई। हम दोनों एक ही बिस्तर पर सोए थे। लेकिन उस रात मुझे नींद नहीं आ रही थी। मेरे सामने उसका नंगा जिस्म घूम रहा था। और उसके मेरे पास सोने के कारण मेरा तनाव और बढ़ा हुआ था। लेकिन कुछ करने की हिम्मत भी नहीं हो रही थी।
आधे घंटे तक तो मैं वैसे ही तड़पता रहा। लेकिन बाद में मैंने सोचा कि ऐसा मौक़ा बार-बार नहीं आने वाला। अगर तूने कुछ नहीं किया तो हाथ से निकल जाएगा। मैंने सोच लिया थोड़ा रिस्क लेने में क्या हर्ज़ है। और मैं थोड़ा सा दीदी की ओर सरक गया। दीदी मेरी विपरीत दिशा में मुँह करके सोई थी। मैंने मेरा हाथ उनके बदन पर डाला। मेरा हाथ दीदी के पेट पर था। मैंने धीरे-धीरे मेरा हाथ उनके पेट पर घुमाना चालू किया। थोड़ी देर बाद मैंने अपना हाथ उनकी चूचियों पर रखा। उसकी चूचियाँ काफ़ी बड़ी और नरम थीं। मैंने उसकी चूचियाँ धीरे-धीरे दबानी चालू कीं। उसने कुछ भी नहीं कहा, ना ही कोई हरक़त की। मेरी हिम्मत काफ़ी बढ़ गई। मैंने अपने लंड को उसके चूतड़ पर दबाया और उसे अपनी ओर खींचा और फिर धीरे-धीरे मैं अपना लंड उसके दोनों चूतड़ों के बीच की दरार में दबाने लगा। वह मेरी ओर घूम गई। मेरी तो डर के मारे गाँड ही फट गई।
लेकिन वह भी मेरी ओर सरकी, तो मेरा लंड उसकी चूत पर दब रहा था और उसकी चूचियाँ मेरी छाती पर। मैं समझ गया कि वह सो नहीं रही थी, बस सोने का नाटक कर रही थी और वह भी चुदवाना चाहती है। अब तो मेरे जोश की कोई सीमा ही नहीं थी। मैंने उसे मेरी ओर फिर से खींचा, तो वह मुझसे थोड़ा दूर सरक गई। मैं डर गया, और चुपचाप वैसे ही पड़ा रहा।
थोड़ी ही देर बाद उसने अपना हाथ मेरे लंड पर रख दिया और मसलने लगी। मैं बहुत खुश हुआ। उसने अपने हाथों से मेरी लुंगी निकाल दी और अण्डरवियर भी, और मेरे लंड को मसलने लगी। फिर उसने मेरे कान में कहा,"वीजू, तुम्हारा लंड तो बहुत बड़ा है। तुम्हारे जीजू का तो बहुत छोटा है।"
मैंने भी दीदी की नाईटी निकाल दी और उनको पूरा नंगा कर दिया। फिर मैं उनके ऊपर लेट कर उन्हें चूमने लगा। मैं उनके पूरे बदन को चूम रहा था। वह सिसकियाँ भर रही थी। मैं उसे चूमते-चूमते उसकी चूत तक चला गया और उसकी चूत पर अपने होंठ रख दिए। उसके मुँह से सीत्कार निकल गई। फिर मैंने उसकी चूत में अपनी जीभ डालनी शुरु की, वह अपने चूतड़ उठाकर मुझे प्रतिक्रिया दे रही थी।
मेरा लंड अब लोहे जैसा गरम हो गया था। मैं उठा और उसकी छाती पर बैठ गया और मैंने लंड उसके मुँह में डाल दिया। वह भी मेरा लंड बड़े मज़े से चूसने लगी। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। मैंने बाद में अपना लण्ड उसकी दोनों चूचियों के बीच में डाला और उसे आगे-पीछे करने लगा। वाऊ... क्या चूचियाँ थीं उसकी, मैं तो पागल हुआ जा रहा था। थोड़ी देर बाद उसने कहा,"वीजू, प्लीज़, अब रहा नहीं जाता, लंड मेरी चूत में डाल दो और मुझे चोदो।" मैं उसके ऊपर फिर से लेट गया और मैंने मेरा लंड हाथ में पकड़ कर उसकी चूत के ऊपर रखा और एक ज़ोर का झटका दिया तो मेरा आधा लण्ड उसकी चूत में घुस गया।
मैंने दीदी से पूछा,"दीदी, तुम तो कह रही थी कि जीजू का लण्ड मेरे लण्ड से काफी छोटा है, तो तुम्हारी चूत इतनी ढीली? एक ही झटके में आधा लण्ड अन्दर चला गया।"
इस पर वह मुस्कुराई और बोली,"अरे वीजू, तुम्हारे जीजू का लण्ड छोटा तो है, पर मेरी चूत ने अब तक बहुत से लण्ड का पानी चखा है।"
फिर मैंने दूसरा झटका दिया और मेरा पूरा लण्ड उसकी चूत में चला गया। फिर मैंने उसकी चुदाई शुरु कर दी। वह भी अपनी कमर उठाकर मेरा साथ दे रही थी. उसके मुँह से आवाज़ें निकल रही थीं। वह कह रही थी,"वीजू... चोदोओओओ... और ज़ोर से चोदोओओओओ... अपनी दीदी की चूत आज फाआआआड़ डालो... ओह.. वीजू... डालो और ज़ोर से और अन्दर डालो..... बहुत मज़ा आ रहा है।"
उसकी ये बातें सुनकर मेरा जोश और भी बढ़ जाता और मेरी रफ़्तार भी बढ़ती जा रही थी। फिर मैं झड़ गया और वैसे ही उसके बदन पर सो गया और उसकी चूचियों के साथ खेलने लगा। उस रात मैंने दीदी की ख़ूब चुदाई की।

