असंतृप्त योनि

Saturday, July 27, 2013

योनि का इन्तजार तो हर लण्ड को रहता है पर
मिलती किसी एक लण्ड को ही है।
योनि की प्यास ना तो आज तक कोई
मिटा पाया है और ना कोई मिटा सकता है।
हजारों लण्ड प्रयास कर करके थक गए मगर असफल
रहे हालांकि कुछ लण्डों के प्रयास सफल भी रहे
मगर वो भी ज्यादा देर तक उनके सामने टिक
नहीं सके।
मेरी कहानी भी उनमे से एक है।
मेरा नाम अंकित चौधरी है, यह कहानी उस समय
की है जब मेरी उम्र 19 साल की थी। मैं
अपनी पढ़ाई करने के लिए देहरादून गया हुआ था।
वहाँ पर मेरी मुलाकात एक अंकिता नाम
की लड़की से हुई। वो एक सुन्दर लड़की थी और
किसी के होश उड़ाने के लिए उसकी एक मुस्कुराहट
ही काफी थी, जैसे मेरे होश उड़ गए थे।
जब मैंने उसे देखा था या फिर यूँ कहिये
कि पहली बार मैं किसी लड़की पर मर मिटा था,
और कुछ होश सम्भालने के बाद मैंने उसे अपना बनाने
का फैसला कर लिया।
मेरी काफी कोशिशों के बाद भी वो मुझसे दूर
जाती नजर आ रही थी, मेरी भी कोशिशों की अब
हद हो चुकी थी और अब मैं उसे हर हालत में हासिल
करना चाहता था। फिर क्या था, मैं वो हर
मुमकिन कोशिश करने लगा जिससे वो मेरे करीब आ
सकती थी।
कहते हैं कि चाहो तो कुछ भी नामुमकिन
नहीं होता बस उसे पाने की लगन होनी चाहिए।
तब कुछ दिनों बाद उसकी एक ऐसी सच्चाई मेरे
सामने आई जिससे मेरे होश उड़ गए। मैंने
सुना कि वो एक वेश्या किस्म की लड़की है और
वो लगभग हर रात किसी ना किसी का बिस्तर
गर्म करती है। मुझे तो मानो सांप सूँघ गया था,
मुझे यकीन
ही नहीं हो रहा था कि वो ऐसा भी कुछ कर
सकती है।
और फिर कुछ होश सम्भालने के बाद मैंने ठान
लिया कि अगर इस बात में सच्चाई है तो मैं भी कम
से कम एक बार तो उसके साथ सम्भोग जरूर करूँगा।
फिर क्या था, मैं उस तक पहुँचने का कोई ना कोई
जरिया ढूंढने लगा और इस काम में मुझे सफलता तब
मिली जब मेरी मुलाकात मेरे साथ के ही एक लड़के से
हुई, उसने मुझे बताया कि वो एक रात साथ बिताने
के लिए 5,000 रुपये लेती है।
उसकी बात से मुझे इस बात की पुष्टि हो गई
थी कि मैंने उसके बारे में जो सुना है वो सब सच है।
मैंने भी 5,000 रुपये का इन्तजाम करके और उस लड़के
कि मदद से अंकिता के साथ एक रात बिताने
का सौदा कर लिया था।
इस सौदे से एक तरफ जहाँ मैं खुश था, वहीं मुझे इस
बात का दुख भी था कि मैं उसके साथ इस तरीके से
सम्भोग का आनन्द लूँगा।
आखिरकार वो दिन भी आ गया जब मैं उसके साथ
पहली बार रूबरू होता !
