Bhai Ki Patni Bani

Friday, August 2, 2013

दीदी की ससुराल

आज से तीन महीने पहले घटी है। मैं कॉलेज में प्रथम वर्ष का छात्र हूँ और जब मेरे प्रथम सेमेस्टर की परीक्षा खत्म हुई तो मैं 15-20 दिन के लिए फ्री हो गया, तो मैंने छुट्टियों में इंदौर जाने का फ़ैसला किया जहाँ मेरी बड़ी दीदी रहती हैं। उनकी शादी आज से दो साल पहले हो गई थी और अब वो इंदौर में ही रहती हैं। मेरी दीदी का नाम आरती, उम्र 23 साल है, उनका रंग गोरा और उनका फीगर एकदम मस्त है, पर मैंने अपनी दीदी को चोदने के बारे में कभी नहीं सोचा, हम दोनों का रिश्ता हमेशा से ही भाई-बहन तक सीमित रहा है।
तो मैंने दीदी की ससुराल जाने का और वहाँ एक सप्ताह रहने का प्लान बना लिया, मैं इंदौर के लिए सुबह घर से निकल गया और ट्रेन से दो बजे तक इंदौर पहुँच गया, वहाँ जीजाजी मुझे लेने पहुँच गए और हम आधे घंटे में दीदी के ससुराल पहुँच गए।
दीदी ने मुझे देखते ही गले लगा लिया क्योंकि हम बहुत समय बाद मिल रहे थे। दीदी को देख कर तो मेरे होश ही उड़ गए, वो पहले से भी ज्यादा सुडोल और फूली हुई लग रही थी और उनके स्तन पहले से कहीं ज्यादा बड़े लग रहे थे, उस समय मुझे दीदी को देख कर उन्हें चोदने का मन करने लगा। इन सबके बाद मैंने घर पर खाना खाया और सभी घर वालों से बात करने लगा पर दीदी ने मुझे टोक कर कहा- तुम थक गए होगे इसलिए थोड़ा आराम कर लो !
और मैं भी सोने के लिए चला गया। मैं चार बजे सोया और शाम को सात बजे उठ गया, मैंने उठने के बाद थोड़ी देर टी.वी. देखा और नौ बजे तक डिनर का वक्त हो गया। हम सभी ने खाना खाया और बात करने लगे। यह सब होते-होते 11 बज गए और सबका सोने का समय हो गया।
दीदी को पता था कि मैं थोड़े शर्मीले स्वभाव का हूँ इसलिए दीदी ने मुझे अपने साथ सोने को कहा।
यह सुन कर तो मेर पप्पू फुंफ़कारें मारने लगा। जीजाजी भी यह कह कर राजी हो गए की दोनों भाई-बहन बहुत दिनों बाद मिले है, तो इन दोनों को बहुत सारी बातें करने होगी। ये सब बातें होने के बाद सभी अपने-अपने कमरों में सोने चले गए। दीदी के सास-ससुर एक कमरे में, देवर एक कमरे में और जीजाजी जी अलग कमरे में और दीदी वाले कमरे में दीदी, मैं और उनकी एक साल की बच्ची जिसका नाम कृति है सोने के लिए गए।
दीदी के कमरे में जाने के बाद मैंने देखा कि वहाँ सिंगल बेड ही था पर मैंने सोचा कि इसमें मेरा ही फायदा है, दीदी ने लाल रंग की साड़ी पहनी हुई थी पर मुझे पता था कि दीदी मेक्सी पहन कर सोती है। इसके बाद दीदी ने बाथरूम में जाकर काले रंग की मेक्सी पहन ली, इसमें वो और भी सेक्सी लग रही थी, उनके स्तनों का आकार साफ़ दिखाई दे रहा था और मैं उन्हें ही घूर रहा था।
इसके बाद बेड की बाईं ओर दीदी लेट गई, दाईं तरफ मैं और बीच में मेरी एक साल की भांजी कृति लेट गए। यह देख कर मैं निराश हो गया क्योंकि मैं दीदी के साथ सोना चाहता था। दीदी कृति को सुलाने के लिए उसे अपने दायें स्तन से दूध पिलाने लगी और स्तनों के ऊपर दुपट्टा डाल लिया और दीदी मुझसे बात भी कर रही थी। मैं बीच-बीच में चुपके से दीदी के स्तनों को दुपट्टे के ऊपर से ही निहारने की कोशिश भी कर रहा था और शायद दीदी ने मुझे यह करते हुए देख भी लिया था।