नितंब चुदाई चे महत्व

Tuesday, November 11, 2014

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बायकोच्या तोंडामध्ये लंड

माझे लग्न सानिका नावाच्या मुलीबरोबर झाले होते. माझ्या आणि सानिकाच्या लग्नाला आता एक वर्ष पूर्ण होणार होते. सानिकाचे माझ्यावर खूप प्रेम होते. सानिका ही दिसायला सुंदर होती. आमची सेक्सलाईफ सुद्धा खूप छान होती. संभोग करताना सानिकाला मी वेगवेगळ्या पोजमध्ये झवत होतो. सानिकाला ते खूप आवडायचे. आम्हाला संभोग करताना वेगवेगळे प्रयोग करायला खूप आवडत होते. पहिल्यांदा सानिका माझा लंड तोंडामध्ये घ्यायला नाही म्हणायची पण एकदा मी जबरदस्तीने तिच्या तोंडामध्ये लंड घातला आणि तिला त्याची चव खूप आवडली तेव्हापासून ती पहिल्यांदा लंड तोंडामध्ये घेते बाकीचे नंतर. आमच्या लग्नाचा पहिला वाढदिवस मी जोरात पार्टी करून करायचा असे ठरवले होते. वाढदिवसाच्या आधी दोन दिवस सानिका माहेरी गेली होती पण वाढदिवसादिवशी ती सकाळी लवकर सात वाजता घरी आली.

सानिका आली त्यावेळी मी झोपलो होतो. ती हळूच माझ्या बेडरूम मध्ये आली आणि तिने मला एक छानसा किस करून मला जागे केले आणि विश केले. मी पण सानिकाला माझ्या जवळ ओढेले आणि तिच्या ओठांचा एक खूप वेळ किस घेतला. माझे हात तिच्या छातीवर घेऊन गेलो आणि तिचे बॉल दाबू लागलो. सानिका ने माझा हात झटकला आणि तिथून बाजूला गेली आणि आत्ता नाही संध्याकाळी असे म्हणाली. मी तिला संध्याकाळी काय विशेष आहे का असे विचारले. सानिकाने मला ते सरप्राईज आहे असे सांगितले आणि तिथून निघून गेली. संद्याकाळी आमची पार्टी सुरु झाली. सानिकाने एक मस्त अशी मरून कलरची साडी घातली होती आणि ती त्यामध्ये खूपच सुंदर दिसत होती. काही मोजकेच दिवस सोडले तरी पूर्ण एक वर्ष मी तिला दररोज झवत होतो तरी पण मला तिला आत्ताच झवायची इच्छा होत होती. तिला झवायचा मला कंटाळाच येत नव्हता. त्याचे कारण म्हणजे तीसुद्धा तशी होती म्हणून. मी पार्टी संपायची वाट बघत होतो. कारण ती मला आज संध्याकाळी काय सरप्राईज देणार असेल याचा विचार करत होतो.

रात्री दहा वाजता आमची पार्टी संपली आणि आम्ही दोघेही बेडरूममध्ये गेलो. बेडरूममध्ये जाताच मी सानिकाला जवळ ओढून घेतले आणि तिला किस करायला सुरवात केली. पण तिने मला लांब ढकलले आणि आत्ता नाही अजून सरप्राईज बाकी आहे असे सांगून बाथरूम मध्ये गेली. बाथरूम मधून बाहेर येताना सानिकाच्या अंगावर फक्त टॉवेल होता. त्यानंतर तिने बेड खालून एक पेस्ट्री केकचा बॉक्स बाहेर काढला आणि आपण केक कापून आपलं सेलिब्रेशन करू असे म्हणाली. मी पण पटकन फ्रेश व्हायला बाथरूममध्ये गेलो आणि परत येऊन पाहतो तर काय. सानिकाने सर्व अंगाला केक फासला होता. तिच्या तोंडामध्ये तिने मेणबत्ती धरली होती. मी काय ते ओळखले आणि तिच्या तोंडामध्ये असणारी मेणबत्ती विझवली आणि काढून टाकली आणि तिच्या तोंडामध्ये तोंड घालून तिला किस करायला सुरवात केली. सानिकाने आधीच एक चेरी तिच्या तोंडामध्ये ठेवली होती. सानिकाला किस करताना तिने तिच्या तोंडामध्ये असलेली चेरी जिभेने माझ्या तोंडामध्ये ढकलली.

मी तिच्या अंगावर तिने फासलेली पेस्ट्री चाटू लागलो. आज तिचे सगळे अंग गोड लागत होते. मी तिचे बॉल चोखू लागलो. पेस्ट्रीमुळे सानिकाच्या बॉलला वेगळीच चव आली होती. तिचे निपल्स चिकट आणि तेलकट झाल्यामुळे ओठांच्या चीमठीमधून निसटत होते. थोड्या वेळाने सानिकाने पेस्ट्री केक माझ्या लवड्यावर लावला आणि माझा लवडा तोंडामध्ये घेऊन तो आत बाहेर करू लागली. आम्ही दोघेही जमिनीवर उलटे सुलटे झोपलो होतो. सानिका माझा लंड तोंडामध्ये घेऊन चोखत होती तर मी तिच्या पुच्चीवरचा केक चाटून पुसून खात होतो. सानिकाच्या पुच्चीमध्ये आतपर्यंत केकचा स्वाद येत होता. अशाप्रकारे आमचे वेगळ्या प्रकारचे सेलिब्रेशन चालू होते.
 

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