उस दिन मैंने उससे मिलने की काफी तैयारियाँ की,
मैंने अपने लिए भी के-2 कैप्सूल की दो खुराक
ली थी जिससे मैं उसके साथ ज्यादा से ज्यादा वक्त
तक सम्भोग का आनन्द ले सकूँ पर पता नहीं उसके
बारे में सब कुछ जानते हुए भी मैं उसे लुभाने का हर
सम्भव प्रयास कर रहा था।
सब तैयारी पूरी होने के बाद मैंने अपने दोस्त से कह
कर उसे शाम को 8 बजे बुलाने का प्रोगाम
बना लिया। उस दिन पहली बार मेरा दिन
नहीं कट रहा था, मानो शाम होने का नाम
ही नहीं ले रही थी मगर फिर भी हर दिन
की तरह उस दिन भी शाम हो ही गई और उसके
साथ वो घड़ी भी आ गई।
अंकिता ने मेरे कमरे के दरवाजे की घण्टी बजाई और
मैं जल्दी से दरवाजा खोलने के लिए दौड़ा और
दरवाजा खोल दिया।
अब अंकिता मेरे बिल्कुल सामने थी, आज वो बिल्कुल
अलग लग रही थी, मेरा मतलब है कि वो आज बहुत
सुन्दर लग रही थी, मानो कि वो आज सिर्फ मेरे
लिये ही सज धज कर आई हो।
मैं उसे अन्दर लेकर आया और उसे मंत्रमुग्ध होकर
देखने लगा जब तक मुझे उसी ने चेताया नहीं।
थोड़ा होश में आने के बाद मैंने उसे देखते हुए पूछा- तुम
ठण्डा लेना पसन्द करोगी?
उसने हाँ में अपना सिर हिलाया।
कोल्ड ड्रिंक पीने के बाद लगभग 10 से 15 मिनट
तक हम बातें करते रहे, मैं तो सिर्फ उसे देख
रहा था, बातें तो सिर्फ वही कर रही थी।तब
अचानक उसने मुझसे सवाल किया- तुम मुझे
इतना क्यों घूर रहे हो? क्या कभी कोई
लड़की नहीं देखी?
इस पर मैंने जवाब दिया- देखी तो हैं पर तुम
जैसी हसीं पहली बार देख रहा हूँ !
इस पर वो थोड़ा शरमाई और अपनी नजरें
झुका ली। तभी मैं उसके चेहरे को निहारते हुए उसे
चूमने लगा। उस वक्त मेरा लिंग मेरी जीन्स फाड़कर
बाहर आने को तैयार था लेकिन मैं अभी और कुछ देर
उसके चेहरे को ही चूमना चाहता था। फिर उसके
होंठों को चूमते चूमते मैंने उसके कपड़े उतारने शुरु कर
दिये।
लगभग 30 मिनट तक मैं उसके पूरे जिस्म
को चूमता रहा, मैं अपनी जिन्दगी में पहली बार
किसी लड़की के साथ हम बिस्तर हो रहा था और मैं
बता नहीं सकता कि उस समय मुझे कितना आनन्द आ
रहा था।
मेरे इस तरह चूमने से वो भी पूरी तरह से गर्म
हो चुकी थी, उसने मेरी जिप खोलकर मेरा लिंग
निकाला, लिंग को देखकर वो थोड़ा घबराई और
बोली- बाप रे, तुम्हारा लिंग तो बहुत बड़ा है !
मैंने कभी अब से पहले कभी इतना बड़ा लिंग
नहीं देखा ! मगर क्या यह मुझे शान्त कर पायेगा?
चलो देखते हैं कि कितना दम है इसमें !
यह कहकर वो उसे बड़े मजे के साथ चूसने लगी।
लगभग 10 मिनट तक चूसने के बाद मैं उससे बोला-
क्या हम अब सम्भोग शुरु कर सकते हैं?
इस पर वो थोड़ा मुस्कुराई और बोली- अब
मेरी योनि को कौन चूसेगा?