मैं केवल अंडरवियर और बनियान में ही सोता हूँ तो उस दिन भी मैं वैसे ही सो रहा था और मैंने एक चादर ओढ़ रखी थी। यह कहानी आप अन्तर्वासना.कॉंम पर पढ़ रहे हैं।
बातें करते करते हमें साढ़े बारह बज गए और कृति भी सो चुकी थी इसलिए हम भी सोने लगे लेकिन मैं अभी भी दीदी को चोदने के बारे में ही सोच रहा था। पर मेरे और दीदी के बीच में कृति आ रही थी तो मैंने सोचा कि आज तो कुछ नहीं हो सकता।
और मैं भी सोने लगा पर भगवान को तो यह मंजूर नहीं था इसलिए लगभग आधे घंटे बाद कृति की नींद खुल गई और इससे दीदी की भी नींद खुल गई और दीदी उसे चुप कराने लग गई पर उसके चुप न होने पर दीदी ने उसे दूध पिलाने की सोची। क्योंकि दीदी ने पहले उसे अपने दायें स्तन से दूध पिलाया था इसलिए उसे अपने बायें स्तन से दूध पिलाने के लिए दीदी बीच में आ गईंऔर कृति को बेड की बाईं तरफ सुला दिया और दूध पिलाने लगी।
यह सब देख मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया। थोड़ी देर बाद कृति फिर से सो गई और दीदी की भी नींद लग गई। दीदी अपनी गांड मेरी तरफ करके सोयी हुई थी और जैसा कि मैंने बताया था कि हम सिंगल बेड पर थे इसलिए जगह भी कम थी तो मैं थोड़ा दीदी की तरफ सरक गया। अब मेरा लंड जो पहले से ही खड़ा हुआ था, अब मेरी दीदी की गांड से छूने होने लगा था, मुझे इसमें बहुत मजा आ रहा था, मैंने अपना लंड अंडरवियर के बाहर निकाल लिया और दीदी की मेक्सी के ऊपर से ही धीरे-धीरे उनकी गांड मारने लगा।
अभी तक दीदी की नींद नहीं खुली थी तो मेरी हिम्मत और बढ़ गई और अब मैंने पीछे से दीदी के कंधे पर हाथ रखकर उन्हें सीधा लेटा दिया, दीदी ने थोड़ी बहुत हलचल की पर वो अभी भी नींद में ही थी। दीदी का एक स्तन अभी भी बाहर ही था क्योंकि उन्होंने कृति को दूध पिलाने के बाद उसे अन्दर नहीं किया था।
यह देखकर मैंने अपना एक हाथ धीरे से उनके खुले स्तन पर रख दिया और उसे सहलाने लगा और साथ में उसे दबाने भी लगा। फिर मैंने दीदी की मेक्सी के सारे बटन खोल दिए और मुझे उनकी ब्रा दिखने लगी, मैं ब्रा के ऊपर से ही दीदी के चूचों को मसल रहा था और दीदी अभी भी सोयी हुई थी तो मैंने अपना एक हाथ दीदी की जांघ पर रख दिया और उसे ऊपर से ही सहलाने लगा। फिर मैंने धीरे-धीरे अपना हाथ दीदी की चूत के ऊपर रख दिया और मेक्सी के ऊपर से ही चूत की दरार में अपनी उंगलियाँ फेरने लगा।
थोड़ी देर बाद दीदी मुझे कुछ कसमसाती लगी, मुझे लगा कि दीदी की नींद खुल गई, इसलिए मैंने जल्दी से अपना हाथ हटा लिया और बिल्कुल भी नहीं हिला। लेकिन दीदी का कोई भी विरोध न करने पर मेरी हिम्मत बढ़ गई पर मेरे हाथ-पैर कांप भी रहे थे, लेकिन मैंने हिम्मत करके फिर से दीदी की चूत पर हाथ रख दिया और उसे जोर-जोर से मसलने लगा और अब शायद दीदी भी जग चुकी थी, दीदी ने थोड़ी देर बाद अपनी आँखें खोल ली और उनके कुछ कहने से पहले मैंने अपने होंठ उनके होंठों से मिला दिए और उन्होंने भी मेरा कोई विरोध न करते हुए मेरा साथ दिया।
पांच मिनट तक हम दोनों ने एक दूसरे को चूमते रहे और इसके बाद दीदी ने मेरा लंड अपने हाथ में पकड़ लिया और उसे हिलाने लगी।