उसकी बात सुनकर मैंने भी उसकी योनि पर
अपनी जीभ रख दी और जीभ से योनि को सहलाने
लगा। शुरु में मुझे थोड़ा अजीब सा लगा पर बाद में
मुझे भी मजा आने लगा।
15 मिनट तक उसकी योनि चूसने के बाद वो भी अब
चरम सीमा पर पहुँच चुकी थी, फिर वो झड़ गई और
मेरे ऊपर गिर कर मुझसे जोरों से लिपट गई। ऐसे
ही लगभग 10 मिनट तक रहने के बाद मैं उसके ऊपर
आ गया और उसकी दोनों टांगें खोलकर अपना 9
इन्च लम्बा लिंग उसकी योनि पर रखकर सहलाने
लगा। मैं ऐसे ही अपने लिंग से लगभग 10 मिनट
सहलाता रहा जिससे अंकिता पागल सी होकर
बड़बड़ाने लगी- प्लीज, मुझे अब और तड़पाना बन्द
कर दो और अपने लिंग से मेरी योनि को फाड़
डालो ! आज इसे शान्त कर दो और मेरी प्यास
बुझा दो।
उसे देखने से लग रहा था कि अब लिंग योनि में
प्रवेश कराने का सही वक्त है, और मैंने बिना कोई
समय बिताये अपना लिंग उसकी योनि में डाल
दिया और सम्भोग करना शुरु कर दिया।
मैं अब अपनी पूरी ताकत से उसकी योनि को चोद
रहा था, अंकिता जब चरम सीमा पर पहुँचने
लगी तो बड़बड़ाने लगी- मेरी जान, चोद
डालो मुझे ! मेरी चूत को फाड़ डालो ! मेरे ऊपर
कोई तरस मत खाओ ! आज इसकी प्यास शान्त कर
दो मेरे राजा ! तुम्हारे अन्दर पता नहीं कैसा जादू
है ! और जोर से चोदो मेरे राजा ! मैं तो अब झड़ने
वाली हूँ।यह सुनकर मेरे अन्दर भी एक स्फूर्ति आ
गई और मैंने अपनी पूरी ताकत झोंक दी और धक्के
लगाने लगा। लगभग 20 से 25 धक्कों के बाद
वो शान्त हो गई मगर खुराक खाने की वजह से
अभी मुझे और वक्त लगना था। इसी वजह से उस रात
मैंने अंकिता को 4 बार झाड़ा, वो अब बहुत
बुरी तरीके से थक चुकी थी, तब उसने मुझसे कहा- आज
तक कोई मर्द मेरी प्यास नहीं मिटा सका था,
मगर तुमने मुझे शान्त करके अपने आपको एक
सच्चा मर्द साबित किया है ! आज से और अभी से मैं
तुम्हारी हो चुकी हूँ।
उसने अपने पर्स से 5,000 रूपये निकाले और मुझे दे
दिये, उसने कहा- मैं अब कभी भी तुमसे रुपये
नहीं लूँगी।
यह कहकर वो मुझसे लिपट गई, मैं भी ये सब सुनकर
बहुत खुश हुआ।
उसके बाद उसने कभी मुझसे रुपये नहीं लिये
बल्कि वो तब रोज मेरे कमरे पर आने लगी थी, हम
रोज रात सम्भोग करते, मैं तो रात
को जागता था और दिन में सोता था।
मगर मुझे सदमा तब लगा जब उसने लगभग 2 साल
बाद अचानक मेरे पास आना बन्द कर दिया। मैंने
सोचा जो लड़की मेरे बगैर एक रात
भी नहीं बिता सकती थी वो अब किस वजह से इतने
दिनों से मुझसे दूर रह रही है और यही वजह ढूंढने के
लिए मैंने उसकी तलाश शुरु की। तब मेरे सामने एक
ऐसी सच्चाई आई जो ज्यादातर वेश्याओं का काम
रहता है।
एक और बड़ी सच्चाई मेरे सामने थी कि इस
दुनिया का कोई भी लण्ड चूत को हमेशा के लिए
शान्त नहीं कर सकता।

घर मालिक की बहू की चुदाई

Monday, July 22, 2013

दोस्तो, मैं यह कहानी अपने जिगरी दोस्त राजेश
की तरफ से अन्तर्वासना पर भेज रहा हूँ, यह
उसकी आपबीती है और यह बात मुझे, राजेश को और
उसके घर मालिक की बहू
रीना भाभी को ही मालूम है !
राजेश की उम्र 31 साल है, उसकी शादी 2009 में
हो गई और एक बच्चा भी है। वो दिखने में एकदम
गबरू जवान है और नंबर एक का चुदक्कड़ है ! उसने
अभी तक खुद की सगी चाची, बुआ,
चचेरी भाभियों और ममेरी बहनों को चोदा है और
मैं इसका अकेला राजदार हूँ ! कभी कभी तो साले
का डर भी लगता है
कि कहीं मेरी बीवी को भी चोद न दे ! लेकिन उस
पर भरोसा भी है कि ऐसे नहीं करेगा !
अब मैं कहानी पर आता हूँ !
उसकी शादी होने के बाद वो नागपुर में किराये
पर रहने लगा। घर-मालिक के रूप में उसे यहाँ एक
बुजुर्ग दम्पति, उनके दो बेटे, बड़ा बेटा पुलिस में
था उसकी पत्नी रीना और उन दोनों की एक
लड़की थी, रीना का एक 26 साल का देवर बबलू
था।
2-3 महीने बीत जाने के बाद राजेश की और घर-
मालिक के परिवार से अच्छी जमने लगी।
रीना भाभी भी कभी-कभी इनके कमरे राजेश
की बीवी के साथ बातें करने के लिए
आती रहती थी और जैसे ही राजेश
आता तो रीना चली जाती थी।
रीना भाभी की राजेश की बीवी के साथ
अच्छी पटने लगी थी।
इतने में राजेश की बीवी की गर्भवती हो गई और
अपने मायके चली गई। अब राजेश रात
को अकेला घर पर रहता था। वैसे ही वो चुदक्कड़
होने की वजह से उसकी नियत पहले से
ही रीना भाभी पर थी।
रीना भाभी थी भी ऐसी ही 25 साल
की 34-30-36 का गठीला बदन ऊपर से साड़ी में
तो एकदम सुंदरी दिखती थी !
अब आगे की कहानी राजेश की जुबानी !
मेरी रविवार को छुट्टी रहती थी तो मैं दिन भर
घर में ही रहता था। मेरी बीवी जाने के बाद
रीना अब मुझसे भी घुलमिल गई थी और बातें
करती थी ! उसका पति को पुलिस में होने की वजह
से उसे अक्सर दूसरे शहरों में जाना पड़ता था।
रीना का देवर बबलू भी कभी दिन तो कभी रात
की शिफ्ट की वजह से काम पर जाता था और
रीना के सास ससुर के लिए तो चलना मुश्किल
था इसीलिए वो नीचे ही अपने कमरे में रहते थे।
एक दोपहर को रीना ऐसे ही मेरे कमरे में आई, तब
मैं अपने बाथरूम में नहा रहा था।
रीना ने मुझे आवाज दी- अरे, कहाँ है आप?
मैं बोला- भाभी, मैं नहा रहा हूँ, आप बैठिये !
रीना- ठीक है !
मैं बाथरूम में अपने झांटें साफ कर रहा था। फिर
उसके बाद मैं नहा-धोकर सीधा अपने बेडरूम में
चला गया और कपड़े पहनकर हॉल में आया।
रीना बैठी टीवी देख रही थी।
मैं- और बोलिए भाभी, मैं आपके लिए क्या कर
सकता हूँ?
रीना- देखिये ना, ये ड्यूटी की वजह से 15 दिन आने
वाले नहीं हैं और बबलू भैय्या को भी समय नहीं मिल
रहा है !