मैंने भी दीदी की मेक्सी ऊपर करके उनकी जांघों से होता हुआ उनकी चूत पर पहुँच गया और सहलाने लगा। दीदी की पेंटी पूरी गीली हो चुकी थी तो मैंने पहले दीदी को उनकी मेक्सी उतारने को कहा और अब वो मेरे सामने सिर्फ ब्रा और पेंटी में थी, उनका बदन एकदम दूध जैसा गोरा था, उनके स्तन काफी कड़े हो चुके थे। मैंने उनकी ब्रा भी उतार फेंकी, उनके स्तन बहुत बड़े थे और मैं पहली बार इतने पास से किसी औरत के स्तन देख रहा था।
मैंने स्तनों को बहुत चूसा और फिर दीदी की पेंटी उतार दी। उनकी चूत को देख कर मैं हैरान रह गया, उनकी चूत पर छोटे-छोटे बाल थे जो उसकी शोभा बढ़ा रहे थे। फिर मैंने जल्दी से अपने कपड़े उतारकर उनकी टाँगें चौड़ी कर दी। दीदी की चूत के दोनों होंठ बिल्कुल गुलाबी थे।
जैसे ही मैंने उनकी चूत पर अपना हाथ रखा, मुझे अपने हाथ में असीम गर्माहट का एहसास हुआ और दीदी भी बहुत गर्म हो चुकी थी और आ आ आ ऊ ऊ ऊ के स्वर निकाल रही थी। इसे सुनकर मैं और भी उत्तेजित हो रहा था।
इसके बाद हम दोनों 69 की अवस्था में आ गए और मैं उनकी चूत चाट रहा था जबकि वो मेरे लंड को बड़े चाव से चूस रही थी।
लगभग 15 मिनट चूसने के बाद दीदी बोली- वरुण, अब नहीं रुका जाता, जल्दी से अपना लंड मेरी चूत में डाल दे।
फिर मैंने दीदी की दोनों टांगों को अपने कंधों पर रखा और अपने लंड के सुपारे को दीदी की चूत पर रखकर जोर का धक्का लगाया और मेरा आधा लंड दीदी की चूत में चला गया।
दीदी अपने मुख से कामुक आवाजें निकाल रही थी और कह रही थी- फाड़ दे आज मेरी चूत ! और जोर से ! और जोर से।
इसके बाद मैंने अपने धक्कों की रफ़्तार और बढ़ा दी और करीब दस मिनट हिलने के बाद मैं झड़ गया और दीदी के ऊपर ही लेट गया।
पर मैं कहाँ अभी मानने वाला था, लगभग 15 मिनट बाद मैं फिर से दीदी को चोदने के लिए तैयार हो गया और इस बार मैंने दीदी को अलग प्रकार से चोदा। इस वाले दौर में दीदी भी झड़ गई। बाद में दीदी ने मेरा पूरा लंड चाट कर साफ़ कर दिया।
उस रात दीदी को मैंने दो बार और चोदा और जब तक मैं दीदी की ससुराल में रहा, मैंने दीदी को खूब चोदा और उनकी गांड भी मारी।
फिर मैं भोपाल वापस आ गया और अब दीदी से फ़ोन पर ही सेक्स की बातें होती हैं। उसके बाद से मैंने अभी तक किसी और लड़की की चूत नहीं मारी पर मैं इधर से उधर चूत मारने के लिए लड़कियों को ढूंढता फिरता हूँ।

गर्लफ्रेंड को पत्नी बना कर चोदा - Hindi sex story

Thursday, August 1, 2013

यह कहानी मेरी और
मेरी प्रेमिका वैदेही की है। वैसे तो आज वो मेरे
साथ नहीं है,
क्योंकि वो अपनी माता पिता को दुःख
पहुँचाना नहीं चाहती थी इसीलिए उसने मुझसे
नाता तोड़ दिया।
बात तब की है जब दो साल पहले में अपनी कॉलेज के
अंतिम साल में था तब वो मुझे एक सेमिनार में
मिली थी, उसकी छोटी छोटी आँखों ने मुझमें उसके
प्रति प्यार जगाया। पर उस सेमिनार में मैंने उससे
बात नहीं की थी।
उसके एक महीने के बाद एक दिन अचानक
वो मेरी कॉलेज के बाहर मिली तो मैं उसे
देखता ही रह गया। उसके साथ एक
दूसरी लड़की थी, वो भी उस सेमिनार में थी। उसने
मुझसे बात की और बाद में मेरी और
वैदेही की दोस्ती हो गई। वैसे तो मैं उसे शुरु से
ही चाहने लगा था पर कह नहीं पाया था।
एक दिन बड़ी मुश्किल से मैंने उसके सामने अपने
प्यार का इजहार किया कि मैं उससे बहुत प्यार
करता हूँ पर उसने मना कर दिया और कहा कि यह
नामुमकिन है।
बाद में मैंने उसे बहुत तरीकों से यह
बताना चाहा कि मैं उसे सच्चा प्यार करता हूँ।
आखिर एक दिन उसने मुझसे कहा कि वो भी मुझे
चाहने लगी है पर घर की स्थिति की वजह से
वो डर रही है।
पर बाद में धीरे धीरे हम दोनों के प्यार का रंग
एक-दूजे पर चढ़ने लगा और हम लोग बहुत करीब आ
गये।
एक दिन एक बाग़ में मैंने उसे उसके चहेरे को पकड़ कर
उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और हम लोग एक
दूसरे को बेतहाशा चूमने लगे। हम दोनों एक दूसरे
को बहुत चाहते थे, उस दिन से हम जब भी मिलते
तो हम लोग चुम्मा-चाटी करते।
एक दिन एक पिक्चर के शो में मैंने उसके होंठ चूमते
चूमते उसके गालों को चूमा बाद में गले पर आ
गया और बाद में उसकी छाती पर आया, तब उसने
एक टॉप पहना था तो उसने उस टॉप के बटन खोल
दिए और उस वक़्त पहली बार मैंने उसके बोबे चूसे।
उसको बहुत मजा आया।
उसके बाद मैं जब भी उससे मिलता तो उसके बोबे
बहुत दबाता था।
एक बार जब मेरे घर पर कोई नहीं था तो मैंने उसे
अपने घर पे बुलाया और उसके अन्दर आते ही हम
दोनों एकदूसरे में खो गये। बहुत चुम्मा चाटी और
बोबे दबाना हुआ। फिर मैं उसको पलंग पर
लिटा कर उसके ऊपर चढ़ गया और कपड़ों में ही सेक्स
करने लगा। उस समय मैंने अपने चड्डी में
ही अपना माल निकाल दिया। उसके बाद हम
दोनों नजर नहीं मिला सके पर उसके बाद
हमारा प्यार और दोगुना हो गया।
उसके बाद जब उसका जन्मदिन आया तो मैंने उसे
मिलने की योजना बनाई पर कुछ और काम आ जाने से
उस दिन मैं नहीं मिल सका पर उसके दूसरे ही दिन
मुझे मौका मिल गया। मेरे घर के सभी लोग बाहर
जा रहे थे तो मैंने उसे अपने घर पर बुला लिया और
साथ में यह भी कहा- मैं तुम्हें साड़ी में
देखना चाहता हूँ।
तो थोड़ी ना-नुकर करने के बाद वो आई और अपने
साथ एक बैग में साड़ी भी लेकर आई। उसके आते ही मैं
उसे प्यार करने लगा और चूमने लगा,
वो भी मेरा साथ देने लगी। बाद में वैदेही बोली-
चलो अब मैं तुम्हारी पत्नी बन जाऊँ।
तो मैंने खुश होते हुए कहा- हाँ जरूर !
वो उठ कर बाथरूम चली गई और दस मिनट बाद
वो साड़ी पहन कर बाहर आई तो मैं उसे
देखता ही रह गया। खुले बालों के साथ लाल
साड़ी में वो बहुत ही खूबसूरत लग रही थी।
उसने पूछा- कैसी लग रही हूँ?
मैं तो उसे देखता ही रह गया, वो सचमुच में कमाल
लग रही थी, मैंने उससे पूछा- क्या मैं तुम्हारी मांग
भर दूँ?
तो उसने शरमाते हुए हाँ कहा।
मैंने थोड़ा सिंदूर लेकर उसकी मांग में भर दिया और
उसे अपनी बाहों में ले लिया।
तब उसने मुझसे कहा- राज, मैं तुमसे सच में बहुत प्यार
करने लगी हूँ, प्लीज़ मुझे अपनी पत्नी बना लो।
मैं उसे वहाँ से अपने कमरे में ले गया और अपने साथ
अपने पलंग पर बिठाया और उसके होंठों को प्यार
से चूसने लगा। वो भी उसमें मेरा साथ देने लगी। मैं
उसे चूमते हुए अपने एक हाथ से उसके बोबे दबाने
लगा। उसके बाद मैंने उसे पलंग पर लिटाया और
प्यार करने लगा।
वो धीरे धीरे गएम होने लगी थी। जब मैंने
अपनी शर्ट उतार दी तो वो मुझे बेतहाशा चूमने
लगी और कहने लगी- राज, मुझे प्यार करो ! बहुत
ज्यादा प्यार करो !