मैं- किस बात के लिए भाभी?
रीना- गर्मी बढ़ गई है और कूलर का पता नहीं !
मैं- चलिए, मैं फिट कर देता हूँ, इसमें संकोच
की क्या बात है !
रीना- आपकी मेहरबानी होगी !
मैं- अरे क्या भाभी, इसमें मेहरबानी की क्या बात,
आज छुट्टी है, ख़ाली बैठा हूँ, आपका काम कर
दूँगा तो आप भी कभी हमारे काम आएँगी !
रीना- ठीक है, आप नीचे मेरे बेडरूम में आ जाईये ! मैं
कूलर निकाल कर रखती हूँ !
उस दिन घर पर कोई नहीं था, रीना के सास-ससुर
अपनी लड़की के यहाँ गए थे और बबलू ड्यूटी पर
गया था !
लगभग दस मिनट के बाद मैं नीचे हॉल में पहुँचा और
रीना को आवाज दी- भाभी, कहाँ हैं आप?
अन्दर से आवाज आई- मैं यहाँ हूँ, आप आ जाओ !
मैं भाभी के बेडरूम में पहुँचा और कूलर को फिट
करना शुरु किया, कूलर फिट करते-करते मैं भाभी के
साड़ी में ढके हुए ब्लाउज के उभार देख रहा था, आज
बड़े ही उठे-उठे दिख रहे थे !
कूलर अब तक फिट हो चुका था, अब बस उसे उठा कर
स्टैंड पर खिड़की में लगाना था ! मैंने भाभी को एक
हाथ लगाने को बोला और कूलर को उठाना शुरु
किया। भाभी की ताक़त कम होने की वजह से कूलर
ठीक से उठ नहीं रहा था। अब मैंने एक साइड से
अपना एक हाथ और दूसरा हाथ से भाभी के पीछे से
कूलर को उठा रहा था, भाभी साड़ी पहनी हुई
थी जिसकी वजह से मेरा हाथ बारबार उनकी पीठ
को रगड़ रहा था या बोलो कि मैं जानबूझ कर रगड़
रहा था।
रीना का स्पर्श होने की वजह से मेरी पैंट में तम्बू
बनने की शुरुआत हो गई थी और अच्छा खासा तम्बू
बन भी चुका था। कूलर हम दोनों ने मिल कर स्टैंड
पर रख दिया पर कूलर को छोड़ कर रीना पलटने
लगी तो वैसे ही उनका बैलेंस बिगड़ गया और मेरे
शरीर पर आ गई !
मैं रीना को गिरने देने वाला नहीं था इसीलिए
मैंने उसके दोनों हाथों को पकड़ लिया और वो संभल
गई।
मैं अभी भी रीना को पकड़े हुए था, बोला- भाभी,
क्या हो गया अचानक आपको?
रीना- कुछ नहीं, बस बैलेंस बिगड़ गया !
हम ये बातें कर रहे थे लेकिन इधर मेरा तम्बू
रीना के गांड से सटा हुआ था। मैं हौले-हौले
अपना तम्बू रीना की गाण्ड से रगड़ रहा था ! जैसे
ही रीना को मेरे लंड का अहसास हुआ तो वो मुझसे
दूर हो गई और बोली- अन्दर चलिए, मैं आपके लिए
चाय बनाती हूँ !
मैं फिर से अपना खड़ा लंड लेकर रीना के बेडरूम में
आया और कूलर चालू करके बैठ गया !
उधर रीना रसोई में मेरे लिए चाय बना रही थी !
मेरे अन्दर वासना भड़क चुकी थी अब बस मैं
रीना को चोदने के बारे में ही सोच रहा था, मुझे
रीना चोदने देगी या नहीं पता नहीं लेकिन इस
काले मोटे 7" के लंड का क्या? इसे तो शांत
करना ही पड़ेगा।
मुझे मालूम था कि चाय बनाने में करीब दस मिनट
तो लग ही जायेंगे !
मैं रीना के बेडरूम में छानबीन करने लगा तो मुझे
उसकी ब्रा और चड्डी दिखाई दी !
मैंने उसे उठा लिया और सूंघा तो उसमें से
बढ़िया सी भीनी-भीनी खुशबू आ रही थी। मैं
इतना बेखबर हो गया कि मुझे याद
ही नहीं रहा कि घर में भी कोई है यानि रीना !
मैं अपनी मदहोशी में गहराता जा रहा था और
इसी मदहोसी में मैंने अपनी पैंट की चेन खोली,
चड्डी से अपना लंड निकला जो अब पूरी तरह से 7"
का बन गया था, रीना की चड्डी और
ब्रा को अपने लंड के मुँह पर रख कर मैंने मुठ
मारनी शुरु कर दी। मैं अपनी आँखें बंद करके
रीना को सोच-सोच कर जोर-जोर से अपने लंड
को हिला रहा था। लगभग 5 मिनट के बाद
मेरा पूरा पानी रीना की ब्रा और चड्डी पर
गिर गया और तब मैंने अपनी आँखें खोली तो अपने
सामने रीना को खड़ा पाकर मेरे होशोहवास उड़
गए !
मैं- सॉरी भाभी !
रीना हँसते हुए- क्या सॉरी, आपने मेरी चड्डी और
ब्रा दोनों गन्दी कर दी ! ऐसा कोई करता है
क्या? आपको ये सब करना ही था तो मुझे
क्यों नहीं बोल दिया?
रीना के इतना बोलते ही मैंने उसको अपने बाँहों में
पकड़ लिया और उसके होंठों को चूमने लगा !
वो भी मुझे एक प्यासी औरत की तरह चूम रही थी !
मैंने उसके साड़ी को निकाल फेंका और उसके
दोनों आमों को ब्लाउज के ऊपर से ही चूसने, काटने
लगा।
मुठ मारने की वजह से मेरा लंड
ढीला हो गया था लेकिन रीना के स्पर्श से फिर से
उसमें जान आ रही थी ! यह कहानी आप
अन्तर्वासना.कॉम पर पढ़ रहे हैं।
लगभग 5 मिनट के बाद मैंने रीना को अपने सामने
खड़ा करके उसकी गांड से अपना लंड
चिपका दिया और होंठों से उसकी गर्दन,
कानों को चूम रहा था। इधर दोनों हाथों से
उसकी दोनों चूचियाँ मसल रहा था !
कभी दोनों हाथ तो कभी एक हाथ से
चूचियाँ सहला रहा था और एक हाथ उसके नंगे पेट
पर घुमा रहा था।
रीना काफी गर्म हो चुकी थी, वो अपनी गांड मेरे
लंड से रगड़ रही थी !
मैंने उसकी ब्लाउज के हुक खोल कर उसका ब्लाउज
और काला ब्रा निकाल कर उसके दोनों गोरे-गोरे
स्तन नंगे कर दिए। अभी भी मैं पीछे से ही उसके
दोनों चूचियाँ दबा रहा था और निप्पल
उंगलियों के बीच मसल रहा था।
रीना- चलो भी अब बेड पर या ऐसे ही खड़े खड़े
करने का इरादा है?
मैंने भी हाँ बोला और हम दोनों भी बिस्तर पर आ
गए। रीना ने मेरा शर्ट और पैंट उतार दिए और मैंने
उसका पेटीकोट उतार दिया। अब हम दोनों के
शरीर पर सिर्फ चड्डी के अलावा कुछ
भी नहीं था।
मैं रीना के बदन पर चढ़ गया और सिर से लेकर पाँव
तक उसके पूरे शरीर को पागलों की तरह चूम
रहा था ! उसकी दोनों चूचियों को एक-एक करके
अपने मुँह में भर कर चूस रहा था !