फिर मैंने उसकी साड़ी निकाल दी तो वो सिर्फ
ब्लाऊज़ और पेटीकोट में रह गई। वो बहुत
शरमा रही थी तो मैंने उसे चूम लिया और पूछा-
क्या मैं इसके आगे कुछ करूँ?
तो उसने हाँ कर दी और मैंने उसका ब्लाऊज़-
पेटिकोट निकाल दिया। अब वो सिर्फ ब्रा और
पेंटी में थी। मैं उसको देख कर और ज्यादा उत्तेजित
हो गया और उसे खूब चाटने और चूसने लगा। मैंने
उसकी ब्रा निकाल दी तो दो उन्नत बोबे बाहर
आये।
उसने कहा- ये लो अपने मेहनत का फल ! इतने बड़े
आपने ही किये हैं।
उसकी यह बात सुनकर मैं उसके उरोज दबाने और
चूसने लगा। फ़िर मैं उसके पेट को चूमता हुआ पेंटी तक
आया और उसके ऊपर से ही वहाँ एक चुम्बन किया।
उसमें से क्या खुशबू आ रही थी यार ! मैंने जल्द
ही पेंटी हटा दी तो उसमें से एक
प्यारी सी गुलाबी चूत के दर्शन हुए।
वैदेही उस समय बहुत शरमा रही थी तो मैं झट से
चूत को चाटने और चूमने लगा तो वो बहुत
ही ज्यादा गर्म हो गई और मेरा सर अपनी चूत पर
दबाने लगी। मैंने भी बड़े प्यार से उसकी चूत
को चाटा और चूमा, और वो झड़ गई।
उसका सारा पानी मैंने चाट लिया।
मैं जब वहाँ से खड़ा हो रहा था तो उसने मुझे पकड़
लिया और मेरे लंड पर हाथ घुमाने लगी। तो मैंने
अपना पेंट और अण्डरवीयर नीचे कर दिया तो उसने
झटके से मेरे लंड को पकड़ा और हिलाने लगी। तो मैंने
अपना लंड उसके होंठों पर रखा, तुरंत ही उसने
उसको बड़े प्यार से चूमा और चूसने लगी। उसने बहुत
देर तक चूसा और उसके बाद मैंने उससे कहा- चलो, अब
पति पत्नी वाला काम करें !
तो वो तुरंत मान गई। मैंने उसे सीधा लिटाया और
उसके ऊपर आ गया। मैंने अपना लंड उसकी चूत पर
रखा और हल्का सा धक्का मारा तो वो चिल्लाने
लगी और दर्द से कराहने लगी।
मैंने उसे प्यार से समझाया और चुम्बन करने लगा।
उसके थोड़ी देर बाद जब उसका दर्द कुछ कम हुआ
तो मैंने पूरा जोर लगाते हुए उसके मुँह को अपने मुँह
से बंद किया और एक तगड़ा झटका मारा और
मेरा लंड मेरी वैदेही की चूत की जिल्ली फाड़ कर
पूरा उसमें समा गया।
वो रोने लगी थी और कराह भी रही थी पर मैं
थोड़ी देर ऐसे ही रहा और बाद में जब उसे
थोड़ा ठीक लगने लगा तो मैं धीरे धीरे उसे झटके
मारने लगा। उसके बाद उसे भी मजा आने लगा और
वो भी मेरा साथ देने लगी।
उसके बाद हम दोनों ने जम कर चुदाई की,
वो अपनी गांड उठा उठा कर चुदवा रही थी और मैं
भी उसे जोर-शोर से चोद रहा था। उसके बाद हम
दोनों के प्रेम की धारा एकसाथ छुट गई और हम
एकदूसरे को बाहों में लेकर सो गये।
आधे घंटे बाद जब उसने मुझे उठाया तो मेरा फिर से
खड़ा हो गया और उसको भी इच्छा हो गई
थी तो हम लोग फिर से चुदाई में खो गये पर इस
बार न तो कोई दर्द न ही चीखना, सिर्फ
मजा ही मजा लिया एक दूसरे ने !
उसके बाद हम दोनों ने अपने कपड़े पहने, ठीकठाक
हुए और एक दूसरे को चूमा। उस वक़्त भी उसकी मांग
में मेरा सिंदूर था।
मैंने उसे चूम कर 'आई लव यू माय वाइफ'
कहा तो उसने भी 'आई लव यू टू माय हसबंड'
कहा और उसके बाद में उसे उसके घर छोड़ने निकाल
पड़ा।

 

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