इधर रीना भी मेरी पीठ को सहला रही थी, अपने
पैरों से मेरे पैरों को रगड़ रही थी !
मेरा लंड अभी भी पूरे तरीके से खड़ा नहीं हुआ था।
मैंने अपनी पोजीशन बदल ली, अब मेरा मुँह
रीना की चूत की तरफ और मेरा लंड रीना के मुंह
की तरफ था। मैंने रीना को मुँह में लेने के लिए
इशारा किया तो रीना ने मेरी चड्डी उतार
दी और मेरे लंड को अपने मुँह में भर कर चूसने लगी।
इधर मैंने भी रीना की चड्डी उतार दी और
उसकी चिकनी चूत के दर्शन करने के बाद चूत
चाटना शुरु कर दिया। उसकी चूत ने
थोड़ा पानी छोड़ दिया था, बड़ा खट्टा-
खट्टा लग रहा था।
रीना मेरा लंड जोर-जोर से चूस
रही थी जिसकी वजह से मेरा लंड अब पूरा 7"
का हो गया था। इधर मैं रीना चूत को अन्दर तक
जाकर चाट रहा था उससे वो अब पूरी गर्म हो गई
और अपने पैरों को भींच रही थी- आह्ह्ह...
आःह्ह्ह... उम्म्म... उम्म... आह्ह्ह... की आवाजें
स्पष्ट सुनाई दे रही थी।
रीना- प्लीज राजेश जी, अब वक़्त मत जाया करो,
डाल दो लंड मेरी चूत में, बहुत दिन से लंड
नहीं खाया है, आज मेरी फाड़ डालो, जैसे चोदना है,
जिस तरीके से चोदना है, चोद डालो लेकिन
जल्दी... अब बरदाश्त नहीं हो रहा !
अब मैं और मेरा लंड भी रीना को चोदने के लिए
तैयार हो गया था। हम फिर से सीधी अवस्था में आ
गए और रीना को मैंने अपने लंड पर बैठा दिया!
रीना मेरे ऊपर पैरों के सहारे बैठी थी, मैंने
अपना एक हाथ अन्दर डाला और अपने लंड
को रीना की चूत के मुँह पर रख कर एक जोरदार
धक्का दिया ! वैसे ही रीना की चीख के साथ
मेरा पूरा लंड रीना की चूत में घुस गया।
रीना चिल्ला रही थी- ...प्लीज राजेश जी, दर्द
हो रहा है.. रुक जाईये...
थोड़ी देर रुकने के बाद मैंने अपने लंड को रीना चूत
में अन्दर बाहर करना शुरु कर दिया !
अब रीना को दर्द नहीं हो रहा था और
वो भी अपनी गांड को हिला हिला कर मेरे लंड पर
दबा रही थी। इधर मैं अपने दोनों हाथों से
उसकी चूचियाँ मसल रहा था और वो आह्ह्ह...
आह्ह... जोर से चोदो... और जोर से !
चिल्ला रही थी।
5 मिनट के बाद मैंने अपना लंड निकाला और
रीना को घोड़ी बनाकर बिस्तर पर
लिटा दिया और मैंने पीछे से उसकी चूत के द्वार पर
अपना लंड टिका दिया। अपने दोनों हाथों से
उसकी दोनों चूचियाँ पकड़ ली एक जोर
का धक्का देकर पूरा लंड उसकी चूत में घुसेड़ दिया !
रीना जोर-जोर से चिल्ला रही थी-...प्लीज
निकालो.. इसमें दर्द हो रहा है.. पूरा अन्दर चुभ
रहा है !
मैं- रीना मेरी जान, तूने
ही तो बोला कि किसी भी तरीके से चोदो ! तो ले
मेरी जान खा ले मेरा लंड, ऐसा लंड तुम्हें मिलने
वाला नहीं !
और मैंने और जोर से चोदना शुरु किया ! इधर
रीना की आवाजें निकल रही थी, उधर मेरा लंड
रीना की चूत में हाहाकार मचा रहा था।
ठीक 5 मिनट के बाद रीना का पानी छुट गया,
फिर भी मैं रीना को चोदे ही जा रहा था ! फचक-
फचक करके लंड अन्दर बाहर हो रहा था।मैंने
अपनी स्पीड और बढ़ा दी और
अपना पूरा लावा रीना की चूत में छोड़ दिया !
हम ऐसे ही 5 मिनट पड़े रहे फिर हमने अपने कपड़े
पहन लिए !
रीना ने चाय बनाई, हम दोनों ने पी और रात
को मेरी कमरे में चुदाई का वादा करके मैं निकल
आया !
रीना आज बहुत ही ज्यादा खुश थी क्योंकि उसने
15 दिन से लंड नहीं खाया था और मैं
भी भूखा ही था तो मैं भी बहुत खुश था !
रात को मैंने रीना की गांड कैसे मारी यह मैं
अगली कहानी में बताऊँगा !

प्रीति भाभी से बनी बीवी

Sunday, July 21, 2013

दोस्तो यह बात फ़रवरी के महीने की हैं, रतलाम मे
मेरी दूर के रिश्ते की मासी के लड़के
की शादी थी उसमे मुझे एक
भाभी मिली जिसका नाम प्रीति था। बात करने
पर पता चला कि वो दूर के किसी रिश्ते मे
मेरी भाभी लगती है। उसका रंग सांवला था हाइट
करीब ५'५" होगी दिखने में एक दम
सेक्सी थी उसका फिगर ३४-२८-३२ का था।
मैने गौर किया कि वो सुबह से ही मुझमें रुचि ले
रही है। साथ में घूमना, खाना, इधर उधर की बातें
करना।
दिन की बात है वो मुझे घूर रही थी, तभी अचानक
मैंने उनसे कहा, "भाभी देखते हैं कौन बाद में पलक
झपकता है !"
तो उन्होने अपनी आँखे बंद कर ली तो मैने कहा, "
लो आप तो हार गयी लाओ मेरा इनाम !"
तो उसने कहा, "माँग
लो आपको जो भी माँगना हो !"
उसकी इस बात से मेरा नज़रिया थोड़ा बदल
गया लेकिन मेरी हिम्मत नहीं हुई, मैने उनसे कहा, "
रहने दो आप नहीं दे पाओगी !"
मेरा ऐसा कहने पर उसने कहा, " मुझे पता है
आपको क्या चाहिए !"
मैंने कहा, "क्या ?"
तो वो बोली, " आपको किस चाहिए ना !"
उसके मुख से ऐसी बात सुनकर मेरा लंड
खड़ा हो गया और मैने उसे अपनी बाहों में लेकर किस
कर दिया। उसने मेरा पूरा साथ दिया लेकिन
तभी कमरे का दरवाजा बजा और हम अलग हो गये,
लेकिन अब हमारी तड़फ़ बढ़ने लगी थी । फिर शाम
को रिसेपशन के समय उसने लाल रंग
का लांचा पहना था। वो बहुत सेक्सी लग
रही थी। उन्होने मुझसे कहा, " आज से मैं
आपकी भाभी नहीं बीबी हूँ, आप मुझे जैसे
चाहो खा सकते हो !"
फिर हमने जल्दी जल्दी खाना खाया और मेरे दोस्त
की गाड़ी लेकर हम घूमने चले गये और फिर एक होटेल
में मैंने उसे ५ बार अलग अलग तरीके से चोदा।
वो मैं आपको अपनी अगली कहानी में कहूँगा ।
लेकिन एक बात तो अभी कहना चाहता हूँ
कि भाभी को चोदने में जितना मज़ा आता है
उतना तो गर्ल फ्रेंड को चोदने में भी नही आता !
फिर मिलेंगे धन्यवाद .......

 

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